सामान्य ज्ञान
स्कन्द पुराण, छह शैव पुराणों में से एक है। यह भगवान कार्तिकेय पर आधारित पुराण है जिसमें लौकिक एवं पारलौकिक ज्ञान के अनेक उदाहरण प्रस्तुत होते हैं। स्कन्द पुराण में धर्म, नीति सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्ति का सुंदर विवरण प्रस्तुत किया गया है। स्कन्द पुराण में भगवान शिव व सती की महिमा, शिव-पार्वती विवाह, कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म, तारकासुर का वध आदि घटनाओं पर वर्णन किया गया है।
स्कन्द पुराण में साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्रों का उल्लेख मिलता है। 18 पुराणों के क्रम में इसे तेरहवां स्थान प्राप्त है। इस ग्रंथ का रूप खंडात्मक और संहितात्मक दो भागों में प्राप्त होता है। इस ग्रंथ में लगभग इक्यासी हजार श्लोक हैं । यह आकार की दृष्टि से सबसे बड़ा है और यह भगवान स्कंद जिन्हें कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है, को समर्पित है।
स्कन्द पुराण एक शतकोटि पुराण है इसमें भगवान शिव की महिमा का बहुत ही मनोहर वर्णन किया गया है। यह पुराण खण्डों में विभाजित है जिसमें कुछ विद्वान इसके खंडों की संख्या छह और कुछ के अनुसार सात है। यह निम्न खण्ड इस प्रकार हैं-माहेश्वर खण्ड, वैष्णव खण्ड, ब्रह्म खण्ड, काशी खण्ड, अवन्तिका खण्ड तथा रेवा खण्ड।
स्कंद पुराण में शैव एवं वैष्णव तीर्थों के माहात्म का वर्णन प्राप्त होता है । इसके साथ ही इसमें अनेक प्रेरक कथाओं का वर्णन मौजूद हैं तथा साथ ही साथ अध्यात्म विषयक प्रकरण भी शामिल किए गए हैं। शिव के साथ ही इसमें विष्णु और श्री राम की महिमा का भी सुन्दर विवेचन प्रस्तुत किया गया है।। यह पुराण श्रावण और कार्तिक मास के माहात्म्य को प्रकट करता है इसके साथ ही इस पुराण में तीर्थों की यात्रा महत्व स्नान-दान आदि का प्रभावयुक्त विवरण है। मान्यता है कि इस पुराण के श्रवण-मनन द्वारा सुख शांति की प्राप्ति होती है तथा मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।