सामान्य ज्ञान

बिम्बिसार
21-Jan-2022 11:22 AM
बिम्बिसार

मगध के राजा बिम्बिसार की राजधानी राजगीर (राजगृह) थी। बिम्बिसार गौतम बुद्ध के सबसे बड़े प्रश्रयदाता थे। वे पन्द्रह वर्ष की आयु में राजा बने और अपने पुत्र अजातसत्तु (संस्कृत- अजातशत्रु) के लिए राज-पाट त्यागने से पूर्व बावन वर्ष इन्होंने राज्य किया। राजा पसेनदी की बहन और कोसल की राजकुमारी, इनकी पत्नी और अजातशत्रु की मां थी। खेमा, सीलव और जयसेना नामक इनकी अन्य पत्नियां थीं। विख्यात वारांगना अम्बापालि से इनका विमल कोन्दन्न नामक पुत्र भी था।

 बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना 544 ई. पू. में की। इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ। बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनाया। इसके वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

 बिम्बिसार (544 ई. पू. से 492 ई. पू.) बिम्बिसार एक कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था। उसने प्रमुख राजवंशों में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर राज्य को फैलाया।  सुत्तनिपात अ_कथा के पब्बज सुत्त के अनुसार, बिम्बिसार ने संन्यासी गौतम बुद्ध का प्रथम दर्शन पाण्डव पर्वत के नीचे अपने राजभवन के गवाक्ष से किया और उनके पीछे जाकर, उन्हें अपने राजभवन में आमंत्रित किया। गौतम बुद्ध ने यह निमंत्रण अस्वीकार किया तो उन्होंने गौतम बुद्ध को उनकी उद्देश्य-पूर्ति हेतु शुभकामनाएं दी और बुद्धत्व-प्राप्ति के उपरान्त उन्हें फिर से राजगीर आने का निमंत्रण दिया। तेभतिक जटिल के परिवर्तन के बाद, बुद्ध ने राजगीर में पदार्पण करके, अपना वचन पूरा किया। आगामी तीस वर्षों तक बिम्बिसार बौद्ध धर्म के विकास में सहायक बने।

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