सामान्य ज्ञान
इन दिनों बिटक्वाइन चर्चा में है। यह मुद्रा नहीं है डिजिटल करेंसी है जिसका इस्तेमाल वर्चुअल वल्र्ड में होता है। बिटक्वाइन एक ओपन सोर्स प्रोडक्ट है, कोई भी व्यक्ति एक जटिल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए इस डिजिटल मुद्रा को हासिल कर सकता है।
बिटक्वाइन केंद्रीयकृत नहीं है, इस पर सरकारों का नियंत्रण भी नहीं है जैसा कि डॉलर और यूरो के मामले में होता है। जहां सरकारें मुद्रा के प्रवाह को सीमित करने के लिए वीजा तथा बड़े बैंकों पर दबाव डाल सकती हैं, बिटक्वाइन में इंटरनेट की कुल मिलाकर सभी अच्छी और कभी-कभी बुरी बातें शामिल होती हैं। बिटक्वाइन की पेशकश करके ऑनलाइन कैसीनो पूरी दुनिया में चलने वाली एक मुद्रा को स्वीकार कर सकते हैं। चीन, यूरोप और अमेरिका के खिलाड़ी एक ही मुद्रा में जमा और निकासी कर सकते हैं। ऑनलाइन गैम्बलर बिटक्वाइन में शामिल गोपनीयता की वजह से इसका लाभ उठाते हैं।
महज तीन साल पहले अस्तित्व में आई बिटक्वाइन दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा बन चुकी है। एक बिटक्वाइन की कीमत है 1,000 डॉलर से भी ज्यादा अथवा तकरीबन 63 हजार रुपए।
भारत में कुछ ऑपरेटर ऑनलाइन बिटक्वाइन मुहैया करा रहे हैं । विनिमय सेवा, रुपए या किसी अन्य मुद्रा के बदले बिटक्वाइन की पेशकश की जाती है। डिजिटल मुद्रा बिटक्वाइन की बढ़ती लोकप्रियता ने नियामकों को गहरी चिंता में डाल दिया है। बिटक्वाइन से जुड़े मनी लांड्रिग जोखिम ने नियामकों का चैन छीन लिया है। नियामक यह भी आशंका जता रहे हैं कि धोखाधड़ी करने वाले लोग बिटक्वाइन का दुरुपयोग कर भोले-भाले निवेशकों को ई-पोंजी स्कीमों में धन लगाने का लालच दे सकते हैं। अगर वाकई ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर इन निवेशकों को लाखों रुपये का चूना लगेगा।
ई-मुद्रा बिटक्वाइन की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अमेरिका और चीन समेत कई देशों में कुछ ऑनलाइन रिटेलर अब बिटक्वाइन को बाकायदा स्वीकार भी करने लगे हैं। यही नहीं, बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर पिज्जा की डिलीवरी भी होने लगी है। इसी तरह कई अन्य कार्यों में भी बिटक्वाइन का इस्तेमाल किया जाना इन रिटेलरों को मंजूर है।
भारत के नियामकों को फिलहाल बिटक्वाइन से जुड़े हर सवाल पर गौर करना पड़ रहा है। मसलन, नियामक इन प्रश्नों पर मंथन कर रहे हैं कि बिटक्वाइन का नियमन किया जाए अथवा नहीं और अगर नियमन को जरूरी समझा जा रहा है तो इसका जिम्मा किसको दिया जाए? नियामक इन सवालों पर भी गौर कर रहे हैं कि बिटक्वाइन का नियमन किस तरह से हो सकता है और इसके लिए क्या-क्या मानक होने चाहिए? वित्तीय क्षेत्र के कमोबेश सभी नियामक और आर्थिक अपराधों से निपटने वाली एजेंसियां मसलन रिजर्व बैंक एवं सेबी के अलावा वित्त मंत्रालय के अधीनस्थ विभिन्न एजेंसियां भी बिटक्वाइन से जुड़े घटनाक्रम पर नजर रख रही हैं।