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Gujarat: ठाकोर, पटेल और मेवानी... गुजरात में कांग्रेस का सियासी दांव, समझिए इसके मायने
03-Dec-2021 3:56 PM
Gujarat: ठाकोर, पटेल और मेवानी... गुजरात में कांग्रेस का सियासी दांव, समझिए इसके मायने

नई दिल्ली. गुजरात में कांग्रेस अपने कोर वोट बैंक की ओर लौट रही है और इसका संकेत पार्टी ने पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर को अध्यक्ष बनाकर दिया है. ऐसे में सवाल ये है कि कांग्रेस ने गुजरात में ठाकोर पर दांव क्यों लगाया है. आखिर पार्टी की क्या रणनीति, आइए समझते हैं. सबसे पहली बात ये है कि गुजरात कांग्रेस में पार्टी के दो शीर्ष पद पिछले 9 महीनों से खाली चल रहे थे, क्योंकि अमित चावड़ा और परेश धनानी ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. वजह थी स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी का खराब प्रदर्शन. ये चुनाव बीते फरवरी महीने में हुए थे. ऐसे में जगदीश ठाकोर का नाम चर्चा में तब आया, जब राहुल गांधी ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में खुली बैठक बुलाई और इस बैठक में गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने मांग करते हुए कहा कि राज्य अध्यक्ष का पद किसी अनुभवी व्यक्ति को दिया जाए… इसके बाद से जगदीश ठाकोर के नाम की चर्चा होने लगी थी.

64 वर्षीय जगदीश ठाकोर का ताल्लुक बनासकांठा में कंकरेज से है और वे अहमदाबाद में रहते हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में ठाकोर ने पाटन सीट से 2.8 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. सांसद रहने के साथ वे दो बार दहेगाम और पाटन विधानसभा से विधायक भी रहे हैं. हालांकि जगदीश ठाकोर ने 2016 में गुजरात कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि वे सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम करेंगे. जगदीश ठाकोर के बारे में हाल ही में राहुल गांधी के साथ हुई मीटिंग में एक नेता ने कहा था कि 2009 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराने के बावजूद उन्होंने दूसरे कैंडिडेट के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी. फिर उन्हें 2019 के चुनाव में टिकट भी नहीं दिया गया.

ठाकोर को जिम्मेदारी दिए जाने के सियासी मायने
गुजरात की राजनीति में जगदीश ठाकोर की पहचान शानदार वक्ता की है. ठाकोर को पार्टी अध्यक्ष की कमान दिए जाने के बाद गुजरात के सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि कांग्रेस अपने कोर वोट बैंक ओबीसी, एससी और एसटी की ओर वोट लौट रही है. ठाकोर का संबंध ओबीसी समुदाय से है, और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान साथ रहे अल्पेश ठाकोर के बीजेपी में चले जाने के बाद पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. ये एक संदेश देने की कोशिश है कि कांग्रेस पार्टी ओबीसी की परवाह करती है.

KHAM समीकरण पर लौट रही कांग्रेस?
बता दें कि गुजरात में कांग्रेस का KHAM करके एक बहुत पुराना समीकरण रहा है, जिसे पार्टी का कोर वोट बैंक माना जाता रहा है, KHAM का मतलब क्षत्रिय (सवर्ण), हरिजन (SC), आदिवासी और मुस्लिम. हालांकि पिछले चुनावों के दौरान पार्टी ने हार्दिक पटेल को साथ लाकर पाटीदारों को लुभाने की कोशिश थी कि लेकिन ये प्रयास सत्ता दिला पाने में नाकाम रहा था. जगदीश ठाकोर से पहले हार्दिक पटेल को राज्य में पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की भी मांग उठी थी, लेकिन अब कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से ठाकोर को यह जिम्मेदारी दे दी.

ठाकोर को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद गुजरात में कांग्रेस का समीकरण देखें तो जिग्नेश मेवानी, हार्दिक पटेल और जगदीश ठाकोर अब राज्य में पार्टी का चेहरा होंगे. हार्दिक पटेल जहां पाटीदार समुदाय से हैं, वहीं जिग्नेश मेवानी हरिजन यानि एससी समुदाय से हैं. जिग्नेश मेवानी ने हाल ही में दिल्ली में कन्हैया कुमार के साथ राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी.

जगदीश ठाकोर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी
हालांकि खबरें इस बाबत भी आई थीं कि कांग्रेस पावी जेतपुर से पांच बार विधायक रहे सुखराम रठवा को गुजरात विधानसभा में विपक्ष का नेता बना सकती है, लेकिन इस बारे में अभी कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है. ठाकोर का संबंध जहां ओबीसी समुदाय से है, वही रठवा का संबंध आदिवासी समुदाय से है. कहा जा सकता है कि 2022 के आखिर में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए सियासी बिसात पर कांग्रेस अपने मोहरे बिछा रही है, और इस बार उसने हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और जगदीश ठाकोर को सामने लाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं.

कांग्रेस के ऐलान पर टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बीजेपी के एक नेता ने कहा- हमारा परंपरागत पाटीदार वोटर एक बार फिर हमारे साथ वापस मजबूती से जुड़ेगा, जो पिछली बार थोड़े टूटकर कांग्रेस में गए थे. बता दें कि 2015 में हार्दिक पटेल ने गुजरात में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग पर जबरदस्त आंदोलन चलाया था और 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदारों की नाराजगी के चलते बीजेपी को अपनी सत्ता बचाने में काफी पसीना बहाना पड़ा था.

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