सामान्य ज्ञान

अजमोद
27-Jan-2022 10:45 AM
अजमोद

अजमोद के गुण प्राय: अजवाइन कर तरह ही होते हैं। लेकिन अजमोद का दाना अजवाइन के दाने से बड़ा होता है। अजमोद भारत में वर्ष में लगभग सभी जगह पाई जाती है।  लेकिन विशेषकर बंगाल में शीत ऋतु के आरंभ में बोई जाती है। हिमालय के उत्तरी और पश्चिमी देशों, पंजाब की पहाडिय़ों पर, पश्चिमी भारत वर्ष और फारस में बहुलता से इसे उगाया जाता है। फरवरी- -मार्च महीने में इसमें फूल खिलते हैं और मार्च- अप्रैल तक फूल , फल में परिवर्तित हो जाते हैं।  इसके बाद यह पौधा   समाप्त हो जाता है।

अजमोद का रंगा भूरा होता है।  इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है। अजमोद के छोटे-छोटे पौधे अजवाइन के तरह एक से तीन फीट ऊंचे, पत्ते बिखरे और किनारे कटे हुए होते हैं। फूल छतरीनमा फूलक्रम में नन्हें- नन्हें सफेद रंग के होते हैं जो पककर अंतत: बीजों में बदल जाते हैं। धनिये और अजवाइन की तरह इन को ही अजमोद कहते हैं। अजमोद की तासीर गर्म और खुश्क होती है।

अजमोद मिर्गी रोग को उभारता है और इसकी जड़ का सेवन फेफड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए मिर्गी के रोगियों को इसका सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है। अजमोद विदाही है यानी इसके खाने के बाद छाती में जलन होती है। इसके सेवन में गर्भाशय में उत्तेजना होती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अजवाइन अजमोद के दोषों को दूर करता है।

अजमोद श्वास, दमा, सूखी खांसी और आंतरिक शीत के लिए लाभकारी है। पेट की गैस को यह खत्म करता है। लीवर और तिल्ली के लिए फायदेमंद है । यह शरीर में मूत्र अधिक लाता है। पथरी को तोड़ता है और भूख पैदा करता है। इसकी जड़ कफ से होने वाली तमाम तरह की बीमारियों को दूर करता है और पाचन में लाभकारी है।

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