अंतरराष्ट्रीय
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19 साल की एक महिला पायलट ने पांच महीने की चुनौतीपूर्ण यात्रा करते हुए अकेले विमान उड़ाकर पूरी दुनिया घूम ली. इस तरह वे ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई हैं.
ज़ारा रदरफ़ोर्ड ने ख़राब मौसम के चलते तय समय से दो महीने बाद अपनी यात्रा पूरी की. उनका विमान अपना लक्ष्य पूरा करके बेल्जियम के कॉर्ट्रिज्क-वेवेलगेम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचने में सफल रहा.
सुपरलाइट विमान से पूरी की गई इस यात्रा में, वे एक महीने तक अलास्का के नोम में और 41 दिनों तक रूस के अयान में फंसी रहीं. तूफ़ान के चलते उन्हें कोलंबिया में भी रुकना पड़ा.
लौटने पर हुआ ज़ोरदार स्वागत
बेल्जियम लौटने पर उनके परिजनों, पत्रकारों और समर्थकों ने उनका हवाई अड्डे पर ज़ोरदार स्वागत किया. उनके विमान के साथ बेल्जियम रेड डेविल्स एरोबेटिक डिस्प्ले टीम के चार विमान भी वहां उतरे.
विमान से उतरने के बाद, उन्होंने ख़ुद को ब्रिटेन और बेल्जियम के झंडों में लपेट लिया.
पत्रकारों से उन्होंने कहा, "वाक़ई यह अनुभव पागल करने वाला रहा. मुझे यक़ीन ही नहीं हो रहा."
एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि 51 हज़ार किलोमीटर विमान उड़ाने की चुनौती पूरी करके वे बहुत ख़ुश हैं.
उन्होंने कहा, "सफ़र में सबसे ज़्यादा कठिनाई साइबेरिया में आई. वहां बहुत ठंड थी. यदि इंजन वहां बंद हो जाता तो बच पाना बहुत मुश्किल था. लोगों को वाक़ई मैं अपना अनुभव बताना चाहती हूं. साथ ही ये भी चाहती हूं कि लोगों को अपने जीवन में कुछ रोमांचक काम करने को प्रोत्साहित करूं."
ज़ारा ने कहा, "यदि आपके पास मौक़ा है, तो ऐसा ज़रूर करें."
अल्ट्रालाइट विमान से दुनिया घूमने वाली पहली महिला
पिछले साल 18 अगस्त को शुरू हुई अपनी यात्रा में उन्होंने पांच महाद्वीपों के 60 से अधिक जगहों पर पड़ाव डाला.
ब्रिटिश-बेल्जियम पृष्ठभूमि की ज़ारा रदरफ़ोर्ड के माता-पिता दोनों पायलट हैं. उन्होंने बताया कि वे दूसरी लड़कियों को एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती हैं.
ज़ारा के अनुसार, उनकी इस यात्रा को सफल बनाने में उनके प्रायोजकों का अच्छा साथ मिला. साथ ही, ब्रिटेन में हैंपशायर के उनके स्कूल और शार्क अल्ट्रालाइट विमान बनाने वाली स्लोवानिया की कंपनी शार्क का भी अहम योगदान रहा.
इस उपलब्धि को हासिल करने पर उन्हें सबसे पहले बधाई देने वालों में उनका स्कूल भी शामिल था.
उनके स्कूल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि उन्हें उनकी उपलब्धि पर "बहुत गर्व" है.
ज़ारा के नाम कई उपलब्धियां
ज़ारा रदरफ़ोर्ड के पहले, पूरी दुनिया में अकेले उड़ान भरने वाली सबसे कम उम्र की महिला अमेरिका की शाइस्ता वैज़ थीं. क़रीब पांच साल पहले 2017 में उन्होंने जब ऐसा किया था, तब उनकी उम्र 30 साल थी.
हालांकि पुरुष के मामले में यह रिकॉर्ड फ़िलहाल 18 साल के पायलट ट्रैविस लुडलो के नाम दर्ज़ है.
ज़ारा ने इस बारे में अपनी वेबसाइट पर लिखा कि पुरुष और महिला पायलट के बीच के 11 साल के पहले के अंतर को घटाकर केवल 11 महीने करने को उन्होंने लक्ष्य बनाया था.
इस चुनौती को पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की महिला होने के साथ-साथ ज़ारा रदरफ़ोर्ड किसी अल्ट्रालाइट विमान से पूरी दुनिया का चक्कर लगाने वाली पहली महिला भी बन गई हैं.
साथ ही, विमान से अकेले दुनिया घूमने वाली बेल्जियम की पहली नागरिक भी हो गई हैं.
तीन के बजाय लगे पांच महीने
यात्रा से पहले उम्मीद थी कि इस मिशन को पूरा होने में तीन महीने लगेंगे. लेकिन कई जगहों पर मौसम ख़राब होने से उनके सफ़र में काफ़ी विलंब हुआ. साइबेरिया में तो रूस का उनका वीज़ा भी समाप्त हो गया.
जब वे अलास्का के नोम शहर पहुंचीं तो 39 में से केवल तीन उड़ानें ही तय समय पर चल रही थीं. ऐसे में वहां उन्हें इंतज़ार करना पड़ा.
असल में, उनका पासपोर्ट एयरमेल के ज़रिए ह्यूस्टन के रूसी वाणिज्य दूतावास को भेजा गया था. लेकिन नया वीज़ा भी बेरिंग स्ट्रेट पार करने से तीन हफ़्ते पहले ख़त्म हो चुका था.
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा था: "यहां का तामपान -18 डिग्री है और मेरे हाथ वाक़ई ठंड से जम रहे हैं. मैं यहां लगभग एक महीने से रुकी हूं."
उन्होंने कहा, "मैं विमान को उड़ान भरने लायक तैयार कर के रख रही हूं. यहां का मौसम अच्छा नहीं है. हर बार जब मैं निकलना चाहती हूं, तो कभी रूस में तो कभी नोम में मौसम बहुत ख़राब हो जाता है."
सफ़र में आई कई बाधाएं
ज़ारा जब साइबेरिया में थीं तो एक बार वहां का तापमान सतह पर -35 डिग्री और हवा में -20 डिग्री तक पहुंच गया. और तब एक मैकेनिक ने भयानक ठंड में इंजन गर्म रखने के लिए विमान में जाने वाली हवा को बंद कर दिया.
काफ़ी कोशिश करने के बाद भी ज़ारा रदरफ़ोर्ड को एक हफ़्ते तक मगदान में और फिर तीन हफ़्ते तक अयान में रुकना पड़ा.
वहीं इंडोनेशिया के बंदार उदारा रहादी उस्मान हवाई अड्डे पर ख़राब मौसम के कारण उन्हें दो रातों तक वहां के टर्मिनल में सोना पड़ा क्योंकि उनके पास हवाई अड्डे से बाहर निकलने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं थे.
इतनी मुश्किलों और क्रिसमस और नए साल के मौक़े पर अपने घर से दूर होने के बाद भी इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए जाने वाले मैसेजों में वो मुस्कुराती नज़र आ रही थीं.
इतना ही नहीं उन्हें एक और चुनौती का सामना करना पड़ा. उन्हें कैलिफ़ॉर्निया के जंगल में लगी आग से फैले धुएं के बीच अपने विमान को उड़ाना पड़ा.
न्यू मैक्सिको में पिटोट ट्यूब के ब्लॉक होने के चलते उनका विमान ख़राब हो गया. वहीं टायर फटने पर क्रिसमस के दौरान उन्हें सिंगापुर में रुकना पड़ा. जब वे मैक्सिको के वेराक्रूज़ के होटल में थीं, तो उन्होंने भूकंप के झटके भी झेले.
वे बताती हैं, "अचानक पूरी इमारत हिलने लगी. मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इतनी तेज़ी से सीढ़ियों से नीचे उतरी हूं.''
उनका स्कूल कर रहा उन पर गर्व
उनके स्कूल की प्रिंसिपल जेन गांडी ने बताया कि रदरफ़ोर्ड के इस सफ़र की काफ़ी तारीफ़ वहां के विद्यार्थी और कर्मचारी कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि केवल विमान उड़ाना ही कठिन नहीं था, उन्हें ख़राब मौसम और जटिल ब्यूरोक्रेसी से भी निपटना पड़ा.
वो कहती हैं, "ज़ारा से प्रेरित होकर हमारे 50 विद्यार्थी विमान उड़ाना सीखने के लिए प्रोत्साहित हुए. मुझे पूरा यक़ीन है कि उनसे दुनिया के कई और युवा महिलाएं प्रेरित होंगी." (bbc.com)