सामान्य ज्ञान

आसिफउद्दोला
20-Oct-2021 6:37 PM
 आसिफउद्दोला

नवाब असिफुद्दोला या असफ़-उद-दौला (1748-09-23 - 1797-09-21) शुजा-उद-दौला के बेटे और 1775 से 1797 तक अवध के चौथे नवाब (नवाब वज़ीर अल-मालिक) थे। असिफुद्दोला के बारे में एक कहावत है - जिसको न दे माउला उसे दे असिफुद्दोला (जिसको भगवान भी कुछ नहीं देता है, उसको असिफुद्दोला देते हैं। यह असिफुद्दोला की दानवीरता के विषय में है।)

उस समय अवध को भारत का अन्न भण्डार माना जाता था जो कि दोआब कहलाए जाने वाले गंगा नदी और यमुना नदी के बीच की उपजाऊ ज़मीन के क्षेत्र पर नियंत्रण करने के लिए कूटनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था। यह बहुत ही धनवान राज्य था और यह मराठों, अंग्रेज़ों और अफग़़ानों से अपनी स्वतंत्रता कायम रख पाया था। सन 1732 में अवध के नवाब सआदत अली खान ने अवध के स्वतन्त्र होने की घोषणा कर दी थी। रोहिल्ला ने भी स्वतन्त्र रोहेलखण्ड की स्थापना की, रोहिल्लो का राज्य सन 1774 तक चला जब अवध के नवाब ने अंग्रेज़ों की ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से उन्हें हरा दिया था। असिफुद्दोला के पिता, अवध के तीसरे नवाब सुजाउद्दोला ने बंगाल के बागी नवाब मीर कासिम के साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ़ संधि कर ली जिसके कारण अंग्रेज़ नवाब सुजाउद्दोला के विरोधी हो गए थे।

1775 में नवाब असिफुद्दोला ने अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ स्थानांतरित किया था और फिर उन्होंने लखनऊ में बहुत से भवन बनाए जिनमें बड़ा इमामबाड़ा प्रमुख है। जिसे आसफी इमामबाड़ा भी कहते हैं। इसमें विश्व-प्रसिद्ध भूलभुलैया बनी हैं, जो अनचाहे प्रवेश करने वाले को रास्ता भुला कर आगे जाने से रोकतीं थीं। इसका निर्माण नवाब ने राज्य में पड़े अकाल से निबटने के लिए  किया था। इसमें एक गहरी बावली भी है।

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