सामान्य ज्ञान

टर्मीनेशन शाक
11-Jan-2022 11:12 AM
टर्मीनेशन शाक

सौर मंडल की सीमाओं में सबसे अंदरूनी सीमा है ‘टर्मीनेशन शाक ’  या समापन सदमा, इसके बाद आती है हीलीयोपाज और अंत में ‘बौ शाक ’ या धनुष सदमा।

खगोल विज्ञान में टर्मीनेशन शाक यह सूर्य के प्रभाव को सीमित करने वाली बाहरी सीमा है। यह वह सीमा है जहां सौर वायु के बुलबुलों की स्थानीय खगोलिय माध्यम के प्रभाव से कम होकर सबसोनिक  गति तक सीमित हो जाती है। इससे संकुचन , गर्म होना और चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव जैसे प्रभाव उत्पन्न होते हंै। यह टर्मीनेशन शाक क्षेत्र सूर्य से 75-90 खगोलीय इकाई की दूरी पर है।(1 खगोलीय इकाई= पृथ्वी से सूर्य की दूरी)। टर्मीनेशन शाक सीमा सौर ज्वाला के विचलन के अनुपात में कम ज्यादा होते रहती है।

समापन सदमा या टर्मीनेशन शाक की उत्पत्ति का कारण तारों ने निकलते वाली सौर वायु के कणों की गति (400किमी /सेकंड) से ध्वनि  की गति (0.33किमी/सेकंड) में परिवर्तन है। खगोलीय माध्यम जिसका घनत्व अत्यंत कम होता है और उस पर कोई विशेष दबाव नहीं होता है ;वही सौर वायु का दबाव उसे उत्पन्न करने वाले तारे की दूरी के वर्गमूल के अनुपात में कम होती है। जैसे सौर वायु तारे से दूर जाती है एक विशेष दूरी पर खगोलीय माध्यम का दबाव सौर वायु के दबाव से ज्यादा हो जाता है और सौर वायु के कणों की गति को कम कर देता है जिससे एक सदमा तरंग उत्पन्न होती है।

सूर्य से बाहर जाने पर टर्मीनेशन शाक के बाद एक और सीमा आती है जिसे हीलीयोपाज कहते हंै। इस सीमा पर सौर वायु के कण खगोलीय माध्यम के प्रभाव मे पूरी तरह से रूक जाते हैं। इसके बाद की सीमा धनुष सदमा  है जहां सौरवायु का आस्तित्व नहीं होता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि शोध यान वायेजर 1 दिसंबर 2004  में टर्मीनेशन शाक सीमा पार कर चुका है, इस समय वह सूर्य से 94 खगोलीय इकाई की दूरी पर था। जबकि इसके विपरीत वायेजर 2 ने मई 2006 मे 76 खगोलिय इकाई की दूरी पर ही टर्मीनेशन शाक सीमा पार करने के संकेत देने शुरू कर दिए हंै। इससे यह प्रतीत होता है कि टर्मीनेशन शाक सीमा एक गोलाकार आकार में न होकर एक अजीब से आकार में है।

हीलीयोशेथ यह टर्मीनेशन शाक और हीलीयोपाक के बीच का क्षेत्र है। वायेजर 1 और वायेजर-2 अभी इसी क्षेत्र में है और इसका अध्ययन कर रहे हैं। यह क्षेत्र सूर्य से 80 से 100 खगोलीय दूरी पर है।

वहीं हीलीयोपाज सौर मंडल की वह सीमा है जहां सौरवायु खगोलीय माध्यम के कणो के बाहर धकेल पाने में असफल रहती है। इसे सौरमंडल की सबसे बाहरी सीमा माना जाता है।  हीलीयोपाज क्षेत्र सूर्य के आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा के दौरान खगोलीय माध्यम में एक हलचल उत्पन्न करता है। यह हलचल वाला क्षेत्र जो हीलीयोपाज के बाहर है ,बौ-शाक या धनुष-सदमा कहलाता है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news