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भारत की स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा क्यों कह रही हैं टेनिस को अलविदा
20-Jan-2022 10:28 AM
भारत की स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा क्यों कह रही हैं टेनिस को अलविदा

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-आदेश कुमार गुप्त

भारत में जब भी टेनिस की बात होती है और वह भी महिला टेनिस की तो ले देकर एक ही नाम सबके ज़हन में आता है, और वह नाम है सानिया मिर्ज़ा. उन्होंने शोहरत की बुलंदियों से लेकर विवादों के तमाम दौर देखे हैं, लेकिन अब उन्होंने ख़ुद एलान कर दिया है कि यह उनका आख़िरी सीज़न होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पता नहीं वह पूरे सीज़न खेल भी पाएँगी या नहीं.

सानिया मिर्ज़ा साल के पहले ग्रैंडस्लैम टेनिस टूर्नामेंट ऑस्ट्रेलियन ओपन में यूक्रेन की नादिया विक्टोरिवना किचेनोक के साथ मिलकर महिला युगल के मुक़ाबले खेल रही थीं. सानिया-नादिया की जोड़ी को 12वीं वरीयता भी हासिल थी लेकिन इन्हें पहले ही दौर में ग़ैर वरीयता हासिल जोड़ी स्लोवेनिया की काजा जुवान और तमेरा ज़िदानसेक के हाथों 6-4,7-6 से हार का सामना करना पड़ा.

यह मुक़ाबला एक घंटे 37 मिनट चला. इस मुक़ाबले ने सानिया मिर्ज़ा को एहसास करा दिया कि अब समय आ गया है कि वह अपने टेनिस रैकेट को खूँटी पर टांग दें क्योंकि उनका शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा, "आज मेरे घुटने में दर्द हो रहा है. ऐसा नहीं है कि हम इसके कारण हारे, लेकिन लगता है कि अब उबरने में समय लग रहा है क्योंकि उम्र बढ़ रही है. मेरे अंदर हर दिन के दबाव के लिए ऊर्जा और प्रेरणा पहले जैसी नहीं रही."

15 नवंबर 1986 को हैदराबाद में जन्मी सानिया मिर्ज़ा अब 35 साल से अधिक की हो चली हैं. सानिया मिर्ज़ा ने साल 2019 में बेटे के जन्म के बाद टेनिस में वापसी की, लेकिन कोरोना महामारी ने उनके आगे बढ़ने के रास्ते रोक दिए. सानिया मिर्ज़ा का बेटा तीन साल का है और उन्हें लगता है कि उसके साथ यात्रा करते हुए वह उसे ख़तरे में डाल रही है.

सानिया मिर्ज़ा भारत की सबसे कामयाब महिला टेनिस खिलाड़ी रही हैं. वह महिला युगल की बेहद ख़तरनाक खिलाड़ियों में से एक मानी जाती रही हैं. महिला एकल में भी उन्होंने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल रही स्वेत्लाना कुज़्नेत्सोवा, वेरा ज़्वोनारेवा, मारियन बार्तोली और नम्बर एक रह चुकी मार्टिना हिंगिस, दिनारा सफ़ीना और विक्टोरिया अज़ारेंका को कई बार हराया.

वह साल 2007 में महिला एकल में 27वीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी थी. इसके बाद वह कलाई में चोट का शिकार हो गईं और केवल युगल की खिलाड़ी बनकर रह गईं. लेकिन युगल मुक़ाबलों में ही वह जमकर चमकी.

उनकी कामयाबी का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने टेनिस करियर में 43 युगल ख़िताब जीते. साल 2015 में तो वह दुनिया की नम्बर एक महिला युगल खिलाड़ी भी थीं.

किसी भी टेनिस खिलाड़ी की महानता उसके द्वारा जीते गए टेनिस के ग्रैंड स्लैम ख़िताब के आधार पर आंकी जाती है. सानिया मिर्ज़ा के लिए साल 2015 तब उनके जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशियाँ लेकर आया जब उन्होंने पहले तो विम्बलडन और उसके बाद अमेरिकी ओपन में युगल ख़िताब जीता. दोनों टूर्नामेंट में उनकी जोड़ीदार स्विट्ज़रलैंड की मार्टिना हिंगिस थी. इसके बाद मार्टिना हिंगिस के ही साथ मिलकर उन्होंने अगले ही साल 2016 में ऑस्ट्रेलियन ओपन का ख़िताब भी जीता.

सानिया मिर्ज़ा ने मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर साल 2015 में डब्ल्यूटीए फ़ाइनल्स का ख़िताब भी जीता. इससे पहले उन्होंने साल 2014 में भी डब्ल्यूटीए फ़ाइनल्स का ख़िताब ज़िम्बाब्वे की कारा ब्लैक के साथ जीता.

मिश्रित युगल में सानिया मिर्ज़ा का पहला ग्रैंडस्लैम ख़िताब साल 2009 में महेश भूपति के साथ जीता गया ऑस्ट्रेलियन ओपन था. फिर इसी जोड़ी ने साल 2012 में फ़्रेंच ओपन जीता. लेकिन साल 2014 में उन्होंने ब्राज़ील के ब्रूनो सोआरेस के साथ मिलकर अमेरिकी ओपन जीता.

एक तरफ़ सानिया मिर्ज़ा अंतराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी के नए आयाम स्थापित कर रही थीं तो वहीं कुछ विवाद और नाकामी भी उनके साथ जुड़ गई. उन्होंने चार ओलंपिक में हिस्सा लिया लेकिन वह कोई पदक हासिल नहीं कर सकीं. इनमें 2008 के बीजिंग, 2012 के लंदन, 2016 के रियो और 2021 के टोक्यो ओलंपिक शामिल हैं.

साल 2012 में लंदन ओलंपिक में रवाना होने से पहले सानिया मिर्ज़ा और भारतीय टेनिस संघ में ज़ोरदार टकराव हुआ और सुर्ख़ियों में भी ख़ूब छाया. सानिया मिर्ज़ा लंदन ओलंपिक में महेश भूपति के साथ मिलकर खेलना चाहती थीं. उन्होंने संघ पर उन्हें कमॉडिटी की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

सानिया मिर्ज़ा टेनिस कोर्ट पर अपने बेहद दमदार और शानदार फ़ोरहैंड शॉट खेलने के लिए जानी जाती रहीं और वास्तविक जीवन में भी उन्होंने हर विवाद का सामना दिलेरी से किया. हमें उनसे कई बार बातचीत करने का अवसर मिला. खनखनाती हंसी के साथ हर सवाल का जवाब देना उनके स्वभाव में है.

भारत-पाकिस्तान से जुड़े विवाद

पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक से शादी के बाद वह कई बार भारत पाकिस्तान समर्थन के मुद्दे पर खुल कर बोलती रही हैं. सानिया मिर्ज़ा ने तब भी ख़ूब सुर्ख़ियाँ बटोरीं जब वह पिछले साल हुए संयुक्त अरब अमीरात में टी-20 विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के मैचों में दिखाई दीं. सानिया मिर्ज़ा आधुनिक फ़ैशन को पसंद करती हैं और टेलीविज़न के विभिन्न शौ में भी अक्सर दिखाई देती हैं.

सानिया मिर्ज़ा और पाकिस्तान की अभिनेत्री वीना मलिक भी एक बार आपस में टकरा चुकी हैं. तब वह अपने बेटे को लेकर एक रेस्टोरेंट में गई थीं जिसके बाद वीना मलिक ने सानिया मिर्ज़ा को उनके खाने-पीने को लेकर ट्वीट किया था. बाद में सानिया मिर्ज़ा के पति शोएब मलिक और आम पाकिस्तानी भी इस विवाद में कूदे. सानिया मिर्ज़ा के कपड़ों को लेकर भी कई बार बहस हुई. यहां तक कि जब उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला तब भी विवाद हुआ.

सानिया मिर्ज़ा आज तक किसी भी विवाद पर ख़ामोश नहीं रही हैं लेकिन उन्होंने कभी ग़ैरज़िम्मेदारी वाली बात भी नहीं कही है.

सानिया मिर्ज़ा की ख़ासियत
सानिया मिर्ज़ा जब केवल छह साल की थीं तब उनके पिता इमरान मिर्ज़ा ने बड़ा फ़ैसला किया कि उनकी बेटी टेनिस खिलाड़ी बनेगी. उन्होंने महेश भूपति के पिता की टेनिस अकैडमी में सानिया मिर्ज़ा को शुरुआती टेनिस सिखाई और उसके बाद उनके कई कोच रहे जिनमें भारतीय डेविस कप टीम के पूर्व खिलाड़ी और वर्तमान कोच ज़ीशान अली के पिता दिवंगत अख़्तर अली भी थे.

अख़्तर अली ख़ुद भारत के डेविस कप खिलाड़ी और कोच भी रहे. ज़ीशान अली ने बताया था कि उन्होंने सानिया मिर्ज़ा को बचपन से खेलते देखा है. उनके अनुसार सानिया मिर्ज़ा बेहद मेहनती खिलाड़ी हैं.

ज़ीशान अली ने आगे कहा था, "भारत में टैलेंट की तो कोई कमी नहीं है लेकिन जो आग किसी खिलाड़ी में होनी चाहिए, जो त्याग या क़ुर्बानी देने के लिए तैयार रहे. कठिनाइयों को सहने की क्षमता रखता हो, वह भी युवा दिनों में, वह सब सानिया में है.''

एक बार अख़्तर अली ने हमें बताया था कि दूसरी खिलाड़ियों की तरह सानिया मिर्ज़ा के पिता इमरान मिर्ज़ा उनके पास आए थे, लेकिन उन्होंने का कि वह अपनी बेटी को साधारण नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनाना चाहते हैं जबकि बाकि चाहते थे कि बस यह ठीक-ठाक टेनिस सीख ले. नतीजा सामने है कि सानिया मिर्ज़ा दूसरों के मुक़ाबले कहाँ हैं.

सानिया मिर्ज़ा ने भारत को एशियन गेम्स, राष्ट्रमंडल खेल और एफ़्रो एशियन गेम्स में भी ढेरों पदक दिलाए.

पहले महेश भूपति और उसके बाद लिएंडर पेस के अंतराष्ट्रीय टेनिस पटल से लगभग हटने के बाद सानिया मिर्ज़ा ही भारत की टेनिस में पहचान हैं. इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और इनकी कमी को भी शायद पूरा नहीं किया जा सकेगा. (bbc.com)

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