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भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां और नोबेल पुरस्कार
15-Oct-2021 10:14 AM
भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां और नोबेल पुरस्कार

वर्ष 2013 में ब्रिटेन के 80 साल के वैज्ञानिक पीटर हिग्स और बेल्जियम के फ्रांसोआ आंगलेया को भौतिकी के लिए 2013 का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। स्विट्जरलैंड में महाप्रयोग के दौरान ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण खोजने वाले इन वैज्ञानिकों को इस साल भौतिक शास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस कण ही खोज पिछले साल हुई है।  उन्होंने इस अति सूक्ष्म कण हिग्स बोसोन के अस्तित्व के बारे में 1964 में ही भविष्यवाणी की थी।

वर्ष 1901 में भौतिकी का सबसे पहला नोबेल पुरस्कार जर्मनी के विल्हेल्म कोनराड रोएंटगेन को मिला। उन्होंने एक्स रे की खोज की। आज भी डॉक्टर उसका इस्तेमाल हड्डियों की चोट का पता लगाने के लिए करते हैं, लेकिन यह विकिरण कैंसर भी पैदा कर सकती है।

वर्ष 1903 में फ्रांस के आंत्वान आंरी बेकेरेल ने पता किया कि यूरेनियम जैसे कुछ भारी धातुओं के अणु अपने आप विघटित होते हैं। इस दौरान वे ऊर्जायुक्त विकिरण छोड़ते हैं। बेकेरेल ने इसके साथ रेडियोधर्मिता का पता लगाया। मारी क्यूरी और उनके पति पियेर ने और शोध किया। तीनों को नोबेल पुरस्कार दिया गया। रोशनी की किरणें धातु के टुकड़े से न्यूट्रॉन और प्रोटॉन जैसे कण निकाल सकती हैं।  इस फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव का अल्बर्ट आइनश्टाइन ने अध्ययन किया और बताया कि रोशनी और पदार्थ एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं और एक दूसरे में बदल सकते हैं। इसी सिद्धांत पर आज सौर ऊर्जा देने वाले पैनल बने हैं। इसके लिए उन्हें वर्ष 1921 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।

आज के सबसे लोकप्रिय उत्पाद स्मार्टफोन, लैपटॉप और आईपैड का श्रेय अमेरिका के विलियम शॉकली, जॉन बारडीन और वाल्टर ब्राटेन को जाता है। उन्होंने पहली बार ट्रांजिस्टर बनाया। ऐसे कंप्यूटर प्रोसेसर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट वाले इस तरह के लाखों प्रोसेसरों से बने हैं।  यह सिक्का आकार की तुलना के लिए है। इस के लिए 1956 मेें नोबेल मिला।  वहीं एक ही दिशा में जाने वाली प्रकाश की बहुत सारी किरणें, यानी लेजर, न केवल हमें सिर्फ रंग बिरंगा लाइट शो ही नहीं देता बल्कि यह धातु को काट सकता है। इसके विकास के लिए अमेरिका के चाल्र्स टाउन्स और रूस के निकोलाई बासोव और अलेक्जांडर प्रोखोरोव को 1964 में नोबेल पुरस्कार मिला।

वर्ष 1967 में श्ट्रासबुर्ग में जन्मे अमेरिकी हंस बेथे ने बताया कि सूरज जैसे हमारे सितारे इतने गर्म क्यों हैं। उन्होंने पाया कि सितारों के गर्भ में हाइड्रोजन के अणु गलकर हिलियम अणु पैदा करते हैं। नाभिकीय फ्यूजन से ऊर्जा पैदा होती है, जो किरणों के रूप में हम तक पहुंचती है। इस उपलब्धि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला।  होलोग्राम का श्रेय हंगरी के इंजीनियर डेनिस गाबोर को जाता है। उन्होंने पहली बार ऐसी त्रिआयामी चीजें बनाईं। नोटों में लगा होलोग्राम उन्हें जालसाजों से सुरक्षित बनाता है। वर्ष 1971 में गाबोर को नोबेल पुरस्कार मिला। 

वहीं छोटी चीजों को देखने की संभावना हमें जर्मनी के एर्नेस्ट रुस्का ने दी। उन्होंने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप बनाया, जो लाइट माइक्रोस्कोप की तुलना में हजार गुना बेहतर तस्वीरें देता है। उससे कीड़े की ऐसी तस्वीरें लेना संभव है। उन्हें 1986 में नोबेल मिला। वर्ष 1988 में अमेरिका के लियोन मैक्स लेडरमन, मेलविन श्वार्त्ज और जैक श्टाइनबर्गर ने बताया कि न्यूट्रीनो सचमुच होते हैं। न्यूट्रीनो अत्यंत हल्के तत्व होते हैं, लेकिन मुश्किल ये है कि वे हमारी धरती के तत्वों के साथ इंटरएक्ट नहीं करते।

लैपटॉप के हार्ड ड्राइव का आकार छोटा हो रहा है, लेकिन उस पर डाटा जमा करने की क्षमता बढ़ती जा रही है।  इसकी वजह चुम्बकीय प्रतिरोध है, जो स्टोरेज मीडियम को खास तरह से बनाने से पैदा होता है। इसका पता जर्मनी के पेटर ग्रूनबर्ग और फ्रांस के अल्बेयर फैर ने किया। इसके लिए उन्हें 2007 में नोबेल मिला। वर्ष 2009 में चीनी मूल के अमेरिकी भौतिकशास्त्री चाल्र्स कून काव ने फाइबर केबल का विकास किया। वह टेलिफोन बातचीत या वेबसाइट की सूचना को तेजी से और बिना किसी गलती के ट्रांसपोर्ट करता है। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक डाटा को अल्ट्रा शॉर्ट लाइट पल्स में बदल दिया जाता है।

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