सामान्य ज्ञान
श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप को अलगाववादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम से मुक्त कराने के लिए भारतीय शांति रक्षा सेना 11 अक्टूबर 1987 में ऑपरेशन पवन शुरू किया था।
1980 के दशक की शुरुआत से ही श्रीलंका लगातार बढ़ते हिंसक जातीय संघर्ष का सामना कर रहा था। श्रीलंका में संघर्ष बढऩे के साथ साथ भारत में शरणार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही थी। जिसके चलते 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच शांति की बहाली के लिए समझौता हुआ। समझौते के तहत भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में शांति कायम करने में मदद करनी थी। इसका मकसद था लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम(एलटीटीई) जैसे श्रीलंकाई तमिलों और श्रीलंकाई सेना के बीच गृहयुद्ध खत्म कराना। एलटीटीई के सदस्यों को तमिल टाइगर्स के नाम से भी जाना जाता है।
भारतीय सेना वहां शांति बहाली के लिए गई थी लेकिन जब उसी के खिलाफ उग्रवादियों ने हमला कर दिया तो उन्हें बल प्रयोग पर विवश होना पड़ा। भारतीय सेना के तमिल टाइगर्स के साथ तीन हफ्ते तक चले संघर्ष में कामयाबी हासिल हुई, और जाफना प्रायद्वीप से एलटीटीई के पांव उखड़ गए। हालांकि भारतीय सेना की इसी कार्रवाई का बदला लेने के लिए एलटीटीई ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम के जरिए हत्या कर दी।