सामान्य ज्ञान
जेम्स रॉथमैन, रैंडी शेकमैन और थॉमस सुडॉफ को वर्ष 2013 चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। कोशिका अपना परिवहन तंत्र कैसे व्यवस्थित करती है, इस बारे में रिसर्च ने इन्हें नोबेल पुरस्कार दिलाया है।
वहीं 1902 में ब्रिटेन के रोनाल्ड रॉस ने यह पुरस्कार जीता। उन्होंने पता किया कि मच्छर मलेरिया फैलाते हैं। उन्होंने दिखाया कि एनोफिलिस मच्छर में एक सेल वाले पैरासाइट का वाहक होता है। यही पैरेसाइट मलेरिया का कारण है। अभी भी हर साल 30 करोड़ लोग मलेरिया से संक्रमित होते हैं और 30 लाख की जान जाती है। वर्ष 1905 में वैज्ञानिक रोबर्ट कॉख ने क्षयरोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया का पता किया। इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। आज भी टीबी दुनिया भर में फैला हुआ संक्रामक रोग है, जिसके इलाज में सही एंटीबायटिकों की मदद से भी काफी समय लगता है। इस बीच टीबी से बच्चों की रक्षा के लिए टीका भी विकसित कर लिया गया।
वर्ष 1912 में फ्रांसीसी सर्जन अलेक्सिस कारेल ने रक्त वाहिकाओं और अंगों के प्रत्यारोपण को संभव बनाया और नोबेल के हकदार बने। उन्होंने ऐसी सिलाई तकनीक का विकास किया जिससे रक्त कोशिकाओं को जोड़ा जा सकता है। उन्होंने मानव अंगों को शरीर के बाहर सुरक्षित रखने की विधि भी बनाई। 1924 में यह पुरस्कार जीतने वाले थे नीदरलैंड्स के विलेम एंइटहोवे , जिन्होंने इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम ईसीजी को इस तरह विकसित किया कि उसका इस्तेमाल क्लीनिकों में हो सकता था। इससे दिल की मांशपेशियों की इलेक्ट्रिक गतिविधि का पता चलता है। इसकी मदद से डॉक्टर को दिल की बीमारी का पता चल जाता है।
1930 में ऑस्ट्रिया के कार्ल लांडश्टाइनर ने यह सम्मान प्राप्त किया। उन्होंने अपने शो में पाया कि जब भी दो लोगों का खून मिलाया जाता है, तो अक्सर थक्का बन जाता है। अक्सर लेकिन हमेशा नहीं। जल्द ही उन्होंने पाया कि खून चार प्रकार के होते हैं, ए, बी और ओ ग्रुप, जिसे उन्होंने सी कहा था। बाद में उनके साथियों ने एबी ग्रुप का पता लगाया।
वर्ष 1939, 1945 और 1952 में एंटीबायोटिक की खोज और उसका विकास करने वाले वैज्ञानिकों को तीन-तीन नोबेल पुरस्कार मिले। उनमें अलेक्सांडर फ्लेमिंग भी थे जिन्होंने पेंसिलिन की खोज की। आज भी एंटीबायोटिक सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, और अक्सर लोगों की जान बचाने के काम आती है।
वर्ष 1948 में पॉल हरमन मुलर ने चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार जीता। रासायनिक तत्व डीडीटी कीड़ों को मारता है, लेकिन स्तनपायी प्राणियों के लिए जहरीला नहीं है। पॉल हरमन मुलर ने इसका पता किया। उसके बाद डीडीटी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला कीटनाशक बन गया। आजकल उसका इस्तेमाल सिर्फ मलेरिया के मच्छरों को मारने के लिए होता है।वर्ष 1956 में जर्मनी के वैर्नर फॉर्समन को हार्ट कैथेटर के विकास के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने पहला परीक्षण खुद अपने शरीर पर किया। इस विधि में प्लास्टिक का एक पतला पाइप हाथ या जांघों में नस में घुसाकर दिल तक ले जाया जाता है। आजकल इस तरह ऑपरेशन या दिल की जांच की जाती है।
2008 में जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के हाराल्ड सुअ हाउजेन की वजह से हम जानते हैं कि ह्यूमन पैपिलोम वायरस सरवाइकल कैंसर पैदा कर सकता है। इस जानकारी के बाद वायरस के खिलाफ टीका विकसित किया गया। 2010 में रॉबर्ट एडवर्ड्स ने इन-विट्रो-फर्टिलाइजेशन यानि टेस्ट ट्यूब में गर्भाधान की विधि विकसित की। इस विधि से पहला बच्चा 1978 में इंगलैंड में पैदा हुआ। इस बीच दुनिया में कृत्रिम गर्भाधान से 50 लाख बच्चे पैदा हुए हैं। इस उपलब्धि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।