साहित्य/मीडिया
.jpg)
हफ़ीज़ जालंधरी को लोकप्रिय रूमानी शायर के तौर पर जाना जाता है. मलिका पुखराज ने हफ़ीज़ की लिखी नज़्म 'अभी तो मैं जवान हूं' को अपनी आवाज दी थी. जानकारी के मुताबिक हफ़ीज़ ने ही पाकिस्तान का राष्ट्रगान भी लिखा था. उनका जन्म 14 जनवरी 1900 को पंजाब के जालंधर में हुआ था. उनका मूल नाम अबुल अस्र हफ़ीज़ था. उन्हें काव्य रचना 'शाहनामा-ए-इस्लाम' ने अमर बना दिया. उन्होंने नज़्में भी लिखीं. उनकी नज़्मों के कई संग्रह प्रकाशित हुए हैं. पढ़ें, उनके लिखे मशहूर शेर
ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती हैबात होती है मगर बात नहीं होती है
'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोलीन उर्दू न हिन्दी न हिन्दोस्तानी
वफ़ा जिस से की बेवफ़ा हो गयाजिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
कोई चारह नहीं दुआ के सिवाकोई सुनता नहीं ख़ुदा के सिवा
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँकहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
दिल लगाओ तो लगाओ दिल से दिलदिल-लगी ही दिल-लगी अच्छी नहीं