अंतरराष्ट्रीय

जर्मनी यूक्रेन की मांगों को पूरा करे या रूस को समझाए?
18-Jan-2022 12:11 PM
जर्मनी यूक्रेन की मांगों को पूरा करे या रूस को समझाए?

सीमा पर रूस से तनातनी, नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन 2 और यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई, जर्मन विदेश मंत्री इन्हीं मुद्दों के साए में यूक्रेन और रूस गई हैं. अनालेना बेयरबॉक पहले यूक्रेन-रूस के दौरे से क्या लेकर आएंगी?

   डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-

रूस और यूक्रेन में चल रहे तनाव के बीच जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक सोमवार से इन देशों के दौरे पर हैं. बतौर विदेश मंत्री इस इलाके में यह उनका पहला दौरा है. राजधानी कीव में उनकी मुलाकात यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा से होगी. यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े पर बात करने के साथ ही कीव ने जर्मनी से हथियारो की सप्लाई मांगी है. इसके अलावा दोनों देशों की बातचीत में नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन का मुद्दा भी प्रमुखता से शामिल होगा.

बेयरबॉक की यात्रा जर्मनी और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक रिश्ते की शुरुआत की तीसवीं वर्षगांठ के मौके पर हो रही है. इस यात्रा में बेयरबॉक ऑर्गनाइजेशन फॉर सिक्योरिटी एंड कॉपरेशन इन यूरोप (ओएससीई) के जर्मन प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगी. जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि यूक्रेन की हाइड्रोजन नीति पर चर्चा करने की भी योजना है.  जर्मन विदेश मंत्री कीव के मध्य में बने हैवेनली हंड्रेड स्मारक पर भी जाएंगी. यह स्मारक 2014 की यूरोपीय क्रांति में मरे लोगों की याद में बनाया गया है. दिमीत्री कुलेबा ने एक जर्मन अखबार से बातचीत में कहा है कि उनका देश,"जर्मनी की नई सरकार से उम्मीद करता है कि वह रूस की धमकियों और डराने की कोशिशों को देखते हुए यूरोप और सहयोगी देशों के साथ कड़ा रुख अपनाएगा."

एक दिन बाद ही बेयरबॉक को मॉस्को जा कर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलना है. इससे पहले जर्मनी में यूक्रेन के राजदूत आंद्री मेलनिक ने बेयरबॉक से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हथियारों की सप्लाई सुनिश्चित करने की मांग की. मेलनिक का कहना है कि हथियारों की सप्लाई से जर्मनी का इनकार "बहुत निराश करने वाला और कड़वा है."

क्या नतीजा होगा जर्मन विदेश मंत्री के दौरे का
अनालेना बेयरबॉक के इस दौरे से इन मामलों के किसी निर्णायक हल की उम्मीद तो नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि इन पर बातचीत कुछ आगे बढ़ेगी. नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का मुद्दा जर्मनी के लिए काफी अहम है. इस पाइपलाइन के जरिए रूस से जर्मनी तक गैस लाइन जानी है. इसकी दो लाइनों का निर्माण 2021 में ही पूरा हो चुका है. रूस के पास खरीदारों की कमी नहीं है लेकिन जर्मनी को इस गैस की जरूरत है. इस पाइपलाइन की मदद से यूरोप के ऊर्जा क्षेत्र में रूस की भूमिका अहम हो जाएगी और यही वजह है कि यूक्रेन और कुछ दूसरे देश इससे बहुत खुश नहीं है. कई मुद्दों पर रूस का विरोध कर रहे देश नहीं चाहते कि रूस को यह मौका मिले. जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी भी इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं है. अनालेना बेयरबॉक इसी पार्टी की नेता है. बड़ा सवाल यह है कि अगर रूस की हरकतों के कारण अगर उस पर प्रतिबंध लगता है तो क्या यह पाइपलाइन भी इसके दायरे में आएगी. जर्मन राजनीतिक दलों में इसे लेकर एक राय नहीं है.

यही हाल हथियारों की सप्लाई को लेकर भी है. जर्मनी ने संघर्ष वाले देशों को हथियार नहीं देने का फैसला कर रखा है. ऐसे में, यूक्रेन की मांग को पूरा करना आसान नहीं होगा. बेयरबॉक खुद हथियारों की सप्लाई के खिलाफ बोलती रही हैं और जर्मनी की सत्ताधारी गठबंधन ने इस मुद्दे को फिलहाल साझा कार्यक्रम से बाहर रखा है. हालांकि ग्रीन पार्टी के भी कुछ नेता मानते हैं कि यूक्रेन को आत्मरक्षा का अधिकार है और उसके इलाके में होने वाले अतिक्रमण का विरोध जरूरी है. यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिक मार्च कर रहे हैं और क्राइमिया के अनुभव ने दुनिया को दिखा दिया है कि पुतिन क्या कर सकते हैं.

यूक्रेन में गैसों के परिवहन का विशाल नेटवर्क है और यूरोप के कई देश यूक्रेन की इस गैस तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं. मुश्किल यह है कि इसके लिए यूक्रेन से गैसों की सप्लाई के लिए पहले वहां भारी निवेश करना होगा. सोवियत जमाने के संयंत्रों और उपकरणों में अब जंग लग चुका है और यहां से पूरी तरह नया तंत्र विकसित करना होगा. यूरोप अब हाइड्रोजन को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस काम में यूक्रेन अहम भूमिका निभा सकता है बशर्ते कि वहां निवेश किया जाए. जर्मन विदेश मंत्री के दौरे में इस पर चर्चा से कुछ नई बातें सामने आ सकती हैं.

(डीपीए)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news