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पटवा भवन में 26 को गौतम लब्धि कलश अनुष्ठान देश में पहली बार राज्य स्तर पर होगा ये कार्यक्रम
24-Jan-2022 5:53 PM
पटवा भवन में 26 को गौतम लब्धि कलश अनुष्ठान देश में पहली बार राज्य स्तर पर होगा ये कार्यक्रम

रायपुर, 24 जनवरी। टैगोर नगर- स्थित श्री लालगंगा पटवा भवन में 26 जनवरी को गौतम लब्धि कलश महानुष्ठान का आयोजन किया गया है। यहां परम पूज्य गुरुदेव द्वारा हजारों कलशों को अभमंत्रित किया जाएगा जिन्हें प्रदेशभर में रहने वाले सकल जैन समाज के लोगों के घर भेजा जाएगा। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब यह अनुष्ठान राज्य स्तर पर होने जा रहा है।

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव संत प्रवीण ऋषि की प्रेरणा से ये महानुष्ठान रखा गया है। इसकी तैयारियों को लेकर शनिवार को सकल जैन समाज की बैठक रखी गई थी। इसमें सभी ने एकराय होकर पूर्व मंत्री राजेश मूणत के मार्गदर्शन में कार्यक्रम को सफल बनाने का संकल्प लिया है।

उन्होंने बताया कि गौतम लब्धि महानुष्ठान के तहत जिन घरों में कलश की स्थापना की जाएगी वे प्रतिदिन कलश में कुछ धन राशि डालेंगे। 6 महीने में जितनी भी राशि इकट्ठा होगी उसका इस्तेमाल समाज के जरूरतमंदों को मेडिकल, शिक्षा में सहयोग करने के लिए किया जाएगा। इसी राशि से समाजजनों को ब्याजमुक्त ऋण भी दिया जाएगा।

एक व्यवस्था होगी तभी समाज में एकता आएगी इसके लिए हमें नेताजी की जरूरत-प्रवीण ऋषि

धर्म-अध्यात्म शिविर के तीसरे दिन अर्हम विज्जा प्रणेता उपाध्याय प्रवर श्री प्रवीण ऋषि जी म.सा. ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को उनकी 125वीं जयंती पर याद किया। परम पूज्य गुरुदेव ने कहा कि परिवार और समाज में एकता तभी आ सकती है जब सबके लिए एक समान व्यवस्था हो। इसके लिए हमें फिर से एक बार नेताजी की जरूरत है जो लोगों को अपना बलिदान देने के लिए तैयार करें। नेताजी की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बाद ऐसा नेता नहीं हुआ जिसके साथ ‘जी’ जोड़ा जा सके। नेताजी की लोकप्रियता समझनी हो तो जरा इतिहास के पन्ने पलटिए। नेताजी दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए खड़े हुए तो गांधी ने पट्टाभि सीतारामैया का समर्थन किया था। गांधी ने यह तक कह दिया था कि सीतारमैया की हार मेरी हार होगी और आखिरकार उनकी हार हुई। नेताजी दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए जिससे सिद्ध होता है नेताजी गांधी से कहीं अधिक लोकप्रिय थे।

आज भी देश को नेताजी की जरूरत है ताकि सबके लिए समान व्यवस्था बनाई जा सके। जिस दिन यह व्यवस्था लागू हो गई उस दिन देश की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। व्यवस्था के बारे में और अधिक समझाते हुए उन्होंने कहा, व्यवस्था तीन तरह की होती हैं। पहली व्यवस्था वासुदेव की, दूसरी सत्ता के चक्रवर्ती और तीसरी धर्म के चक्रवर्ती। वासुदेव की व्यवस्था को आप श्रीकृष्ण के जीवन से समझ सकते हैं जिसमें उन्होंने धर्म का साथ दिया और धर्मियों को अधर्मियों से युद्ध करवाया। दूसरी व्यवस्था चक्रवर्ती है जिसे भरत के शासनकाल से समझ सकते हैं। उनके शासन में सबके लिए एक व्यवस्था लागू थी। भद्रबाहु से उनका युद्ध हुआ तो वह धर्म-अधर्म की लड़ाई नहीं बल्कि व्यवस्था निर्माण की व्यवस्था थी। लेकिन, समस्या यह है कि चक्रवर्ती की बनाई व्यवस्था उसके जीवनकाल तक ही चलती है। वहीं धर्म के चक्रवर्ती यानी तीर्थंकर परमात्मा का शासन 21 हजार सालों तक चलता है। तीर्थंकर की व्यवस्था ऐसी होती है जहां जानी दुश्मन यानी सांप और नेवले भी मित्र बन जाते हैं। हमें ऐसी ही व्यवस्था बनानी है जहां सब मैत्री भाव के साथ रह सकें और यह व्यवस्था लंबी समय तक चलती रहे। इसके लिए पहले मैं, फिर परिवार और उसके बाद सामाजिक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।

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