अंतरराष्ट्रीय

स्वाद और सेहत के लिए जापान में बढ़ रहा है कीट-पतंगों का व्यापार
28-Jan-2022 12:47 PM
स्वाद और सेहत के लिए जापान में बढ़ रहा है कीट-पतंगों का व्यापार

जापान में कीट-पतंगे तो हमेशा से खाए जाते रहे हैं लेकिन अब इनका बाजार बढ़ रहा है. एक तो इनके पोषक तत्वों को लेकर जागरूकता बढ़ी है, और दूसरा इस तरह के प्रोटीन का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए अच्छा है.

    डॉयचे वैले पर जूलियन रायल की रिपोर्ट-

कीट पतंगे ऐतिहासिक रूप से जापान के खान-पान का हिस्सा रहे हैं. तले हुए या चीनी में लिपटे झींगुरों के पैकेट गांव-गांव में बच्चों के लिए वैसे ही बेचे जाते हैं जैसे भारत में लेमनचूस, कुल्फी या बर्फ के गोले आदि मिलते हैं. अब इस बाजार पर कंपनियों की नजर है. बड़ी कंपनियां बड़े पैमाने पर कीट-फार्म तैयार कर रही हैं और सेहतमंद खाने के रूप में इनकी मार्केटिंग भी की जा रही है.

जापान में जगह-जगह ऐसी विशेष दुकानें मिल जाती हैं जहा झींगुर से लेकर मकड़ियां, सिकाडा और ऐसे ही दूसरे कीट-पतंगे बिकते हैं. रेस्तरां इनसे बने खानों का विशेष प्रमोशन करते हैं ताकि ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर सकें.

झींगुर है संतुलित खाना
तोकुशिमा यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर ताकाहितो वातनाबे ने 2019 में ग्रिलस नाम से एक फूड टेक्नोलॉजी कंपनी स्थापित की थी. यह कंपनी झींगुर पालती है और उन्हें खाने में तब्दील करती है. कंपन कहती है कि उसका मकसद एक नई तरह की समरसता बनाना है जिसमें प्रोटीन को व्यर्थ होने से बचाया जाए और सेहतमंत खाना उपलब्ध करवाया जाए.

कंपनी के प्रवक्ता फूमिया ऑकूबू ने डॉयचे वेले को बताया, "लोग बहुत समय से जापान में झींगुर खाते आए हैं. हम उन्हें एक फायदेमंद और जरूरी स्रोत के रूप में देखते हैं. उन्हें पालना पर्यावरण के अनुकूल है. इसके लिए बहुत कम जमीन, पानी या अन्य चीजों की जरूरत पड़ती है. और उनसे जो खाना तैयार होता है वह सूअर, बीफ या चिकन के मुकाबले कहीं बेहतर है.”

वातनाबे और उनकी टीम फिलहाल झींगुर की पोषण मात्रा को समझने पर काम कर रही है, ताकि उन्हें सर्वोत्तम रूप से खाने में इस्तेमाल किया जा सके. ऑकूबू बताते हैं कि अब तक के शोध से पता चला है कि झींगुर में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंग, आयरन, विटामिन और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही इनसे कॉस्मेटिक और दवाओं के अलावा खाद भी बनाई जा सकती है.

ऑकूबू ने बताया, "अभी तो हम झींगुर से तेल और पाउडर बना रहे हैं जिसे खाने में प्रयोग किया जा सकता है. इनसे बिस्किट, तरी और अन्य खाने बनाए जा सकते हैं. हम भविष्य में और कीटों पर भी शोध करने की योजना बना रहे हैं.”

सस्ते और पर्यावरण के हित में
टोक्यो स्थित टेक-नोबो रेस्तरां ऐसे आयोजन करता है जहां लोगों को कीट-पतंगे चखने का मौका मिलता है. कंपनी के एक अधिकारी रायोता मित्सुहाशी कहते हैं, "पिछले एक-दो सालों में लोगों में कीट-पतंगों में दिलचस्पी काफी बढ़ी है. लोग कुछ अलग चखना चाहते हैं, कुछ अनोखा आजमाना चाहते हैं. झींगुर और टिड्डों के बारे में लोग सबसे ज्यादा जानते हैं लेकिन हम लोग मकड़ियां और रेशम के कीड़े भी खूब बेच रहे हैं.”

मित्सुहाशी बताते हैं कि उन्हें खुद भिरड़ के शिशु पसंद हैं. इन्हें मध्य जापान के पहाड़ी कस्बों में खासतौर पर बनाया जाता है. हालांकि उन्हें मकड़ी ज्यादा पसंद नहीं है क्योंकि इससे उन्हें डर लगता है. वह बताते हैं कि ग्राहक तो बहुत हौसले वाले होते हैं और हर लिंग व उम्र के ग्राहक उनके यहां आकर बहुत कुछ आजमाते हैं.

मित्सुहाशी कहते हैं, "सबसे जरूरी संदेश जो हम अपने ग्राहकों तक पहुंचाना चाहते हैं वो ये है कि हमारा खाना बहुत स्वादिष्ट होता है. भले ही यह सस्ता होता है और पर्यावरण व सेहत के लिए अच्छा होता है लेकिन स्वाद में अच्छा नहीं होगा तो लोग नहीं खरीदेंगे.”

बहुत सी और कंपनियां भी कीट-पंतगों पर आधारित खानों में कुछ नया करने की कोशिश में हैं. मसलन, बेकरी पास्को ने झींगुर से बना आटा बेचा है और अब वे रेशम के कीड़ों को भी अपने उत्पादों में शामिल कर रहे हैं. (dw.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news