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रायपुर, 18 जनवरी। रामकृष्ण केयर प्रबंधन ने बताया कि यह ऑपरेशन की खास बात यह थी कि इस मरीज का पहले जोड़ प्रत्यारापेण ऑपरशन हो चुका था, ऑपरेशन के बाद उसके जोड़ में इंफेक्शन हो गया जिसकी वजह से मरीज का जोड़ लूज हो गया। मरीज को चलने में परेशानी होने लगी एवं लकड़ी का सहारा लेना पड़ा घरेलू कार्य करना एवं बाहर जाना भी असंभव हो गया।
प्रबंधन ने बताया कि घुटने की परेशानी से व्यथित होकर मरीज ने डॉ. अंकुर सिंघल को रामकृष्ण केयर अस्पताल में दिखाया। मरीज को रिवीजन नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी। इस ऑपरेशन को दो चरणों में पूरा किया गया। पहले चरण में लूज हुए जोड़ को निकालकर सीमेंट का जोड़ लगाया गया एवं दूसरे चरण में इंफेक्शन खत्म होने के बाद के द्वारा रिवीजन नी रिप्लेसमेटं सर्जरी किया गया।
प्रबंधने ने बताया कि ऑपरेशन के 3 घंटे बाद मरीज को स्टिक के माध्यम से चलाया गया एवं 5वें दिन बिना सपोर्ट के चलाया गया। आज वह बिना दर्द के लगभग 3-4 कि.मी. आसानी से चल लेती है और बाहर भी आ-जा सकती है एवं घरेलू कामकाज करने में भी कोई परेशनी नहीं हो रही है। इसे ऑपरेशन ने उनको एक नई और स्वस्थ्य जिंदगी प्रदान की है।
डॉ. सिंघल ने बताया कि मरीजों में उनके द्वारा इजात की हुई इस तकनीक से जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मरीजों की रिकवरी फास्ट होती है। इस तकनीक से मरीज न सिर्फ केवल कुछ घंटे बाद चल सकता है बल्कि अपनी सामान्य जीवन में तेजी से वापस लौट सकता है।
डॉ. सिंघल ने यह भी बताया कि जहां पहले जोड़ प्रत्यारोपण में बड़ा चीरा लगता था एवं खून का स्त्राव ज्यादा होता था इस तकनीक की वजह से छोटे चीरे में सर्जरी होती है, चमडी़ पर कोई टांका नहीं लिया जाता एवं रक्त का स्त्राव भी कम हातेा है, जिसकी वजह से मरीज को खून नहीं चढ़ाया जाता। पूर्व में जोड़ प्रत्यारोपण के बाद मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने को कहा जाता था। लेकिन अब इस तकनीक से सर्जरी के समय सेे लेकर रिकवरी का समय भी कम हो गया है।