विचार / लेख

नए पुराने नातों से ममता
01-Dec-2021 12:39 PM
नए पुराने नातों से ममता

-प्रकाश दुबे

 

प्रधानमंत्री ने संविधान दिवस पर व्यवस्था में रिश्ते-नातों की मजबूती पर चोट की। मानने के मापदंड सबके अलग अलग हैं। राहुल और प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी, तेजप्रताप, सुप्रिया सुले, अजीत पवार से लेकर पीयूष गोयल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अनुराग ठाकुर तक के राग-अनुराग का पता लगता है। ममता बनर्जी पर प्रधानमंत्री की आलोचना का असर नहीं हैं। भाई का बेटा-भतीजा लोकसभा सदस्य है। भाभी कोलकाता नगर निगम की वार्ड मेंबरी की उम्मीदवार हैं। वह भी भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड से।  विधानसभा सदस्य ममता का वोट पक्का है। इसी इलाके की सांसद माला राय नगरनिगम चुनाव लडऩे वाली एकमात्र सांसद हैं। ममता से अनबन के बाद माला राय ने पार्टी छोड़ दी थी। साल 2015 में ममता-माला सुलह के साथ माया की वापसी हुई। निगम चुनाव लड़वाया। जीतने पर नगर निगम में सभापति बनने वाली पहली महिला बनीं । वर्ष 2019 में लोकसभा भेजा। कोलकाता नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की 45 प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं। नाता इतना गहरा है।

परम सत्य
कभी स्काटलैंड यार्ड के मुकाबले शोहरत पाने वाली मुंबई पुलिस की कहानी नए मोड़ पर है। फिल्मों में पुलिस के दोनों रूप दिखाए जाते हैं। पुलिस आयुक्त के कारनामे भी परदे पर चमके।  मुंबई का पुलिस आयुक्त बनने के बाद परमवीर सिंह ने गृहमंत्री पर सौ करोड़ रुपए की वसूली का आरोप मढ़ा। मंत्री और बेटा कैद में। आयुक्त भगोड़ा। ऐसी कहानी तो सलीम-जावेद भी नहीं सोच सके। पुलिस की छवि सुधारने के लिए पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने दिलीप वलसे पाटील को गृहमंत्री बनाया। पुलिस और अदालत के तकादों के बाद परमवीर अवतरित हुए। अब कहते हैं-मेरे पास प्रमाण नहीं हैं। परमवीर की साख और पुलिस की बदहाली का सबूत जगह जगह मिलता है। मुंबई में भारत का सबसे अधिक यात्रियों वाला हवाई अड्डा है। महानगर में परमवीर के कदम रखने के एक दिन पहले विमानतल के पुलिस बूथ पर नकदी की मांग की जाने लगी। पुलिस संचालित टेक्सी केन्द्र का उपकरण खराब होने से मशीन ठप हुई। वह भी 26 नवम्बर से ठीक दो दिन पहले। परम सत्य।

लेन-देन बंद
लाव लश्कर के साथ दिल्ली की सर्दी और प्रदूषण का सामना कोई वीर ही कर सकता है। लेकिन इस वीर को पुरस्कार तो दूर, प्रधानमंत्री ने मिलने का समय तक नहीं दिया। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव प्रधानमंत्री को हजूराबाद उपचुनाव जीतने की बधाई देने कदापि नहीं गए थे। उनके विरोधी को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने चुनाव जीता है। कृषि विधेयकों की वापसी के निर्णय पर भले ही राव बधाई देते। प्रधानमंत्री को भेंट करने के लिए मुख्यमंत्री ने गुलों की खुश बू से लेकर कई उपहार तैयार रखे थे। चांवल की खरीद पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री ने समय नहीं निकाला। मुख्यमंत्री मुंह लटकाए वापस हैदराबाद पहुंचे। यह दुख भी राव झेल जाते। इन दिनों तेलंगाना राष्ट्र समिति पर भाजपा की नजरे- इनायत कम हो रही है। मुख्यमंत्री विमान तल से उतर तक नहीं पाए थे। दिल्ली में चहेते पत्रकारों तक खबर पहुंच गई। उन्हें बताया गया कि प्रधानमंत्री ने चंद्रशेखर राव को न आने के लिए कहा था और न आने का समय तय हुआ था। किस्सा खत्म।       

परिवार का पहिया
केन्द्रीय वित्त मंत्री एक ही महीने में दो-दो बार किसी शहर का दौरा करें तब स्थिति को गंभीर मानना चाहिए। यदि वह शहर देश की आर्थिक राजधानी हो तब गौर करने की बात ही है। निवेशकों को विकास की गुलाबी तस्वीर दिखाना, प्रधानमंत्री के कहे मुताबिक चीजों को करीने से जाने जैसे कई काम वित्त मंत्री के सिपुर्द हैं। निर्मला सीतारामन के बजाय उसी शहर में रहने वाले पीयूष गोयल बखूबी यही काम करते हैं। कृषि कानूनों की वापसी के बाद वित्त मंत्री उद्योगपतियों को समझा-बुझा रही थीं। पति परमेश्वर पंजाब के किसानों के बीच विचर रहे थे। लगभग एक पखवाड़े के दौरे के बाद मंत्रीपति ने पत्नी के किए कराए पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा-कानून वापसी का प्रधानमंत्री की पार्टी को पंजाब में फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है। अर्धांगिनी से अधिक वाणी-संयमी पति प्रभाकर ने खास अदा में फरमाया-पंजाब के आम जन प्रधानमंत्री का जिक्र सम्मान साथ नहीं करते हैं। पति परकाला प्रभाकर आंध्रप्रदेश सरकार के संवाद सलाहकार रह चुके हैं।
(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)
 

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