विचार / लेख
-कृष्ण कांत
मंत्री के बेटे से पूछताछ हो रही तो मंत्री का प्रतिनिधि वहां क्या कर रहा है?
केंद्रीय गृह मंत्रालय में मंत्री के पद पर होते हुए, मंत्री के बेटे से, मंत्री के प्रतिनिधि के सामने, मंत्री की पुलिस क्या पूछ डालेगी?
किसानों को गाड़ी से रौंदकर मारने वाले मंत्री के बेटे को पुलिस ने बतौर गवाह नोटिस भेजा था। जिसपर कत्ल का इल्जाम हो, उसे बतौर गवाह नोटिस देकर बुलाना अद्भुत है। खैर, मंत्री का बेटा छह दिन बाद अपनी मर्जी से आज पुलिस दफ्तर पहुंचा है। कहा जा रहा है कि पूछताछ हो रही है। मंत्री का बेटा अपने साथ एक दर्जन हलफनामे और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी लेकर गया है। मंत्री का बेटा अपनी जांच खुद ही कर रहा है। खुद ही सबूत लेकर पुलिस को दे देगा, जिसे पुलिस मान लेगी। क्योंकि अभी तक पुलिस ने इस मसले में अपनी तरफ से एक भी व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं माना है।
मंत्री ने बेटे के साथ वकील और अपना एक ‘प्रतिनिधि’ भी भेजा है। वकील कानूनी मदद के लिए होता है। केंद्रीय मंत्री का प्रतिनिधि वहां क्या कर रहा है? पुलिस जांच में केंद्रीय मंत्री के प्रतिनिधि का क्या काम होता है? क्या वह केंद्र सरकार की तरफ से पुलिस को धमकाने गया है? दूसरे, मंत्री के गुर्गे की मौजूदगी में किस पुलिस अधिकारी की हिम्मत है जो बेटे से कुछ उगलवा लेगी?
पूछताछ से पहले मंत्री ने बयान दे दिया कि ‘जांच निष्पक्ष होगी’। ये वो मंत्री बयान दे रहा है जो खुद इस पूरे फसाद की जड़ है। किसानों के नरसंहार का आरोपी सिर्फ बेटा नहीं है। इसकी वजह वह भडक़ाऊ भाषण है जो मंत्री ने दिया था कि दो मिनट नहीं लगेगा, लखीमपुर छोडऩा पड़ जाएगा। अब वही मंत्री गृह मंत्रालय में बैठकर पूरा तंत्र कंट्रोल कर रहे हैं।
मंत्री के घर के बाहर समर्थक इक_ा हैं। नारेबाजी कर रहे हैं। मंत्री ने उनसे वादा किया है, ‘पूछताछ के लिए गया है। ऐसी वैसी कोई बात नहीं है। ऐसी वैसी कोई बात हुई तो हम आपके साथ हैं।’
मंत्री की इस बात का क्या मतलब है? वे समर्थकों से क्या कहना चाहते हैं? क्या वे अपने बेटे की गिरफ्तारी होने पर समर्थकों को भडक़ा रहे हैं? क्या मंत्री अपनी ही सरकार को अपने समर्थकों का डर दिखा रहे हैं? पहले उन्होंने किसानों को धमकी दी जिसका विरोध करने उतरे किसानों को उनके बेटे ने कुचल कर मार डाला। अब सुप्रीम कोर्ट के भी दखल से गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है, इसलिए वे धमकी भी दे रहे हैं। वे सुपर एक्टिव हैं। बार बार बयानबाजी कर रहे हैं। बार बार झूठ बोल रहे हैं जो पकड़ा जा रहा है।
उनके मंत्री के पद से हटे बगैर न्याय संभव नहीं है। इस मामले में मंत्री के बेटे से ज्यादा खुद मंत्री जिम्मेदार है। उनके पद का दुरुपयोग उनके बेटे ने किया है। सत्ता के नशे में उसने किसानों को रौंद डाला और अब बाप बेटे मिलकर पुलिस को भी ठेंगे पर लिए घूम रहे हैं।
ये सब वे तथ्य हैं जो प्रथमदृष्टया छप रही खबरों में मौजूद हैं। अब आप समझिए कि अंदरखाने क्या हो रहा होगा? जैसा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि ऐसा वीआईपी ट्रीटमेंट किस हत्यारोपी को मिलता है?
जो कुछ हो रहा है, वह जांच के नाम पर अश्लील किस्म का तमाशा है।