विचार / लेख
-राजेश अग्रवाल
बोलने की आजादी जब संकट में हो तब ऐसे मुखर पत्रकार के चले जाने से बड़ा अफसोस होता है। वे बिना डरे दिल की बात जुबान पर लाते थे। वे वही कहते थे जो महसूस करते थे।
पद्मश्री विनोद दुआ का निधन उन सभी पत्रकारों के लिए गहरे शोक की ख़बर है जो बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। कुछ महीने पहले ही उनकी पत्नी डॉक्टर पद्मावती का कोरोना से निधन हो गया था। हो सकता है, सदमा उन्हें रहा हो।
उनका परिवार विभाजन की त्रासदी के बीच पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तून से भारत आया था। शुरुआती दिनों में वे दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में भी रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अभिनय से की थी और नुक्कड़ नाटकों के जरिए अनेक सामाजिक मुद्दों को उठाया। वे और उनकी पत्नी बहुत अच्छे सुरों के मालिक थे। आप उनके गाए हुए गाने इंटरनेट पर सर्च कर सकते हैं।
विनोद दुआ ने हंसराज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में बैचलर डिग्री ली, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की। मंचीय प्रस्तुतियों के दौरान ही वे अमृतसर दूरदर्शन से जुड़े। सन् 70 के दौर में युवा मंच नाम का एक कार्यक्रम होता था जिसमें उनके कई धारावाहिक प्रसारित हुए। इस कार्यक्रम में रायपुर के युवाओं को भी मौका मिला। इसके बाद दूरदर्शन में उन्होंने ‘जवान-तरंग’ नाम के एक कार्यक्रम की प्रस्तुति शुरू की। 1981 में उन्होंने एक पारिवारिक पत्रिका ‘आपके लिए-संडे मॉर्निंग’ नाम से शुरू किया जो 1984 तक चला।
दुआ को ख्याति मिली अपने सटीक चुनाव विश्लेषणों से। प्रणब रॉय जो आज एनडीटीवी के मालिक हैं, उनके साथ 80 के दौर में वे चुनाव समीक्षा करते थे। मुझे याद है रात-रात भर हम दूरदर्शन देखा करते थे। हिंदी में विनोद दुआ, अंग्रेजी में प्रणव राय बारी-बारी चुनाव परिणामों की चर्चा करते थे। दुआ को काफी सराहा गया। इसके बाद अनेक निजी टीवी चैनल आ गए थे, जहां उनके विश्लेषण लगातार प्रसारित होते रहे।
एनडीटीवी के शुरू होने पर उन्होंने ‘जायका इंडिया का’ की मेजबानी की। उन्होंने देश भर के शहरों में घूम-घूम कई व्यंजनों का स्वाद चखा और इनकी खूबियों को हमें भी बताया। एनडीटीवी ने इन्हें प्रसारित किया और यू-ट्यूब पर भी ये मौजूद हैं।
इस समय लगातार ताजा मुद्दों पर उनके विचार सुनने को मिलते थे। लोग बेसब्री से देखा करते थे। वे एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क के सलाहकार संपादक थे। वे अक्सर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते थे। लेकिन यह नहीं कह सकते वह कांग्रेस के पक्षधर थे। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर भी लगातार हमले किए। सभी दलों के नेताओं से उनकी अच्छी दोस्ती रही, पर वे कभी किसी के तरफदार नहीं दिखे।
उन्होंने अक्षय कुमार को बीते साल तब आड़े हाथों लिया जब उनकी बेटी मल्लिका दुआ, जो बॉलीवुड से जुड़ी हैं, उनके खिलाफ अश्लील टिप्पणी की थी। फिल्म निर्देशक निष्ठा जैन ने उनके विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने और उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया था जिसे उन्होंने सिरे से ख़ारिज किया था। एक अध्याय का अंत हुआ...।