सामान्य ज्ञान
आषाढ़ का एक दिन सन 1958 में प्रकाशित और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित एक हिंदी नाटक है। इसे कभी-कभी हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। वर्ष 1959 में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और कईं प्रसिद्ध निर्देशक इसे मंच पर ला चुकें हैं। वर्ष 1971 में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक फि़ल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फि़ल्म का फि़ल्मफ़ेयर पुरस्कार जीत लिया।
आषाढ़ का एक दिन की प्रत्यक्ष विषयवस्तु कवि कालिदास के जीवन से संबंधित है। किन्तु मूलत: वह उसके प्रसिद्ध होने के पहले की प्रेयसी का नाटक है-एक सीधी-सादी समर्पित लडक़ी की नियति का चित्र, जो एक कवि से प्रेम ही नहीं करती, उसे महान होते भी देखना चाहती है। महान वह अवश्य बनता है, पद इसका मूल्य मल्लिका अपना सर्वस्व देकर चुकाती है। अंत में कालिदास भी उसे केवल अपनी सहानुभूति दे पाता है, और चुपके से छोडक़र चले जाने के अतिरिक्त उससे कुछ नहीं बन पड़ता। मल्लिका के लिए कालिदास उसके संपूर्ण व्यक्तित्व के, जीवन में, साथ एकाकार सुदूर स्वप्न की तरह है; कालिदास के लिए मल्लिका उसके प्रेरणादायक परिवेश का एक अत्यन्त जीवंत तत्व मात्र। अनन्यता और आत्मलिप्तता की इस विसदृश्यता में पर्याप्त नाटकीयता है, और मोहन राकेश जिस एकाग्रता, तीव्रता और गहराई के साथ उसे खोजने और व्यक्त करने में सफल हुए हैं वह हिन्दी नाटक के लिए सर्वथा अपरिचित है।