सामान्य ज्ञान

नीपको
12-Oct-2021 10:05 AM
नीपको

नीपको यानी नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नीपको) की स्थापना 2 अप्रैल, 1976 को भारत सरकार के पूर्णत: स्वामित्व में विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी। इसकी स्थापना देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्युत उत्पादन की सम्भावनाओं के विकास के लिए योजना,  प्रोत्साहन, अन्वेषण,  सर्वेक्षण, अभिकल्प, निर्माण, उत्पादन, प्रचालन एवं विद्युत केद्रों के रखरखाव के उद्देश्य से की गई थी। नीपको की प्राधिकृत शेयर पूंजी रु. 5 हजार करोड़ है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्युत उत्पादन में इस कॉर्पोरेशन का योगदान 56 प्रतिशत है।

नीपको भारत सरकार का शेड्यूल ए, मिनी रत्न श्रेणी-1 उद्यम है। वर्तमान में यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में पांच जलविद्युत और दो तापविद्युत बिजली घरों का संचालन करता है। इनकी अधिष्ठापित क्षमता 1130 मेगावॉट है, जिसमें पनबिजली क्षेत्र में 755 मेगावॉट और तापविद्युत (गैस आधारित) में  375 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इसके अलावा नीपको 12वीं येाजना में 922 मेगावाट की अतिरिक्त अधिष्ठापित क्षमता जुटाने की प्रक्रिया में हैं। इस प्रकार इसकी कुल अधिष्ठापित क्षमता बढक़र 2052 मेगावाट हो जाएगी। नीपको ने आने वाले वर्षों में कई जल विद्युत परियोजनाओं को जोडऩे की योजना बनाई है जिनमें अरुणाचल प्रदेश में महत्वाकांक्षी 3750 मेगावाट क्षमता वाली सियांग अपर स्टेज -2 एचईपी शामिल हैं।

नीपको वर्तमान में अपनी जल विद्युत परियोजनाओं से करीब 755 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है इनमें  असम की कोपिली जल  विद्युत परियोजना (150 मेगावाट), असम में  कोपिली बिजलीघर, स्टेज 1 विस्?तार (100 मेगावाट), असम में  कोपिली बिजलीघर, स्टेज 2 विस्?तार (25 मेगावाट), नागालैंड में दोयांड जल विद्युत संयंत्र (75 मेगावाट) और अरूणाचल प्रदेश में रंगानदी जल विद्युत संयंत्र (405 मेगावाट) शामिल हैं।

ताप बिजली क्षेत्र में नीपको 375 मेगावाट बिजली असम में मिलने वाली गैस से तैयार कर रहा है, असम (201 मेगावाट) और अगरतला गैस टर्बाइन प्लांट त्रिपुरा (84 मेगावाट), बिजली इसमें शामिल है। औसत प्लांट अवेलिबिटी (पीएएफ) 77 प्रतिशत रहा है जबकि ताप बिजली घरों का औसत पीएएफ वर्ष 2012-13 में 76 प्रतिशत रहा।

नीपको ने 12वीं योजना अवधि के दौरान 922 मेगावाट बिजली क्षमता जोडऩे की योजनाएं बनाई हैं, जिससे इस क्षेत्र में स्थापित क्षमता 1130 मेगावाट बढक़र 2052 मेगावाट हो जाएगी। जहां तक एटी एंड सी क्षतियों का संबंध है, नीपको पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में इन क्षतियों में कमी लाने के उद्देश्य से प्रेषण तंत्र मजबूत कर रहा है।

वर्तमान में इस कंपनी का शुद्ध लाभ रुपये 250 करोड़ है और अगले तीन वर्षों में यह बढक़र रुपये 800 करोड़ हो सकता है। नीपको कोयला और गैस का इस्तेमाल कर रहा है जो इस इलाके में बिजली तैयार करने के लिए बहुतायत से उपलब्ध है।

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