सामान्य ज्ञान
विटामिन बी1 का वैज्ञानिक नाम थायमिन हाइड्रोक्लोराइड है। वयस्कों को प्रतिदिन विटामिन बी1 की एक मिलीग्राम मात्रा आवश्यक होती है। गर्भवती स्त्रियों को अपने पूरे गर्भावस्था के समय तक विटामिन बी1 की 5 मिलीग्राम आवश्यक होती है। शरीर में विटामिन बी1 जरूरत से ज्यादा हो जाने पर पेशाब के साथ बाहर निकल जाता है। व्यक्ति की आयु बढ़ाने में लिए विटामिन बी1 का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
विटामिन बी1 की कमी से बेरी-बेरी रोग हो जाता है इसलिए इसको वैज्ञानिक बेरी-बेरी विटामिन भी कहते हंै। बेरी-बेरी रोग विशेष रूप से उन लोगों को होता है जो मशीन से पिसा हुआ आटा और चावल ज्यादा मात्रा में खाते हैं। यदि भोजन में विटामिन बी1 की कमी हो जाए तो शरीर कार्बोहाइड्रेटस तथा फास्फोरस का सम्पूर्ण प्रयोग कर पाने में समर्थ नहीं हो पाता। इससे शरीर में एक विषैला एसिड जमा होकर रक्त में मिल जाता हैं और मस्तिष्क के तंत्रिका संस्थान को हानि पहुंचाने लगता है। इसकी कमी से होने वाले बेरी-बेरी रोग में रोगी की मांसपेशियों को जहां भी छुआ जाए वहां वेदना होती है तथा उसके पश्चात स्पर्श शून्यता का आभास होता है। विटामिन बी1 का रोगी अक्सर अजीर्ण रोग रहता है।
वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन विटामिन बी1 900 यूनिट अ. ई. की आवश्यकता पड़ती है। विटामिन बी1 मूलांकुरों में अधिक पाया जाता हैं। दूध पीने वाले बच्चों को शरीर में विटामिन बी1 की कमी से उल्टी और पेट दर्द जैसे विकार हो जाते हैं। इसकी कमी हो जाने से रोगी की भूख मर जाती है तथा वजन तेजी से गिरने लगता है। हृदय और मस्तिष्क में कमजोरी तथा दूसरे दोष हो जाते हैं। पाचन अंगों को भारी हानि पहुंचती है जो पहले रोगी को समझ में नहीं आती लेकिन बाद में जब उसके भयंकर परिणाम सामने आते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स तथा फास्फोरस का शरीर में पूर्ण उपयोग तभी हो सकता है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी1 मौजूद हों। बहुत से चर्म रोग विटामिन बी1 की कमी की वजह से भोगने पड़ते हैं। पीलिया रोग के पीछे भी विटामिन बी1 की कमी होती है। मोटे व्यक्तियों को विटामिन बी1 की अधिक आवश्यकता होती है। इसकी कमी से हृदय बड़ा हो जाना रोगी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।