विचार / लेख

वह पूरब है, यह पश्चिम है
15-Nov-2021 7:08 PM
वह पूरब है, यह पश्चिम है

-प्रकाश दुबे
गुजरात, गोवा, नगालैंड, मेघालय में समानता बताना आसान है। सार्वजनिक जीवन और राजनीति में दिलचस्पी लेने वाले चट से बता देंगे कि फूल खिले हैं-गुलशन गुलशन। और अंतर? अनेक हैं। पूर्वोत्तर के राज्य सागर तट से दूर हैं। पश्चिम में सागर और समृद्धि है। भ्रष्टाचार, हिंसा जैसी नकारात्मक तुलना से बचने की चतुराई दिखाते हुए गुजरात में शाकाहार की बात करते हैं। आदिवासी बहुल पूर्वोत्तर से लेकर गोमंतक तक मांसाहार में गोमांस वर्जित नहीं है। भूपेन्द्र पटेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद दिलचस्प बदलाव दिखा। बड़ा प्रधान और हाल की आजादी के बाद के दोनों सरदारों का गृहराज्य सफाई अभियान में जुटा है। शहरों में मुख्य मार्गों से मांस और मांसाहारी व्यंजन की बिक्री बंद कराई जा रही है। राजकोट के महापौर प्रवीण दवे ने स्वयं पहल करते हुए चेतावनी दी-हमारी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात सहन नहीं होगा। पूरब में सूरज के उजाले में सब चलता है।  

अच्छे दिन वाले भाई
बृहन्मुंबई से कीचड़ उछाल खेल बंगलूरु की तरफ रवाना हो चुका है। इसका दूसरा छोर राजनीतिक नियुक्तियों से जुड़ता है। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक पर आरोप चस्पा किया गया कि उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारी अनीस शेख को वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी बनाया। उससे ठीक पहले वक्फ संपत्तियों पर केन्द्रीय एजेंसी का छापा पड़ा। काल का पहिया कुछ हड़बड़ी में घूमा कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड के अध्यक्ष पर पर बार बार सेवा विस्तार पाने वाले प्रमोद चंद मोदी सहसा राज्यसभा के महासचिव बने। राज्यसभा में पहली बार संसद संवर्ग के अधिकारी आचार्युलु चरण सिंह की बिरादरी में शामिल हुए। चौधरी चरण सिंह की तरह संसद के एक भी अधिवेशन का सामना किए बगैर आचार्युलु ने त्यागपत्र दिया। मोदी से पहले सुशील चंद्रा प्रत्यक्ष कर बोर्ड से सेवानिवृत्त होते ही निर्वाचन आयोग में पहुंचे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। राकेश अस्थाना सीबीआई में फिट नहीं किए जा सके। सेवानिवृत्त होकर दिल्ली पुलिस की कमान संभाल रहे हैं। नौकरशाहों के साथ-साथ अच्छे दिन आए। आडवाणी, जोशी जैसे राजनीतिक जबरन रिटायर कर दिए गए।

कहां खो गए कठोर
नकारात्मकता भी एक तरह की बीमारी ही है। इसे दूर करने में कई परमवीर जुटे हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन लोक से न्यारी काशी में राजभाषा का महत्व बताया। यह भी बताया कि वीर सावरकर ने हिंदी की भरपूर सेवा की। साल भर का सेवाविस्तार पाने के बाद केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला कोलकाता पहुंचे ताकि बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने के लिए जमीन हासिल की जा सके। रिटायरमेंट के बाद अपने ओहदे से अधिक जिम्मेदारी संभालने वाले अजीत डोभाल ने सीमावर्ती राज्यों में केन्द्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती शुरु कर दी है। राज्यों की अपनी उपलब्धियां और कमियां होगी छोटे मोटे फोड़े फुंसी ठीक होने का नाम नहीं ले रहे हैं। नीरव मोदी वगैरह के नाम लोग भूल चुके हैं। अपराधों पर रोक लगाकर चुनाव कराना है। स्काटलैंड यार्ड की बराबरी करने वाली पुलिस और देश का पूरा गृह मंत्रालय पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी परमवीर को तलाश नहीं कर पा रहे हैं। अजब इत्तेफाक है। सुप्रीम कोर्ट की लताड़ का असर नजर नहीं आ रहा है।

स्मारक संस्कृति
जयराम रमेश और तरुण विजय दोनों को पढऩे लिखने वाला वर्ग पहचानता है। तरुण पांचजन्य के संपादक रहते हुए फिल्म पुरस्कारों के निर्णायक रह चुके हैं। जयराम रमेश अनेक पुस्तकें लिख चुके हैं। दोनों बरसों से राज्यसभा सदस्य हैं। प्रहलाद सिंह पटेल ने संस्कृति मंत्री बनने के बाद  तरुण विजय को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया। पटेल के रहते तक रमेश कुछ नहीं बोले। तरुण विजय पर भी कोई आरोप नहीं लगाया। संस्कृति मंत्रालय आदिवासियों को लुभाने के लिए15 नवम्बर को जनजातीय सम्मेलन कर रहा है। ठीक पहले जयराम रमेश ने मेघवाल के पीछे पटाखा बांध दिया। संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की तैयारीकर ली। नवम्बर अंत में संसद का अधिवेशन  होगा।  रमेश का कहना है कि मंत्री ने 2010 में पारित अधिनियम का पालन नहीं किया। हर सूराख में ताक झांक कर खबर लाने वाले को पत्रकार कहते हैं। रमेश पत्रकार को विशेषज्ञ और मंत्री को जानकार मानने के लिए राजी नहीं हैं।
  (लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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