अंतरराष्ट्रीय
ब्रिटेन की एक युवती ने अपनी मां के डॉक्टर पर इस बात के लिए मुकदमा कर दिया कि उसे जन्मने क्यों दिया गया. कोर्ट ने युवती के पक्ष में फैसला दिया है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
ईवी टूम्स नाम की इस युवती ने ‘अनुचित गर्भाधान' के आधार पर अपनी मां के डॉक्टरों पर मुकदमा किया है. टूम्स को स्पाइना बाइफिडा नाम का रोग है. इस रोग के मरीजों की रीढ़ की हड्डी में कमी होती है जिस कारण कई बार तो उन्हें 24 घंटे तक ट्यूब से बंधकर गुजारने होते ह
ब्रिटिश मीडिया ने खबर दी है कि 20 साल की ईवी टूम्स ने डॉ. फिलिप मिचेल पर मुकदमा किया. उनका कहना था कि डॉ. मिचेल उनकी मां को सही सलाह देने में नाकाम रहे जिस कारण उनका जन्म हुआ. टूम्स का दावा है कि अगर डॉ. मिचेल ने उनकी मां को बताया होता कि बच्चे को स्पाइना बाईफिडा के साथ पैदा होने का खतरा कम करने के लिए फॉलिक एसिड लेना होगा, तो उनकी मां गर्भवती ही ना होतीं और उनका जन्म भी ना होता.
करोड़ों का हर्जाना
ब्रिटिश अखबार डेली मेल के मुताबिक लंदन हाई कोर्ट की जज रोसलिंड कोए ने एक ऐतिहासिक फैसले में ईवी टूम्स की दलील स्वीकार कर ली. जज ने फैसला दिया कि यदि ईवी की मां को सही सलाह दी गई होती तो वह गर्भवती होने की कोशिश टाल सकती थी.
ईवी टूम्स को बड़े हर्जाने का अधिकारी तय करते हुए जज ने कहा, "वैसे हालात में गर्भ देर से ठहरता और बच्चा स्वस्थ पैदा होता.” ईवी के वकीलों ने कहा कि अभी हर्जाने की राशि की गणना नहीं की गई है लेकिन यह भारी-भरकम राशि होगी क्योंकि इसमें ईवी के पूरे जीवन की देखभाल का खर्च जोड़ा जाएगा.
ईवी की मां ने अदालत को बताया था कि अगर डॉ. मिचेल ने उन्हें उचित परामर्श दिया होता तो वह बच्चा पैदा करने की योजना टाल सकती थीं. उन्होंने जज को बताया, "मुझे बताया गया था कि अगर मेरा खान-पान अच्छा रहा है तो मुझे फॉलिक एसिड लेने की जरूरत नहीं है.”
पिछले महीने हुई सुनवाई के दौरान 50 वर्षीय कैरोलाइन ने बताया कि फरवरी 2001 में वह डॉ मिचेल के पास गई थीं. उन्होंने कहा, "परिवार की शुरुआत एक बहुत कीमती फैसला था क्योंकि मेरे अपने माता-पिता की मौत तब हो गई थी जब मैं बहुत छोटी थी. इसलिए हम बिना डॉक्टर से बात किए यौन संबंध बनाने से भी परहेज कर रहे थे.”
कैरोलाइन ने दावा किया कि फॉलिक एसिड को लेकर डॉ. मिचेल से बात तो हुई लेकिन उन्होंने स्पाइना बाईफिडा की रोकथाम के लिए इसकी जरूरत के बारे में कुछ नहीं किया.
क्यों अहम है फैसला
ईवी को न्यूरल ट्यूब में खामी से जुड़ी एलएमएम नाम की बीमारी है जो स्थायी अपंगता का कारण है. नवंबर 2001 में उनके जन्म के कुछ समय बाद ही इसका पता चल गया था. डॉक्टर मिचेल की तरफ से पैरवी करने उतरे वकील माइकल डे नावारो ने कहा कि इसमें डॉक्टर की जिम्मेदारी नहीं बनती है. उन्होंने दलील दी कि हो सकता है कैरोलाइन रोडवे डॉक्टर से मिलने से पहले ही गर्भवती हों. उन्होंने कहा कि उनकी मुवक्किल ने उचित सलाह दी थी. उन्होंने कहा डॉक्टर ने कहा होगा कि अच्छी खुराक के चलते फॉलिक एसिड का असर ज्यादा नहीं होगा लेकिन इसे बिल्कुल ना लेने की बात उन्होंने नहीं कही.
हालांकि जज ने उनकी यह दलील स्वीकार नहीं की और ईवी टूम्स के पक्ष में फैसला दिया. अपने फैसले में जज ने कहा, "इन हालात में मैं पाती हूं कि श्रीमती टूम्स तब गर्भवती नहीं थीं. उन्होंने फॉलिक एसिड लेने की सलाह नहीं दी गई. उन्हें स्पाइना बाइफिडा या न्यूरल ट्यूब से फॉलिक एसिड के संबंध के बारे में भी नहीं बताया गया.”
लंदन हाई कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसका अर्थ होगा कि यदि कोई स्वास्थ्यकर्मी जन्म और गर्भ से संबंधी गलत सलाह देता है और उसकी वजह से बच्चा अस्वस्थ पैदा होता है, तब उसे कानूनन जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. (dw.com)