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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : सरकार को बदनाम करने के लिए इतनी बड़ी साजिश आखिर कैसे ?
16-Jan-2022 4:51 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  सरकार को बदनाम करने के लिए   इतनी बड़ी साजिश आखिर कैसे ?

छत्तीसगढ़ में एक बहुत बड़े सरकारी भ्रष्टाचार की खबर दो दिनों के भीतर ही प्रदेश की एक सबसे बड़ी साजिश में तब्दील हो गई। सरकार में भ्रष्टाचार की बात पर लोगों को हैरानी नहीं हुई रहती अगर स्कूल शिक्षा विभाग में मंत्री के स्तर पर 366 करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की डायरी की बात सामने न आई होती। यह रकम इतनी बड़ी थी कि आसानी से इस पर किसी को भरोसा नहीं हुआ और मुख्यमंत्री ने जब इस पर कड़ी कार्यवाही करने की बात की तो राजधानी की पुलिस ने दो दिनों में ही इस साजिश का खुलासा किया, और शिक्षा विभाग के एक रिटायर्ड अफसर सहित कांग्रेस पार्टी के एक पहले से विवादास्पद चले आ रहे नेता को भी गिरफ्तार किया है। मामला यह है कि यह रिटायर्ड अफसर सरकार में संविदा नौकरी चाहता था जिसके न मिलने पर उसने और लोगों के साथ मिलकर साजिश रची और ऐसी फर्जी डायरी गढ़ी जिसमें तबादलों को लेकर लंबे-चौड़े लेनदेन का हिसाब-किताब बनाया गया। पिछले 3 सालों की ट्रांसफर लिस्ट के नाम देखकर उसके आगे लेन-देन की रकम डाली गई और फिर इस गढ़े हुए दस्तावेज को पुलिस को भी भेजा गया और मीडिया को भी। कुछ लोगों ने इसकी जांच करके इसे अविश्वसनीय माना, और किसी ने इस पर भरोसा करके इसे छाप भी दिया। नतीजा यह निकला कि सरकार की बदनामी शुरू हो उसके पहले ही इस अविश्वसनीय दिखते भ्रष्टाचार के पीछे की साजिश पकड़ा गई कि सरकार को बदनाम करने के लिए लेन-देन दिखने के लिए इतने कागजात गढ़े गए थे। अब यह पूरा मामला तो अदालत में साबित होने के बाद ही पुख्ता लगेगा, लेकिन लोगों की इस कल्पनाशीलता की दाद देनी होगी कि सरकार को बदनाम करने के लिए इतनी बड़ी साजिश है रची गई, इतने सुबूत गढ़े गए, और चाहे दो दिन के लिए सही, एक हंगामा तो खड़ा कर ही दिया गया. छत्तीसगढ़ सरकार पर जितने बड़े भ्रष्टाचार की यह तोहमत लगाई गई थी, अगर आनन-फानन इस साजिश का खुलासा नहीं हुआ रहता, तो उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से अगुआ बनाए गए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए भी परेशानी का सबब बनता, हालाँकि साजिश में भी तोहमत स्कूल शिक्षा मंत्री पर ही लगाई गई थी।

कांग्रेस के लिए अधिक परेशानी की बात यह भी है कि जब यह साजिश उजागर हुई है तो उसमें रिटायर्ड अफसर के अलावा कांग्रेस पार्टी का ही एक विवादास्पद तथाकथित नेता गिरफ्तार हुआ है। अगर इसके पीछे किसी और पार्टी का कोई नेता रहता तो उसका बहुत बड़ा राजनीतिक मतलब निकल सकता था। लेकिन अब तो कांग्रेस की ही भागीदारी होने से विपक्ष किसी तोहमत से बचे रहेगा, और यह बात भी है कि विपक्ष के हाथ से एक मुद्दा निकल गया है। पुलिस ने जिस दमखम से प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर इस पूरी साजिश को उजागर किया है उसे ऐसा लगता तो नहीं है कि पुलिस के हाथ कोई कमजोर सुबूत लगे हैं। अब सरकार को यह जरूर सोचना चाहिए कि इतनी लंबी चौड़ी साजिश तैयार करने का किसी का हौसला कैसे हो सकता है? और कांग्रेस पार्टी के नाम पर अपनी दुकानदारी चलाने वाले छोटे-मोटे नेता किस तरह सीधे मुख्यमंत्री को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी साजिश गढ़ सकते हैं? राज्य में सरकार और सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी इन दोनों को गंभीरता से सोचना चाहिए और राज्य में इस तरह की साजिशों का हौसला पस्त करना चाहिए। बीच-बीच में सरकार से या सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ी हुई कई किस्म की कहानियां सोशल मीडिया या मीडिया में आती हैं, कुछेक के साथ कोई ऑडियो क्लिप भी अभी पिछले दिनों आई हैं। सत्ता के इन दोनों पक्षों को अपने लोगों पर लगने वाले ऐसे आरोपों पर तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए ताकि वे आगे किसी दूसरी बदनामी से बचें। यह भी सोचने की जरूरत है कि स्कूल शिक्षा विभाग में ऐसा क्या है जहां पर संविदा नियुक्ति पाने के लिए एक रिटायर्ड अफसर इतने परले दर्जे की साजिश करता है और पूरी सरकार को इस हद तक बदनाम करने का हौसला दिखाता है. यह एक मामला तो पुलिस के मुताबिक फर्जी और गढ़ा हुआ है, लेकिन सरकार के अलग-अलग बहुत से महकमों की कमजोरियां हैं जिनको प्रदेश में बहुत से लोग दूहते रहते हैं, उस बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए। फिलहाल तो उत्तर प्रदेश चुनाव के ठीक पहले इस बड़ी साजिश का भंडाफोड़ होने से सरकार को एक राहत ही मिली होगी।

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