सामान्य ज्ञान

कॉयर और कोकोलॉन
15-Oct-2021 10:13 AM
कॉयर और कोकोलॉन

नारियल के भूसे से कॉयर नामक मजबूत रेशा प्राप्त होता है। नारियल का रेशा सबसे अधिक मजबूत प्राकृतिक रेशों में से एक है। वहीं कोकोलॉन नारियल रेशे के जाल से बना होता है। इसे बिछाकर जमीन पर घास लगाई जाती है। कम्बल के रूप में बना बनाया कोकोलॉन उपलब्ध कराया गया है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी से ले जाया जा सकता है और इस दौरान उसे मोडक़र रखा जा सकता है। सीमेन्ट से बने सतहों पर भी इसे रखा जा सकता है।

नारियल उद्योग का संवर्धन और विकास के लिए संसद  के विधान के अधीन वर्ष 1953 में कॉयर बोर्ड की स्थापना की गई। इसे कॉयर उद्योग अधिनियम 1953 ( 1953 का 45) के नाम से जाना जाता है। यह बोर्ड नारियल रेशे से धन कमाने से जुड़ी गतिविधियों में संलग्न रहा है। उसकी सेवा के साठ वर्ष पूरे हो रहे हैं। कॉयर बोर्ड इस क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा करता रहा है। इसका उद्देश्य देश में नारियल उद्योग का संवर्धन और विकास करना है। उस समय केरल ही एक मात्र ऐसा राज्य था जहां इसकी गतिविधियां केन्द्रित थीं। किन्तु आज 14 राज्यों में कॉयर बोर्ड की गतिविधियां जारी हैं और देश भऱ में इसके विक्रय केन्द्र हैं। नारियल रेशे से जुड़े कामगारों को इसने बीमा का लाभ भी उपलब्ध कराया है।

भारत में लगभग 10 लाख लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्य़क्ष रूप से इस उद्योग में लगे हुए हैं। कॉयर उद्योग में एक हजार से भी अधिक छोटे उत्पादक लगे हुए हैं। नारियल रेशे के पारंपरिक उत्पादों के अलावा कॉयर उद्योग अब कांफ्रेस बैगों, यूवी उपचारित छतरियों, कॉयर चटाईयों, कॉयर चप्पलों, नारियल रेशे से बने गार्डेन के लिए उपयोगी वस्तुओं, कॉयर प्लाय की वस्तुओं, कॉयर भूवस्त्र, कॉयर जेवरातों और हस्तकलाओं जैसे अनेक उत्पाद तैयार करते हैं।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news