सामान्य ज्ञान
भारतीय नौसेना 4 दिसंबर को अपनी स्थापना दिवस मनाती है लेकिन इस तारीख की अहमियत एक और वजह से उसके लिए बहुत ज्यादा है। भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई में 4 दिसंबर को नौसेना भी शामिल हो गई। 3 तारीख को इस जंग की शुरुआत वायुसेना के साथ हुई थी। इस जंग में भारतीय नौसेना की भूमिका काफी अहम साबित हुई. 4 तारीख को ही संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की आपात बैठक भी बुलाई गई क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव युद्ध में बदल गया था। 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुई जंग दुनिया की सबसे छोटी और सफल लड़ाइयों में गिनी जाती है जो महज 13 दिनों में अपने अंजाम पर पहुंच गई। इस लड़ाई के बाद बांग्लादेश आजाद हो गया।
भारतीय जल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रही भारतीय नौसेना की शुरुआत वैसे तो 5 सितंबर 1612 को हुई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के युद्धपोतों का पहला बेड़ा सूरत बंदरगाह पर पहुंचा था और 1934 में रॉयल इंडियन नेवी की स्थापना हुई थी, लेकिन हर साल चार दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाए जाने की वजह इसके गौरवमयी इतिहास से जुड़ी हुई है।
आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17वीं शताब्दी में रखी गई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना के बेड़े रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। यह बेड़ा द ऑनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज मरीन कहलाता था। बाद में यह द बॉम्बे मरीन कहलाया। पहले विश्व युद्ध के दौरान नौसेना का नाम रॉयल इंडियन मरीन रखा गया। 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना और इसी दिन भारतीय नौसेना ने अपने नाम से रॉयल को त्याग दिया। उस समय भारतीय नौसेना में 32 नौ-परिवहन पोत और लगभग 11 हजार अधिकारी और नौसैनिक थे। 15 अगस्त 1947 में भारत को जब देश आजाद हुआ था, तब भारत के नौसैनिक बेड़े में पुराने युद्धपोत थे।
आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना पहला युद्धपोतक विमान था, जिसे 1961 में सेना में शामिल किया गया था। बाद में आईएनएस विराट को 1986 में शामिल किया गया, जो भारत का दूसरा विमानवाही पोत बन गया। आज भारतीय नौसेना के पास एक बेड़े में पेट्रोल चालित पनडुब्बियां, विध्वंसक युद्धपोत, फ्रिगेट जहाज, कॉर्वेट जहाज, प्रशिक्षण पोत, महासागरीय एवं तटीय सुरंग मार्जक पोत (माइनस्वीपर) और अन्य कई प्रकार के पोत हैं। इसके अलावा भारतीय नौसेना की उड्डयन सेवा कोच्चि में आईएनएस गरुड़ के शामिल होने के साथ शुरू हुई। इसके बाद कोयम्बटूर में जेट विमानों की मरम्मत व रखरखाव के लिए आईएनएस हंस को शामिल किया गया।
भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़ी कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें प्रमुख है जब 1961 में नौसेना ने गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्र करने में थल सेना की मदद की। इसके अलावा 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो नौसेना ने अपनी उपयोगिता साबित की। भारतीय नौसेना ने देश की सीमा रक्षा के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा शांति कायम करने की विभिन्न कार्यवाहियों में भारतीय थल सेना सहित भाग लिया। सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्रवाई इसी का एक हिस्सा थी। भारतीय नौसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह मुख्य नौसेना अधिकारी एडमिरल के नियंत्रण में होता है। भारतीय नौ सेना तीन क्षेत्रों की कमान (पश्चिम में मुंबई, पूर्व में विशाखापत्तनम और दक्षिण में कोच्चि) के तहत तैनात की गई है, जिसमें से प्रत्येक का नियंत्रण एक फ्लैग अधिकारी द्वारा किया जाता है।