सामान्य ज्ञान
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) एशिया में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण फिल्म समारोहों में से एक है। इसका उद्देश्य विभिन्न देशों के सामाजिक, सांस्कृतिक लोकाचार के संदर्भ में समझ और फिल्म संस्कृति की सराहना करने, दुनिया के लोगों के मध्य मैत्री और सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व सिनेमा को फिल्म कला की उत्कृष्टता दर्शाने के लिए साझा मंच उपलब्ध कराना है।
आईएफएफआई का पहला संस्करण फिल्म प्रभाग, भारत सरकार द्वारा 1952 में मुंबई में आयोजित किया गया था। इसमें चालीस फीचर और सौ लघु फिल्में शामिल की गई थी। इसके बाद यह समारोह चेन्नई, दिल्ली और कोलकाता में ले जाया गया। इस समारोह का स्वरूप गैर-प्रतिस्पर्धात्मक था और इसमें चौबीस देशों ने भाग लिया। मुख्य समारोह का आरंभ मुंबई में हुआ था जिसका उद्घाटन तत्कालीन सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री श्री के.के. दिवाकर ने किया था। दिल्ली सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 21 फरवरी, 1952 को किया था।
1952 में शुरूआत के बाद आईएफएफआई भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा आयोजन है। बाद में आईएफएफआई नई दिल्ली में आयोजित किए गए। जनवरी, 1965 में आयोजित तीसरे संस्करण से यह प्रतिस्पर्धी बन गया। इसके बाद इसे केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम ले जाया गया था। 1975 में फिल्मोत्सव की गैर-प्रतिस्पर्धी तथा एक साल के अंतराल के बाद अन्य फिल्म निर्माण करने वाले शहरों में आयोजित करने की शुरूआत की गई। बाद में फिल्म महोत्सवों का आईएफएफआई में विलय कर दिया गया। 2004 में इसे त्रिवेन्द्रम से गोवा लाया गया, तब से आईएफएफआई वार्षिक और प्रतिस्पर्धी आयोजन बन गया है।
आईएफएफआई का 44वां संस्करण 20 -30 नवंबर, 2013 को गोवा में आयोजित किया गया । इस समारोह में भारतीय पैनोरमा श्रेणी में समकालीन भारतीय सिनेमा की 26 फीचर फिल्में और 16 गैर-फीचर फिल्में शामिल हैं। फीचर फिल्म श्रेणी में जिन फिल्मों को चुना गया है, उनमें छह मलयालम, पांच बांगला, पांच हिन्दी, तीन मराठी और दो अंग्रेजी में हैं। कोंकणी, कन्नड, मिसिंग, उडिय़ा और तमिल में एक-एक फिल्म का चयन किया गया है।
इस समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म को 40 लाख रूपए नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा, जिसे फिल्म के निर्माता और निर्देशक में बराबर-बराबर बांटा जाएगा। फिल्म के निदेशक को नकद पुरस्कार के अलावा गोल्डन मयूर और प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा। रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और नकद पुरस्कार 15 लाख रूपए का होगा, जो श्रेष्ठ निदेशक को दिया जाएगा, जबकि सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं (पुरूष) और (महिला) को रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 10 लाख रूपए का नकद इनाम दिया जाएगा। किसी फिल्म (फिल्म के किसी भी पहलू के लिए जिसे जूरी पुरस्कार या मान्यता देना चाहती है) या व्यक्ति (फिल्म के लिए उसके कलात्मक योगदान के लिए) को रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 15 लाख रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रतिष्ठित लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार में 10 लाख रूपए का नकद पुरस्कार, प्रमाण-पत्र, एक शॉल और दुपट्टा सिनेमा के लिए विशिष्ट योगदान देने वाले मास्टर फिल्म निर्माता को प्रदान किया जाएगा। प्रतिष्ठित चेक फिल्म निर्माता जिरी मेंजेल इस वर्ष का यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं। शताब्दी पुरस्कार रजत मयूर, प्रमाण-पत्र और 10 लाख रूपए का नकद पुरस्कार उस फीचर फिल्म को दिया जाएगा, जो सौंदर्य, तकनीक या प्रौद्योगिकी नवाचार के रूप में मोशन फिक्चरों में नये प्रतिमान को दर्शाती हों।