अंतरराष्ट्रीय

विरासत बचाने को संघर्ष कर रहे हैं पेरिस के मशरूम किसान
23-Nov-2021 3:06 PM
विरासत बचाने को संघर्ष कर रहे हैं पेरिस के मशरूम किसान

दो सदी पहले पेरिस में किसानों ने भूमिगत मशरूम उगाने की एक क्रांतिकारी विधि का आविष्कार किया था. लेकिन आज कुशल किसानों की कमी के कारण अनूठी कृषि विरासत खतरे में है.

  (dw.com)

विडंबना यह है कि परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले सफेद बटन मशरूम और उनके अधिक स्वादिष्ट भूरे रंग वाले मशरूम की मांग हमेशा की तरह अधिक है. कुछ सदी पहले पेरिस में किसानों ने चूना पत्थर की खानों के चक्रव्यूह में मशरूम के उत्पादन के साथ प्रयोग किया, जिससे मशरूम की खेती में क्रांति आई.

ये किसान न केवल एक विशेष प्रकार के मशरूम की खेती करने में सफल हुए बल्कि बाद में इस प्रकार के मशरूम को एक नियमित राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी जाना जाने लगा. आज मशरूम की खेती की ऐसी अनूठी विरासत लुप्त होती दिख रही है क्योंकि ऐसे मशरूम उगाने के लिए गिने-चुने किसान ही बचे हैं.

मांग तो है लेकिन किसान नहीं
किसान शौआ-मौआ वांग कहते हैं, "यह ग्राहकों को खोजने का सवाल नहीं है, मैं वह सब कुछ बेचता हूं जो मैं पैदा कर सकता हूं."

पेरिस क्षेत्र में वांग वांग सबसे बड़ी भूमिगत खेती गुफा चलाते हैं, जो वास्तव में सीन नदी के ऊपर झांकते हुए पहाड़ की तलहटी में डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सुरंगों का एक जाल है.

वांग पेरिस के कुछ सबसे प्रसिद्ध और पुरस्कार विजेता शेफ को अपने मशरूम बेचते हैं. उनके मशरूम स्थानीय सुपरमार्केट में भी बिकते हैं.  उनके मशरूम थोक बाजार में लगभग साढ़े तीन यूरो प्रति किलोग्राम के भाव से बिकते हैं, जो काफी अधिक है.

वांग को हाल ही में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा. सैकड़ों किलोग्राम मशरूम, जिन्हें 'सांप छतरियां' भी कहा जाता है, मजदूरों की कमी के कारण बर्बाद हो गए. वांग के पास माल उठाने और स्टोर करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं थे. केवल 11 कर्मचारी ही काम पर लौट पाए, जबकि बाकी बीमारी के कारण गैरहाजिर रहे. वांग कहते हैं, ''दिन भर अंधेरा होता और मजदूर पूरे दिन काम नहीं करना चाहते.''

चैंपियंस ऑफ पेरिस मशरूम
वांग फ्रांस के उन पांच किसानों में से एक हैं जो ऐसे दुर्लभ मशरूम उगाते हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में "चैंपियंस ऑफ पेरिस" के रूप में जाना जाता है. पेरिस के उत्तर में लंबे समय से खोदी गई खदानों से मशरूम का उत्पादन और कम हो गया है.

19वीं सदी के अंत तक ऐसे 250 तक किसान थे. उस समय बड़ी संख्या में किसानों ने 'शाही मशरूम' की ओर रुख किया. इस प्रकार के मशरूम की खेती तब वर्साय में राजा लुई चौदहवें द्वारा शुरू की गई थी. राजा ने असाधारण प्रसिद्धि प्राप्त की. तब किसानों ने यह भी पता लगाया कि इस मशरूम उत्पादन का तापमान, आर्द्रता और अंधेरा साल भर कैसे प्राप्त किया जा सकता है.

उन्होंने पाया था कि अगर खाद आधारित सब्सट्रेट ऐसे गहरे भूमिगत क्षेत्र में रखे जाते हैं जहां तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित किया जा सकता है और अंधेरा उत्पत्ति को बढ़ावा देगा, तो एगारिकस बिस्पोरस (मशरूम) साल भर बढ़ेगा.

पेरिस शहर का तेजी से विस्तार और विशेष रूप से शहर के भूमिगत मेट्रो नेटवर्क के निर्माण ने 1900 की शुरुआत में मशरूम उत्पादकों को शहर से बाहर धकेलना शुरू कर दिया. 1970 के दशक में शहर के उपनगरों में लगभग 50 भूमिगत खदानें थीं जहां मशरूम उगाए जाते थे और अक्सर यह काम पीढ़ियों से चला आ रहा था.

विदेशों से मशरूम के सस्ते आयात ने स्थानीय स्तर पर ऐसे दुर्लभ और कीमती मशरूम की खेती और उत्पादन के अवसरों को और कम कर दिया है. अब नीदरलैंड्स, पोलैंड और चीन में पैदा हुए मशरूम फ्रांस में जगह बना रहे हैं.

एए/वीके (एएफपी)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news