विचार / लेख
-प्रकाश दुबे
नाम के मुताबिक महुआ जब भभकती हैं, तब अच्छे-अच्छों का नशा उतर जाता है। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा से पहली कतार के मंत्री तक पंगा नहीं लेते। ममता बनर्जी ने नारियल और काजू फेनी के इलाके में महुआ को उतारा। पहले ही दिन उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का पानी उतार दिया। महाराष्ट्र के सिंधुदर्ग जिले में सावंत ने खनन की लीज ली। महाराष्ट्र के नेता चुप रहे। महुआ ने तारीख तक बता दी और पूछा-7 नवंबर 2019 को माइनिंग लीज ली। जनता को बताओ कि इसके लिए धन कहां से आया? सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की महिला अध्यक्ष ने महिला रजनी पाटील कोगोवा के मोर्चे पर लगाया। तृणमूल कांग्रेस की महिला अध्यक्ष ने तेजतर्रार महिला सांसद को गोवा भेजा। महुआ के धमाके से दिल्ली दहली। मजेदार बात है कि सावंत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद दावा किया था कि राज्य में तीन महीने के अंदर उत्खनन शुरू करा देंगे।
विज्ञान के भगवान
फिल्म महोत्सव के बाद गोवा में एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय मेला लगने वाला है। इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल को आजादी के अमृत महोत्सव से जोडक़र विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डा जितेन्द्र सिंह ने गोवा पहुंचने से पहले अपनी राय दे दी। उन्होंने बता दिया कि हम तो यही मानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। इससे किसी के अंगना में धमाल न मचे, इसलिए ज्ञान मेले को केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों से जोडऩे का आदेश जारी किया। दस दिसम्बर को शुरु होने वाले में विज्ञान को जिन कार्यक्रमों से जोडऩा है, उनकी सूची से कुहासा साफ होगा। मेले में कुछ कार्यक्रमों का समर्थन करना है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, नमामि गंगे, स्मार्ट सिटी जैसे प्रधानमंत्री की पसंदीदा कार्यक्रमों को इनमें शामिल किया गया है। इस सूची से प्रधानमंत्री प्रसन्न होंगे। डॉ. जितेन्द्र सिंह को उम्मीद है कि इनसे आत्मनिर्भर भारत को उन्नत भारत बनाने में मदद मिलेगी। ऐसी मदद से राज्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल जाता है।
क्षमा मांगना और करना
पांसे पलटने से खेल बिगड़ता है। गुरू पर्व पर किसान विरोधी विधेयक वापस लेने का ऐलान हुआ। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री उत्तर प्रदेश में प्रचार की तैयारी में जुटे हैं। गृहमंत्री ने देश के सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को लखनऊ हाजिर करने का आदेश जारी किया। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर चर्चा होती तो देशवासियों को पता लगता कि उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक कार्यालय में उन आतंकवादियों की सूची तैयार थी, जिन्हें मुठभेड़ में मार गिराया। 20 नवंबर को बैठक शुरू हुई और उसके ठीक पहले पुलिस महानिदेशक को बयान जारी करना पड़ा कि श्रीनगर के हैदरपुरा में जिन्हें आतंकी और उनके साथी बताया जा रहा था, वे नागरिक थे। पुलिस महानिदेशक ने अपने प्रधानमंत्री का अनुगमन करते हुए तपाक से इस भूल के लिए जाहिरा तौर पर माफी मांग ली है। मृतकों को उनके घर से बहुत दूर दफन किया। होहल्ला मचने पर लाशें वापस निकाली गईं। केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र को अब तक क्यों नहीं हटाया गया? पूछने की जुर्रत कौन करता? न गृह मंत्री ने बताया।
आजाद भारत का कालापानी
आजादी के दीवानों को फिरंगी सरकार अंडमान निकोबार द्वीप समूह भेजा करती थी। अनेक क्रांतिकारी पोर्टब्लेयर की सेलुलर जेल में मर खप गए। सजा का नाम ही कालापानी मशहूर हो गया। आजादी की तारीख आप चाहे जो मान लें, स्वतंत्र भारत में बड़े ओहदे पर विराजमान लोगों के लिए मुख्यभूमि में ही कालापानी है। संविधान का अनुच्छेद-370 विलोपित होने के दौरान जिस राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर राज्य की बागडोर संभाली, उसे पहले गोवा भेजा गया और कुछ समय बाद मेघालय। चौधरी चरण सिंह और मधु लिमये के नेतृत्व में काम कर चुके सत्यपाल मलिक निडर होकर किसानों के पक्ष में घूम रहे हैं। मद्रास हाइकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी ने बेधडक़ न्याय की राह की गंदगी साफ की। उन्हें मेघालय उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश बनाकर भेजा गया। मलिक और और बनर्जी की विशेषता समान है। दोनों न झुके, न माफी मांगी और न कर्तव्य से पीछे हटे।
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)