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बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और राज्य आमने सामने
14-Oct-2021 1:40 PM
बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और राज्य आमने सामने

केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल के कई सीमावर्ती राज्यों के अंदर कार्रवाई करने के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया है. राज्य इसका विरोध कर रहे हैं और इसे उनके अधिकारों पर अतिक्रमण बता रहे हैं.

  डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक नए आदेश के तहत पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा तलाशी और गिरफ्तारी करने के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया गया है. जहां पहले बीएसएफ के ये अधिकार राज्यों की सीमा के अंदर 15 किलोमीटर तक सीमित थे, वहीं अब इन्हें बढ़ा कर 50 किलोमीटर तक लागू कर दिया गया है.

इनके अलावा गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 80 किलोमीटर से घटा कर 50 किलोमीटर कर दिया गया है. राजस्थान में इसे पहले की तरह 50 किलोमीटर तक बरकरार रखा गया है. मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के पूरे इलाके में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को पहले की तरह बनाए रखा गया है.
आतंक और तस्करी पर लगाम

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बीएसएफ कहीं भी तलाशी और गिरफ्तारियां कर सकेगी. इन नए आदेशों पर बीएसएफ या केंद्र सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया में आई कई खबरों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इनका उद्देश्य बीएसएफ की कार्यक्षमता को बढ़ाना है.

दावा किया जा रहा है कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में इन बदलावों का उद्देश्य है सीमा पार से आने वाले ड्रोनों के जरिए आतंकी हमले और ड्रग्स और हथियारों की आपूर्ति को रोकना. असम और पश्चिम बंगाल में मवेशियों और अवैध मुद्रा की तस्करी और अवैध प्रवासन को रोकना भी उद्देश्य है.

पंजाब में विशेष रूप से इस नए आदेश का विरोध देखा जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए इसे संघीय ढांचे पर "सीधा हमला" बताया है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस आदेश को वापस लेने की अपील की है.

उनके अलावा पंजाब में कांग्रेस के और भी कई नेताओं ने नए आदेश का विरोध किया है. हालांकि पंजाब में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इसके लिए खुद चन्नी को जिम्मेदार बताया और उनकी आलोचना की.

बीएसएफ भारत के पांच सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, लेकिन यह एकलौता ऐसा बल है जिसके पास अपनी जल और वायु क्षमताएं और आर्टिलरी रेजिमेंट भी है. यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आती है. इसमें 2,50,000 से भी ज्यादा सैनिक और अधिकारी हैं और इसे दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल भी माना जाता है. (dw.com)

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