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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जनवरी। हर छत्तीसगढिय़ा सोमवार को साल का पहला त्योहार ‘छेरछेरा’ मना रहा है। त्योहार की महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार ने इस साल से छेरछेरा पर सामान्य अवकाश घोषित की है। छेरछेरा पर्व इसे दान का पर्व भी माना जाता है। इस दिन युवक-युवती और बच्चे गांव में घर-घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं। छत्तीसगढ़ यह छेरछेरा त्योहार का अलग ही महत्व है। सदियों से माने जाने वाले यह लोक पर्व पौष महीने के पूर्णिमा तिथि के शुक्ल पक्ष के 15वें तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग रुपये पैसे का नहीं बल्कि अन्न का दान करने की परंपरा है।
गांव से लेकर शहर के हर मोहल्ले में बच्चे सुबह से ही टोली बनाकर हाथ में थैला लेकर घर-घर में जाकर अन्न का दान मांगते देखे जा रहे है। किसानों की मान्यता है कि फसल कटने और अनाज का भंडारण करने के बाद अन्न के शुद्धीकरण करने के लिए अन्न का दान किया जाता है। दान देने से घरों में अन्न में वृद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
छेरछरा त्योहार देश में केवल छत्तीसगढ़ में ही मनाया जाता है। यह किसानों की आस्था और विश्वास का दान के रूप में मनाया जा रहा है।
‘छेरछेरा, माई कोठी के धान ला हेर हेरा’
गांव में बच्चे घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं। छेरछेरा माई कोठी के धार ला हेर हेरा इन पंक्तियों को गाते हुए दान मांगते हैं। लोग घरों में अपनी कोठी में रखे धान और चावल निकालकर बच्चों को देते हैं। बच्चे दिनभर घूमघूमकर चावल और धान इकठा करते हैं। फिर टोली के बच्चे उस चावल को आपस में बांटते है।
बघेल-उइके ने जताई शुभकामना
सीएम भूपेश बघेल और राज्यपाल अनुसुइया उइके ने प्रदेशवासियों को छेरछेरा की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर अपने संदेशों मे ंउन्होंने सबकी सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। बघेल ने कहा है कि नई फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पुन्नी तिहार मनाया जाता है। इसी दिन मां शाकम्भरी जयंती भी मनाई जाती है।
सीएम ने कहा कि प्रदेश की अमूल्य धरोहरों और पौराणिक परम्पराओं का संवर्धन और संवहन हो सके, इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने छेरछेरा तिहार पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि हमारी समृद्ध सभ्यता और परंपराओं से भावी पीढ़ी का परिचय कराना हम सबका दायित्व है।