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पं. श्यामलाल की पुण्यतिथि पर विधायक शैलेष पांडेय ने सुनाया संस्मरण
08-Dec-2021 10:29 AM
पं. श्यामलाल की पुण्यतिथि पर विधायक शैलेष पांडेय ने सुनाया संस्मरण

बिलासपुर, 8 दिसंबर। पद्मश्री लेने राष्ट्रपति भवन पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार व समाजसेवी पं श्यामलाल चतुर्वेदी ने हिफाजत से रखा पत्र जैसे ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को देने हाथ बढ़ाया, उनके विशेष सुरक्षा सलाहकार (एडीसी) ने यह कहते हाथ से ले लिया कि प्रोटोकाल के मुताबिक उन्हें सीधे कोई पत्र नहीं दिया जा सकता। बात दो अप्रैल 2018 की है। राष्ट्रपति को दिए जाने वाले पत्र में क्या था? उसमें पंडित की जान थी।

पत्र गंतव्य तक नहीं पहुंचा पर उन्होंने हार नहीं मानी। पद्मश्री सम्मान प्राप्त लोगों के साथ राष्ट्रपति का डिनर था, फिर मौका देख कर उनके सामने जा पहुंचे। वह व्हील चेयर पर थे, इसलिए राष्ट्रपति ने उनकी कुशलक्षेम पूछी। पहले से तैयार चतुर्वेदी ने उनसे पूछ डाला, आपके लिए पत्र सहायक को दिया था, तब उन्होंने जवाब दिया कि मिल गया। उस पर विचार भी चल रहा है। यह पत्र था छत्तीसगढ़ी को केंद्र की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा प्रदान करने की मांग का।

ये बातें शहर विधायक शैलेष पांडेय ने पं चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर बताई। पं चतुर्वेदी की रायपुर रोड स्थित प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने कांग्रेस नेता और स्वजन एकत्रित हुए । विधायक पांडेय ने कहा कि चतुर्वेदी की इच्छा अधूरी रही, परंतु छत्तीसगढ़ी के लिए उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। कार्यक्रम में कांग्रेस नेता धर्मेश शर्मा, राजकुमार तिवारी व पूर्व पार्षद रमेश जायसवाल ने भी अपने विचार रखे।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय पांडेय ने कहा कि 1980 में जब वह सीएमडी कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष थे तब छात्रहित में उग्र प्रदर्शन हुआ। अग्निकांड की जानकारी मिली तो उन्होंने छत्तीसगढ़ी में कह डाला- तैं तो अड़बड़ झरकटहा हवस। मैं उसका मतलब नहीं जानता था, पूछा तब उन्होंने बताया कि लड़का।

चतुर्वेदी के शब्दों में छत्तीसगढ़ी की मिठास के साथ आत्मीयता झलकती थी। बिलासपुर में दो ही लोग ठेठ छत्तीसगढ़ी के मिसाल हैं, पं स्व. श्यामलाल चतुर्वेदी और डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा। उन्होंने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चतुर्वेदी ने अपना पूरा जीवन हिंदी और छत्तीसगढ़ के लिए समर्पित कर दिया।

पूर्व मेयर किशोर राय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रति अगाध समर्पण के कारण ही पं. चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए। साहित्य, समाजसेवा में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया, उसके चलते ही उन्हें राष्ट्रपति से पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ। भावी पीढ़ी उनकी सादगी, कर्मठता, कार्यकुशलता, निष्ठा का अनुकरण कर गौरवशाली स्थान हासिल कर सकती है।

कार्यक्रम में डिप्टी कमिश्नर खजांची कुम्हार, शैलेंद्र सिंह, राकेश पांडेय, शशिकांत चतुर्वेदी, अंबिका चतुर्वेदी, सन्नाी पांडेय, शुभा पांडेय, डा.सुषमा शर्मा, शिवम् शर्मा, ममता चतुर्वेदी, सूर्यकांत चतुर्वेदी, ऐश्वर्या चतुर्वेदी आदि उपस्थित थे।

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