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यूरोप की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा जर्मनी
18-Jan-2022 5:28 PM
यूरोप की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा जर्मनी

जर्मनी आपसी बातचीत के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहा है. वह रूस के साथ बातचीत जारी रखने के पक्ष में है. साथ ही, वह नॉरमंडी फॉर्मेट के जरिये क्षेत्रीय सुरक्षा के मसले पर सभी पक्षों को साथ लाने की भी कोशिश में है.

  (dw.com)  

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि यू्क्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्मनी हर मुमकिन कोशिश करेगा. बेयरबॉक ने यह बात बतौर विदेश मंत्री अपनी पहली यूक्रेन यात्रा के दौरान यह बात कही. यूक्रेन के विदेश मंत्री के साथ बातचीत के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में बेयरबॉक ने कहा "यूक्रेन की सुरक्षा के लिए हम हर संभव कोशिश करेंगे. यूरोप को सुरक्षित रखने के लिए जो करना पड़े, हम करेंगे."

यूक्रेन के बाद रूस से भी चर्चा

यूक्रेन सीमा पर रूस के साथ बने विवाद के बीच जर्मनी तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है. इसी सिलसिले में बेयरबॉक यूक्रेन के बाद आज मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगी. रूस के साथ पश्चिमी देशों की हालिया बातचीत बेनतीजा रही थी.

जर्मनी ने कहा था कि वह रूस के साथ वार्ता जारी रखे जाने के पक्ष में है. दोनों देशों के अपने दौरे से पहले बेयरबॉक भी कह चुकी हैं कि वह आपसी बातचीत के जरिये मौजूदा संकट का हल निकालने की कोशिश करेंगी. हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर रूस ने सेना का इस्तेमाल कर तनाव बढ़ाया, तो उसे ठोस प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा.

क्या है नॉरमंडी फॉर्मेट?

बेयरबॉक से बातचीत के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने पत्रकारों से कहा कि दोनों देश इस संकट का कूटनीतिक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा, "हमारा साझा लक्ष्य है कि नॉमंर्डी फॉर्मेट प्रभावी तरीके से अपनी भूमिका निभाए. और, नॉरमंडी फॉरमेट के नेता मिलकर इस मामले पर सम्मेलन करें." नॉरमंडी फॉर्मेट चार देशों का प्रतिनिधित्व करती है. ये देश हैं- जर्मनी, रूस, फ्रांस और यूक्रेन.

नॉरमंडी फ्रांस का एक इलाका है. जून 1944 में इसी जगह पर दूसरे विश्व युद्ध के समय की चर्चित डी-डे लैंडिंग हुई थी. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने हवाई रास्ते से यहां अपने सैनिकों को यहां लैंड करवाया था. उस समय फ्रांस पर नाजियों का कब्जा था. डी-डैं लैंडिंग का मकसद था जर्मनी को हराना और यूरोप को आजाद कराना. इस दिन की याद में हर साल 6 जून को डी-डे की सालगिरह का जश्न मनाया जाता है. 2014 में डी-डे की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर नॉरमंडी में आयोजन हुआ.

इसी मौके पर जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूक्रेन के बीच एक अनाधिकारिक मुलाकात हुई. इसका मकसद था, पूर्वी यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को आपसी बातचीत से सुलझाना. इसी पृष्ठभूमि में इन चारों देशों की आपसी वार्ता को 'नॉरमंडी फॉर्मेट' का नाम मिला.

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने और क्या कहा?

कुलेबा ने हालांकि यह भी दोहराया कि कि यूक्रेन पश्चिमी देशों से हथियार लेना चाहता है. इससे पहले दिसंबर 2021 में यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि जर्मनी उसके पास नाटो के हथियार नहीं आने दे रहा है.

यूक्रेन ने कहा था कि वह ऐंटी-ड्रोन रायफल और ऐंटी-स्नाइपर सिस्टम खरीदना चाहता था. मगर जर्मनी ने वीटो लगाकर खरीद की उसकी योजनाओं को ब्लॉक कर दिया है. उस समय यूक्रेन ने यह भी कहा था कि जर्मनी खुद तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन बना रहा है, लेकिन वह यूक्रेन की सुरक्षा से जुड़े हथियारों की खरीद रोक रहा है.

रूस का बयान

बेयरबॉक से हुई मुलाकात के बाद दमित्रो कुलेबा ने पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर जर्मनी से उनकी वार्ता जारी रहेगी. उधर रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने बेयरबॉक से मुलाकात के पहले जारी अपने बयान में कहा कि प्रस्तावित मुलाकात में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत होगी. मगर इन सबसे ऊपर रूस ने पश्चिमी देशों से जो सुरक्षा गारंटी मांगी है, उस पर भी बात होगी.

17 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान लावरोव ने कहा कि रूस अपनी मांगों का ठोस जवाब मिलने का इंतजार कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि रूसी नेतृत्व देश की सुरक्षा और अपने नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित रखने में पूरी तरह समर्थ है.

एसएम/एनआर (एएफपी)

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