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विशाल गर्ग - ज़ूम कॉल पर 900 कर्मचारियों को निकालने वाले better.com के सीईओ कौन हैं
07-Dec-2021 7:34 PM
विशाल गर्ग - ज़ूम कॉल पर 900 कर्मचारियों को निकालने वाले better.com के सीईओ कौन हैं

विशाल गर्ग बेटर डॉट कॉम के सीईओ हैं, इमेज स्रोत,BETTER.COM

घर के लिए क़र्ज़ देने वाली डिजिटल मॉर्गेज कंपनी better.com के भारतीय मूल के अमेरिकी सीईओ विशाल गर्ग ने बुधवार को एक ज़ूम कॉल के दौरान 900 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया.

इस ज़ूम कॉल का वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी शेयर हो रहा है.

नौकरी से निकालने से पहले भारतीय-अमेरिकी सीईओ ने इस फ़ैसले के लिए बाज़ार की कार्यक्षमता, प्रदर्शन और उत्पादकता का हवाला दिया.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ज़ूम कॉल में 43 वर्षीय गर्ग कह रहे हैं, "यह ऐसी ख़बर है जिसे आप सुनना नहीं चाहेंगे अगर आप इस कॉल में हैं तो आप उस बदक़िस्मत समूह में हैं जिसे बंद किया जा रहा है. आपकी नौकरी यहां से तुरंत प्रभाव से ख़त्म होती है."

"यह मेरा फ़ैसला है और इसे आपको मुझसे ही सुनना चाहिए था. यह मेरे लिए बहुत, बहुत चुनौतीपूर्ण फ़ैसला था. मेरे करियर में यह दूसरी बार है जब मुझे ऐसा करना पड़ रहा है और मैं यह बिलकुल भी नहीं करना चाहता हूं. आख़िरी बार जब मैंने यह किया था तब मैं रोया था लेकिन मुझे उम्मीद है कि इस बार मैं मज़बूत रहूंगा."

सोशल मीडिया पर गर्ग का वीडियो वायरल हो रहा है


इमेज स्रोत,TWITTER

वीडियो में वो कह रहे हैं कि कर्मचारियों को इस बारे में पूरी जानकारी एचआर के मेल के ज़रिए मिलेगी.

कहा जा रहा है कि जितने कर्मचारियों को निकाला गया है वो कंपनी के तक़रीबन 10,000 कर्मियों का सिर्फ़ 9-15 फ़ीसदी हैं.

क्रिसमस से पहले इस फ़ैसले के बाद सोशल मीडिया पर विशाल गर्ग को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है. कंपनी के ही एक कर्मचारी ने इस ज़ूम कॉल को रिकॉर्ड करके उसे सार्वजनिक कर दिया था.

कौन हैं विशाल गर्ग
इंडिपेंडेंट न्यूज़ वेबसाइट के मुताबिक़, विशाल गर्ग पर पहले भी अपने कर्मचारियों का अपमान करने के आरोप लगते रहे हैं. इसके अलावा उन पर वित्तीय धोखाधड़ी अनियिमितताओं के आरोप लग चुके हैं.

सात साल की उम्र में विशाल अपने परिजनों के साथ भारत से क्वींस, न्यूयॉर्क आकर बस गए थे.

2019 में एक पॉडकास्ट में गर्ग ने बताया था कि हाई स्कूल में ही उनका झुकाव व्यापार के प्रति हो गया था और उन्होंने अपने सहपाठियों को क्लिफ़नोट्स और दूसरी किताबें बेची थीं.

वो दावा करते हैं कि उन्होंने ईबे पर क़िफ़ायती दुकानों के कपड़ों को भी बेचा लेकिन इन दावों की पुष्टि नहीं होती है.

साल 2000 में गर्ग ने अपने हाई स्कूल के दोस्त और प्रवासी रज़ा ख़ान के साथ एक निजी लोन कंपनी खोली जो छात्रों को क़र्ज़ देती थी. इसका नाम माई रिच अंकल रखा गया.

इसी दौरान गर्ग ने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्टर्न स्कूल ऑफ़ बिज़नेस में दाख़िला लिया लेकिन उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी.

अमेरिका में आर्थिक संकट के दौरान माई रिच अंकल कंपनी दीवालिया घोषित हो गई. इसके बाद रज़ा और विशाल गर्ग ने EIFC नामक नया प्रोजेक्ट शुरू किया जो माई रिच अंकल की तर्ज़ पर ही मकान मालिकों को क़र्ज़ लेने के लिए क़र्ज़ की शर्तों के बारे में बैंकों की जानकारियां देता था.

2013 आते-आते रज़ा और विशाल के बीच कंपनी की वित्तीय स्थिति को लेकर मतभेद पैदा हो गए. रज़ा ने आरोप लगाया कि कंपनी की वित्तीय स्थिति को देखने वाले गर्ग ने बिज़नेस टैक्स नहीं भरे और 3 मिलियन डॉलर को कंपनी से निकालकर अपने व्यक्तिगत बैंक अकाउंट में ट्रांसफ़र किया.

इसके बाद गर्ग ने रज़ा पर 4 लाख डॉलर चुराने के आरोप लगाए जिसको रज़ा ने ख़ारिज कर दिया. इस दौरान गर्ग ने कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां भी रज़ा पर कीं जिसको लेकर उन्होंने बाद में माफ़ी भी मांगी.

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बेटर डॉट कॉम की शुरुआत
साल 2013 में विशाल गर्ग ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर better.com की शुरुआत की जो कि अपना घर ख़रीदने वाले लोगों को डिजिटली क़र्ज़ दिलाने में मदद देता है.

नई और तेज़ी से उभरती स्टार्टअप कंपनियों में इसका नाम भी शुमार हुआ.

कंपनी को बनाते समय अपने फ़ाउंडिंग नोट में विशाल ने बताया था, "पुराने काग़ज़ात और फ़ोन के आधार पर प्रोसेसिंग के बिना ऑनलाइन क़र्ज़ देने के लिए मुझे एक भी क़र्ज़दार नहीं मिला. कोई भी मेरे शेड्यूल के हिसाब से काम नहीं करता था."

जून 2021 में गर्ग ने दावा किया कि आज उनकी कंपनी इस स्तर पर पहुंच चुकी है जहां पर आप क़र्ज़ के लिए प्री-अप्रूवल तीन मिनट में ले सकते हैं.

उन्होंने कहा था, "हमारी टीम आज साइज़ में तीन गुना हो चुकी है. हम केवल टैलेंटेड और ऊर्जावान लोगों को जोड़ रहे हैं जो हमारे मिशन में विश्वास रखते हैं और हमने अभी शुरुआत ही की है."

हालांकि 2019 में भी कंपनी के भीतर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे.

हालिया मार्केट रिपोर्ट्स के अनुसार सॉफ्टबैंक ने हाल ही में इस कंपनी को 75 करोड़ डॉलर की फ़ंडिंग की है. (bbc.com)

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