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केबीसी यानि कौन बनेगा करोड़पति में साहिल अहिरवार ने एक कठिन सवाल का जवाब देकर 01 करोड़ रुपए जीत लिए. उनसे पूछा गया था कि अतिथि देवो भव किस उपनिषद से ताल्लुक रखता है. साहिल ने इसका सही जवाब दिया और 01 करोड़ जीतकर अपना सपना पूरा कर लिया.
गौरतलब है कि हमारे उपनिषदों की संख्या 108 है. इसी में एक है तैत्तिरीयोपनिषद, जिससे ये सवाल ताल्लुक रखता है. दरअसल अतिथि देवो भव एक पूरा श्लोक है, जो इस तरह है
मातृ देवो भव। पितृ देवो भव। आचार्य देवो भव। अतिथि देवों भव।
यानि माता को, पिता को, आचार्य को और अतिथि को देवता के समान मानकर उनके साथ व्यवहार करो. हम अक्सर अपने देश में लोगों को अतिथि देवो भव कहते सुनते हैं. भारतीय टूरिज्म डिपार्टमेंट ने इसे अपना मूल वाक्य भी बनाया हुआ है.
क्या है तैत्तिरीयोपनिषद
अब हम आपको बताते हैं कि तैत्तिरीयोपनिषद है क्या. ये कृष्ण यजुर्वेद शाखा का यह उपनिषद तैत्तिरीय आरण्यक का एक भाग है. इस आरण्यक के सातवें, आठवें और नौवें अध्यायों को ही उपनिषद की मान्यता प्राप्त है. इस उपनिषद के रचयिता तैत्तिरि ऋषि थे, इसलिए इसे तैत्तिरीयोपनिषद भी कहते हैं.
क्या है इसमें
इसमें तीन वल्लियां- ‘शिक्षावल्ली,’ ‘ब्रह्मानन्दवल्ली’ और ‘भृगुवल्ली’ हैं. इन तीन वल्लियों को क्रमश: बारह, नौ तथ दस अनुवाकों में विभाजित किया गया है. इस उपनिषद द्वारा तैत्तिरि ऋषि ने अपने पूर्ववर्ती आचार्य सत्यवचा राथीतर, तपोनिष्ठ पौरूशिष्टि, नाकमोद्गल्य और त्रिशंकु आदि आचार्यों के उपदेशों को मान्यता दी है.
क्या होते हैं उपनिषद
उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं. ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं. संस्कृत में लिखे गये हैं. इनकी संख्या लगभग 108 है, किन्तु मुख्य उपनिषद 13 हैं. हर एक उपनिषद किसी न किसी वेद से जुड़ा हुआ है. इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन दिया गया है.
उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिन्तन के मूल आधार हैं, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं. वे ब्रह्मविद्या हैं. जिज्ञासाओं के ऋषियों द्वारा खोजे हुए उत्तर हैं. वे चिन्तनशील ऋषियों की ज्ञानचर्चाओं का सार हैं.