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कपड़ा, फुटवियर, स्टेशनरी पर 12 फीसदी जीएसटी अस्वीकार, देश भर के संगठन करेंगे आंदोलन-कैट
26-Nov-2021 12:51 PM
कपड़ा, फुटवियर, स्टेशनरी पर 12 फीसदी जीएसटी अस्वीकार, देश भर के संगठन करेंगे आंदोलन-कैट
रायपुर, 26 नवंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वासु माखीजा, महामंत्री सुरेंद्र सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिया प्रभारी संजय चौबे ने बताया कि उल्टे कर ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी) को हटाने/ठीक करने के लिए जीएसटी काउंसिल के निर्णय को लागू करते हुए केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना संख्या 14/2021 दिनांक 18.11.2021 को लागू कर समस्त प्रकार के कपड़े, फुटवियर एवं स्टेशनरी पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी है, जो बेहद अनुचित एवं तर्कहीन है।
 
कैट ने बताया कि सरकार द्वारा परिकल्पित उल्टे शुल्क को हटाने के मूल उद्देश्य को पूरा नहीं करता है। अफसोस है कि जीएसटी कर ढांचे को सरल और युक्तिसंगत बनाने के बजाय, जीएसटी परिषद ने इसे बेहद जटिल जीएसटी कानून में तब्दील कर दिया है। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बताये गए जीएसटी ढांचे के विपरीत बना दिया है। क्या उल्टा कर (इनवर्टेड ड्यूटी) ढांचा पूरी तरह से सही है?  सूती कपड़ा उद्योग में कोई उलटा कर ढांचा नहीं था, फिर कपड़े और अन्य सूती वस्त्र सामान को 12 प्रतिशत के दायरे में क्यों लाया गया। यहां तक कि मानव निर्मित कपड़ा उद्योग में भी, वस्त्र, साड़ी और सभी प्रकार के मेड अप के निर्माण के स्तर पर कोई उल्टा कर मुद्दा ही नहीं था।
 
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि कपड़ा उद्योग के चरणों को समझे बिना इस तरह का कठोर निर्णय एक प्रतिघाती का कदम होगा। कपड़ा, जूते और स्टेशनरी जैसी बुनियादी वस्तुओं पर जीएसटी की दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की केंद्र सरकार की अधिसूचना का पूरे प्रदेश सहित पूरे देश में व्यापारियों द्वारा विरोध हो रहा है और कैट ने इस तरह की मनमानी के खिलाफ देश भर में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है।इस आंदोलन का नेतृत्व कैट के अंतर्गत व्यापार के दो महत्वपूर्ण व्यापार एसोसिएशन दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन (फोस्टा) द्वारा किया जाएगा। इसमें टेक्सटाइल और फुटवियर के अलावा सभी तरह के व्यापार के व्यापारिक संगठन, उनसे जुड़े कर्मचारी, कारीगर भी शामिल होंगे।
 
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मूलभूत वस्तुएं है। रोटी पहले ही बहुत महंगी हो गई, मकान खरीदने की स्थिति आम आदमी की है नहीं और कपडा एवं स्टेशनरी जो सुलभ था उसको भी जीएसटी काउंसिल ने महंगा कर दिया है। आखिर देश के आम आदमी के साथ यह किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है। इस मामले में केवल केंद्र सरकार ही पूर्ण रूप से दोषी है क्योंकि जीएसटी काउंसिल में यह निर्णय सर्वसम्मति से हुए हैं। कपडा, फुटवियर एवं स्टेशनरी पर जीएसटी के बढ़ी दर को तुरंत वापस लिए जाये। कोविड के कारण व्यापार पहले ही तबाह हो चुका है और अब जब इस वर्ष से व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, ऐसे में जीएसटी की दर में वृद्धि कर व्यापार के ताबूत में कील ठोकने का काम किया गया है।
 
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि सूत्रों के अनुसार ज्ञात हुआ है की जीएसटी की फिटमेंट कमेटी ने सोने की ज्वेलरी पर जीएसटी की दर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है जिससे देश में गोल्ड ज्वेलरी का व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा और सोने की तस्करी भी बढ़ने की भी संभावना है। फिटमेंट कमेटी ने  जीएसटी में वर्तमान कर दर 5 प्रतिशत को 7 प्रतिशत, 12 प्रतिशत को 14 प्रतिशत एवं 18 प्रतिशत को 20 प्रतिशत करने की सिफारिश की है । कर दर में प्रस्तावित यह वृद्धि बेहद तर्कहीन एवं औचित्यहीन है और साफ तौर पर फिटमेंट कमेटी की मनमानी है। कपडा, फुटवियर एवं स्टेशनरी पर वृद्धि के मामले में देश के किसी भी व्यापारी संगठन से कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया। जिस तरह से लगातार जीएसटी के स्वरूप को विकृत किया जा रहा है और "एक देश -एक कर" का मजाक उड़ाया जा रहा है वह बेहद निंदनीय है।
 
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि इस वृद्धि के खिलाफ देश भर के व्यापारी लामबंद हो गए हैं और एक वृहद आंदोलन की तैयारी के लिए आगामी 28 नवम्बर को कैट ने देश के सभी राज्यों के कपड़े, फुटवियर एवं स्टेशनरी व्यापारियों एवं सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं की एक वीडियो के जरिये मीटिंग बुलाई है जिसमें आंदोलन की रणनीति को तय किया जाएगा। जीएसटी लागू करने से पूर्व तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने अपने आवास पर कैट को जिस जीएसटी के बारे में बताया था, उस जीएसटी की धज्जियाँ उड़ा दी गई हैं और उसके स्थान पर एक बेहद जटिल जीएसटी कर प्रणाली को लागू कर दिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस तथा एक देश -एक कर की घोषणा का खुल कर मजाक उड़ाया जा रहा है।
 
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि जीएसटी की वर्तमान कर व्यवस्था ने व्यापारियों को मुंशी बना दिया है। अधिकारी निरंकुश हो गए हैं और या तो जिम्मेदार नेताओं की कमान ढीली हो गई है या फिर वो भी व्यापारियों को प्रताड़ित करने में शामिल है। इस स्थिति को देश भर के व्यापारी अब और अधिक बर्दाश्त नहीं करेंगे ।

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