संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हार की जीत, विराट ने मैदान पर पढ़ दी सुदर्शन की कहानी
25-Oct-2021 3:56 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हार की जीत, विराट ने मैदान  पर पढ़ दी सुदर्शन की कहानी

किसी हार में भी कोई जीत हो सकती है यह सोचना थोड़ा मुश्किल है। बहुत पहले सुदर्शन की बाबा भारती और खडग़सिंह वाली विख्यात कहानी, ‘हार की जीत’ में जरूर ऐसा था, लेकिन असल जिंदगी में बीती रात भारत और पाकिस्तान के मैच में यह देखने मिला। मैच में हिंदुस्तान खासी बुरी तरह हारने के बाद भी बहुत अच्छी तरह जीत गया। खुद पाकिस्तान में पाकिस्तान की जीत की जिस किस्म से खुशी मनाई जा रही है, उसी किस्म से सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमी इस बात की खुशी भी मना रहे हैं कि भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने मैच हारने के बाद किस तरह पाकिस्तानी कप्तान को बधाई दी, हंसते-मुस्कुराते हुए हर खिलाड़ी से गले मिले, और पूरे मैच के दौरान भी तनाव मुक्त रहे। इस पर पाकिस्तान के लोगों ने इतना सुंदर लिखा कि बस। एक महिला ने लिखा कि इतिहास इन तस्वीरों को याद रखेगा। एक दूसरे ने लिखा कि विराट कोहली बहुत अच्छे शख्स हैं जो जानते हैं कि यह खेल है युद्ध नहीं। एक खिलाड़ी ने लिखा-‘खुद एक खिलाड़ी होने के नाते मुझे यह लम्हा बहुत अच्छा लगा क्योंकि खेलना ही खेल भावना है शाबाश विराट कोहली’। एक और पाकिस्तानी ने मजाकिया लहजे में लिखा-‘विराट कोहली को अपनी टीम में शामिल होने का न्योता देने में कोई नुकसान नहीं है वह पहले से ही घुले मिले हुए हैं’। एक और ने लिखा-‘वहां भारतीय और पाकिस्तानी साथ साथ खेल रहे हैं और यहां हम बेवकूफों की तरह लड़ रहे हैं’। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने मैच के दौरान भी एक बड़प्पन का खुशमिजाज बनाए रखा और मैच के बाद भी उन्होंने कहा कि हम हारे हैं जिसे हम मंजूर करते हैं और पाकिस्तान को जीत का श्रेय देते हैं उन्होंने वाकई हमें हर क्षेत्र में मात्र दी। कोहली ने कहा उनके बल्लेबाजों ने जिस अंदाज में बल्लेबाजी की उसने हमें कोई मौका नहीं दिया। कोहली के अलावा धोनी भी पाकिस्तानी खिलाडिय़ों से खेल भावना में अच्छे मिजाज में बात करते दिखे, और धोनी की भी तारीफ हो रही है।

भारत और पाकिस्तान के बीच सरहद पर जो नफरत चलती है, और जो जंग राजधानियों में बैठकर लड़ी जाती है, और सरहद के दोनों तरफ के जो धर्मांध कट्टरपंथी लगातार एक जंग की उम्मीद करते हैं, और दुनिया के हथियारों के सौदागर इन दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाते चलने में भरोसा रखते हैं, और जिस तरह इन दोनों देशों के नेता कई बार अपनी घरेलू दिक्कतों को अपने वोटरों की नजरों से पीछे धकेलने के लिए दूसरे देश पर तोहमत लगाते हैं, उन सबको अगर देखें तो लगता है कि जिस तनाव का जिक्र करके क्रिकेट को रोकने की कोशिश की जा रही है, उस तनाव को तो क्रिकेट कम ही करता है। और महज क्रिकेट नहीं इन दोनों देशों के बीच लेखक, शायर, संगीतकार और कलाकार भी तनाव को कम करने में मदद करते हैं, यह एक अलग बात है कि दोनों तरफ के कट्टरपंथी अपनी हस्ती और मौजूदगी को साबित करने के लिए वक्त-वक्त पर तोहमतें लगाते हैं, हिंसा करते हैं, और सरहद पार के लोगों को भगाने की बात करते हैं। ऐसा सिर्फ पाकिस्तान में होता है ऐसा भी नहीं, हिंदुस्तान में भी मुंबई में कई बार ऐसा होता है। मुंबई में भी टीवी के रियलिटी शो में हिस्सा लेने वाले कुछ पाकिस्तानी कलाकारों को वापिस भेज दिया जाता है क्योंकि सांप्रदायिक संगठन उनके खिलाफ तनाव खड़ा करने लगते हैं।

अभी जब भारत और पाकिस्तान के बीच टी-20 का यह मैच खेला जाना तय हुआ था उस वक्त हिंदुस्तान में भाजपा के मददगार माने जाने वाले और एक कट्टर मुस्लिम राजनीति करने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने खुलकर इस मैच का विरोध किया था, और कहा था कि जब कश्मीर में आतंकी हमलों में हिंदुस्तानी सैनिक मारे जा रहे हैं, तब हिंदुस्तानी टीम को पाकिस्तानी टीम के साथ क्रिकेट क्यों खेलना चाहिए। यह बात अपने आपको एक कट्टर राष्ट्रवादी साबित करने की कोशिश अधिक थी जिसमें अंतरराष्ट्रीय समझ-बूझ छू भी  नहीं गई थी। ओवैसी कट्टरता की बातें करने के लिए जाने जाते हैं, और मुस्लिमों के बीच अपने एक सीमित समर्थक तबके को बाकी हिंदुस्तानियों के मुकाबले अधिक राष्ट्रवादी साबित करने के लिए, अधिक बड़ा देशभक्त साबित करने के लिए, उन्होंने इस किस्म की भडक़ाने वाली बात की थी। ऐसी बात तो हिंदुस्तान के सबसे अधिक सांप्रदायिक दूसरे हिंदू संगठनों ने भी नहीं की थी, उन्होंने भी पाकिस्तान के साथ मैच के बहिष्कार का कोई फतवा नहीं दिया था जो कि ओवैसी ने दिया।

लेकिन विराट कोहली की दरियादिली और खेल भावना के इस मौके पर जब चारों तरफ सब कुछ अच्छा अच्छा लिखा जा रहा था उसके बीच भी एक गंदी बात करने से भारत के एक बड़े उद्योगपति हर्ष गोयनका नहीं चूके। हर्ष गोयनका ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं और कई किस्म की सकारात्मक बातें भी पोस्ट करते हैं, लेकिन कल उन्होंने पाकिस्तान के टॉस जीतने के बाद यह लिखा- ‘पाकिस्तान ने टॉस जीता और यह तय किया कि वह इस सिक्के को वापस पाकिस्तान ले जाएंगे ताकि वहां की अर्थव्यवस्था सुधर सके’। यह बात एक मजाक के रूप में तो तीखा तंज हो सकती थी, लेकिन कल का मौका बड़प्पन दिखाने का था, और दोनों देशों के बीच जिसने बड़प्पन दिखाया, उसने महफिल लूटी। हर्ष गोयनका की इस बात पर एक प्रमुख पत्रकार हृदयेश जोशी ने तुरंत लिखा कि इस ट्वीट को देखकर मास्टर कार्ड का विज्ञापन याद आ रहा है जो कहता है कि कुछ चीजें पैसों से नहीं खरीदी जा सकतीं। वैसे ही गोयनका साहब के लिए तमीज किसी मास्टर कार्ड से नहीं खरीदी जा सकती।

भारत और पाकिस्तान के बीच मैच दोनों देशों में खेल की सबसे बड़ी उत्सुकता का मौका रहता है, और इससे बड़ा मैच इन दोनों देशों के लिए दुनिया में और कुछ भी नहीं होता है। ऐसे ही मौके पर खेल यह साबित कर सकता है कि वह सरहद के सारे तनाव को कम करने की ताकत रखता है। ऐसे ही मौके पर खिलाड़ी यह साबित कर सकते हैं कि वे नेताओं और फौजी जनरलों के मुकाबले बेहतर इंसान हैं। ऐसे ही मौके पर क्रिकेट का बैट न केवल गेंद को मैदान के बाहर फेंक पाता है बल्कि हथियारों के सौदागरों की तमाम किस्म की साजिशों को भी दोनों देशों से बाहर फेंकने की कोशिश करता है। ऐसे मौके एक दरियादिली और बड़प्पन दिखाने के रहते हैं, मोहब्बत दिखाने के रहते हैं, और भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने सचमुच यही एक विराट दिल कल दिखाया, जब उन्होंने हार के बावजूद पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को लिपटाकर बड़प्पन और मोहब्बत से बातें की, और हारते हुए भी उन्होंने तनाव को अपने पर हावी नहीं होने दिया। यह सिलसिला जारी रखना चाहिए, सरहद के दोनों तरफ बुरे लोग भी हैं, और अच्छे लोग भी हैं, बुरे लोग दिखते अधिक हैं, लेकिन अच्छे लोग गिनती में ज्यादा हैं। ऐसे ही मौके हैं जब लोगों को दोनों देशों के बीच दोस्ती की संभावनाओं को टटोलना चाहिए जिन्हें कि वोटों के चक्कर में पड़े हुए नेता नहीं तलाश सकते। खेल भावना ने बहुत ही तंग नजरिए वाले राष्ट्रवाद को उसकी जगह दिखा दी है, और इसके लिए किसी आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ी, झंडे-डंडे  की जरूरत नहीं पड़ी, और थोड़ी सी मोहब्बत, और थोड़ी सी दरियादिली से यह काम हो गया।  पाकिस्तान की टीम मैच जीतने की लिए, और विराट कोहली और उनकी टीम हार के बाद भी मोहब्बत का बर्ताव करने के लिए बधाई की हकदार है। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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