अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका पर जीत के 'सबूतों' की नुमाइश कर रहा है तालिबान
04-Jan-2022 1:31 PM
अमेरिका पर जीत के 'सबूतों' की नुमाइश कर रहा है तालिबान

अफगानिस्तान के गजनी प्रांत में गवर्नर के आवास के अंदर एक नई ऐतिहासिक चीज को प्रदर्शनी पर रखा गया है. यह प्रदर्शनी है उस पूर्व अमेरिकी सैन्य अड्डे की दीवार के टुकड़ों की जिसे तालिबान ने उड़ा दिया था.

(dw.com)

कंक्रीट के इन टुकड़ों में से एक पर गजनी में पूर्व में तैनात किए गए अमेरिकी सैनिकों के नाम और उनके रेजिमेंटों के नाम खुदे हुए हैं. जैसा कि इतिहास में अक्सर होता आया है, यहां भी अमेरिकी सैनिक अपने अड्डों और तैनाती के स्थानों की दीवारों पर अपना नाम लिख देते थे.

लेकिन अब 20 साल की लड़ाई के बाद अमेरिकी और दूसरी सेनाओं को हराने की कहानी को और मजबूती देने के लिए इस ऊंची दीवार को नुमाइश के लिए रखा गया है.

इतिहास के लिए
प्रांत में तालिबान के संस्कृति प्रमुख मुल्ला हबीबुल्ला मुजाहिद कहते हैं, "हमें यह दिखाना है ताकि अफगानिस्तान और दुनिया के लोग और आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि खुद को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत कहने वाले अमेरिकियों को हराया है."

गजनी काबुल से 150 किलोमीटर दूर स्थित है और तालिबान के लड़ाकों ने इसे 15 अगस्त 2021 को काबुल पर कब्जा करने से तीन दिन पहले ही फतह कर लिया था. इस इलाके का 3,500 सालों का समृद्ध इतिहास है और अब तालिबान अपनी सैन्य जीत के सबूत की मदद से इसका सबसे नया अध्याय लिख रहा है.

प्रचार के ऐसे नए कदम ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं जब अफगानिस्तान के नए शासक लड़ाकों से प्रशासक बनाने की कोशिश में लगे हैं और देश आर्थिक रूप से विनाश के कगार पर है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि देश की आधी से ज्यादा आबादी भीषण भूख का सामना कर रही है.

विदेशी साम्राज्यों पर जीत
लेकिन लगभग 2,00,000 की आबादी वाले गजनी शहर के बाहर सड़कों पर तालिबान की जीत की एक और अनौपचारिक स्मारक खड़ी कर दी गई है. यह है नष्ट की हुई अमेरिकी बख्तरबंद गाड़ियों के जंग खाते हुए अवशेष. गाड़ियों से उनके हथियार हटा दिए गए हैं, टायरों की हवा निकल गई है और वे घिस भी गए हैं.

इस कबाड़ में पूर्व में छोड़ दिए गए सोवियत टैंक भी हैं. बच्चे इसके आस पास खेलते हैं और कभी कभी तो गाड़ियों पर चढ़ भी जाते हैं. सोवियत संघ के लिए अफगानिस्तान पर चढ़ाई करने का अंत शर्मिंदगी में हुआ था और अफगान यहां आने वाले लोगों को अब तुरंत याद दिला रहे हैं कि देश ने अब तीन विदेशी साम्राज्यों को हरा दिया है.

19वीं शताब्दी में ब्रिटेन को भी यहां शिकस्त का सामना करना पड़ा था. 18 साल के तालिबान के लड़ाके ओजैर कहते हैं, "हम जब इसे देखते हैं तब हमें अपनी उपलब्धि पर गर्व होता है." ओजैर की तरह देश में कई लोगों का कोई उपनाम नहीं है.

कबाड़ बन चुकी हम्वीयों और जली हुई दूसरी गाड़ियों को देखते हुए वो कहते हैं, "हमने दिखा दिया कि यहीं पैदा हुए अफगान अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को हरा सकते हैं."

क्या सच, क्या प्रचार
पूरे देश में अमेरिका की दो दशकों की मौजूदगी की याद दिलाने वाली कई चीजें बिखरी पड़ी हैं, जिनमें से कुछ अभी भी इस्तेमाल के लायक हैं. अफगान पुलिस और सैनिकों को भेंट में दिए हुए काफी सैन्य उपकरण अमेरिका समर्थित सरकार के आखिरी के अव्यवस्थित दिनों में तालिबान के पास पहुंच गए.

इन्हीं हथियारों, गाड़ियों और वर्दियों के अप्रत्याशित लाभ ने काबुल के नए शासकों को काफी ठोस लूट का सामान दे दिया है जिसे वे अपनी जीत के सबूत के रूप में दिखा रहे हैं. लेकिन इन सब चीजों को तालिबान की सत्ता में वापसी की विश्वसनीय श्रद्धांजलि के रूप में सजाना एक चुनौती बना हुआ है.

टूटी हुई दीवारों के पास खड़े मुल्ला हबीबुल्ला मुजाहिद गर्व से कहते हैं कि दीवार पर खुदे करीब 20 नामों में लड़ाई में मारे गए "महत्वपूर्ण कमांडरों और जनरलों" के नाम भी शामिल हैं. लेकिन उनके नामों के आगे जो रैंक लिखी है वो सब कनिष्ठ हैं और उनमें से कोई भी नाम युद्ध में मारे गए अमेरिकियों की सूचियों में नहीं है.

सीके/एए (एएफपी)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news