विचार / लेख
-राजकुमार मेहरा
यह फिल्म फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की कहानी ‘मारे गये गुल्फाम’ पर आधारित है । राज कपूर ने अपने जीवन का सबसे अधिक संवेदनशील रोल इसी फिल्म में किया है।
यह देखा गया है कि अक्सर फिल्म बनाने वाले बेहतर कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाते। पर तीसरी कसम के साथ ऐसा नहीं हुआ। स्वयं रेणु लिखते हैं—फिल्म कहानी से ज्यादा अच्छी बनी।
तीसरी कसम शैलेन्द्र का शाहकार है इसमें उन्होंने अपना सब कुछ लगा दिया। फिल्म नहीं चली। शैलेन्द्र टूट गए। अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। वे कुल 43 बरस के थे।
भारत के स्वाधीनता संग्राम में शैलेन्द्रजी और रेणु जी दोनों जेल गये थे। प्रसिद्ध नारा ‘हर जोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है’ शैलेन्द्रजी ने ही दिया था। जावेद अख्तर कहते हैं: शैलेन्द्र कबीर, मीरा और खुसरो की परंपरा से आते हैं। शैलेन्द्र को तीसरी कसम के लिये सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड प्राप्त हुआ था।
तीसरी कसम के निर्देशक बासु भट्टाचार्य हैं। सिनेमेटोग्राफी सुब्रत मित्रा की है जो सत्यजित रे के भी सिनेमेटोग्राफर थे। स्क्रीनप्ले नबेन्दु घोष का है जो बिमल राय के लिए लिखते थे। फिल्म की स्क्रिप्ट और संवाद स्वयं रेणु के हैं। फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
फिल्म की कहानी में नौटंकी की पृष्ठभूमि है इसलिये नृत्य तो होने ही हैं। नृत्य संरचना लच्छू महाराज की है और कुशल भरतनाट्यम नर्तकी वहीदा रहमान जी ने सभी नृत्य प्रस्तुति दी हैं।
तीसरी कसम में 9 गीत हैं, सभी एक से बढक़र एक! मधुर हिट संगीत शंकर जयकिशन का है।
मुकेश ने 3 गीत गाये हैं-
1. सजनवा बैरी हो गये हमार
2. सजन रे झूठ मत बोलो
3. दुनिया बनाने वाले
सजनवा बैरी... बिहार की लोक विधा ‘छोकरा नाच’ पर आधारित है। चलत मुसाफिर मोह लियो रे... में ‘चैती’ के स्वर हैं। हारमोनियम, ढोलक और झांझ का इससे अच्छा प्रयोग मैंने नहीं सुना।
हसरत जयपुरी साहब के गीत ‘दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी’ में समस्त उपनिषदों के दर्शन का सार देखने को मिलता है।
‘सजनवा बैरी हो गये हमार’ सुनते समय भिखारी ठाकुर के ‘बिदेसिया’ की विरहनि की याद आ जाती है और आँखें बरबस ही भर आती हैं।