विधानसभा
ताड़मेटला जांच आयोग का निष्कर्ष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 मार्च। ग्यारह साल पहले सुकमा के ताड़मेटला में आगजनी, और नक्सल मुठभेड़ के मामले की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन बुधवार को विधानसभा में पेश किया गया। प्रतिवेदन में यह भी कहा कि स्वामी अग्निवेश पर हमला किसी के द्वारा प्रायोजित नहीं था। इस पूरे मामले में एक तरह से बस्तर के तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी को एक तरह से क्लीनचिट दे दी है।
जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय गठित आयोग ने ताड़मेटला, मोरपल्ली, तिम्मापुरम् मुठभेड़ व अग्निकांड के अलावा दोरनापाल स्वामी अग्निवेश पर हमले की जांच की। आयोग की 511 पेज की रिपोर्ट में यह कहा गया कि ग्राम तिम्मापुरम में पुलिस बल, और नक्सलियों के बीच कई चरण में मुठभेड़ हुआ, जिसकी तीव्रता अधिक थी। मुठभेड़ में दोनों पक्ष से गोलियां और गोले चले। मुठभेड़ में नक्सली पुलिस बल पर भारी पड़ रहे थे। गोलाबारूद भी खत्म हो गया था। तब कोरबा बटालियन और सीआरपीएफ बल सहायता के लिए आगे आए।
प्रतिवेदन में कहा गया कि पुलिस नक्सल मुठभेड़ में पुलिस बल के तीन सदस्य और नक्सलियों के एक सदस्य की मृत्यु हुई। पुलिस बल के 8 सदस्य आहत हुए। घटना के समय तिम्मापुरम के 59 मकान जले थे, जिसमें ग्राम तिम्मापुरम के एक किनारे के मकान पुलिस द्वारा यूजीवीएल से ग्रेनेड दागने से जले थे। शेष मकान किनके द्वारा जलाया गया इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है।
इसी तरह 16 मार्च 2011 को ताड़मेटला में पुलिस-नक्सल मुठभेड़ हुई, जिसमें दोनों तरफ से गोलियां चली। घटना के दिन ताड़मेटला की 160 मकान जले। जिसमें ग्रामीणों की संपत्ति भी क्षतिग्रस्त हुई। पर मकान किनके द्वारा जलाए गए इस संबंध में स्वीकार करने योग्य कोई साक्ष्य नहीं है। इसी तरह मोरपल्ली घटना में भी 31 मकानों को आग लगी। यह किनके द्वारा जलाया गया इस संबंध में भी कोई साक्ष्य नहीं है।
आयोग ने स्वामी अग्निवेश पर हमले की घटना में तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी को क्लीनचिट देते हुए कहा कि 26 मार्च 2011 को स्वामी अग्निवेश सुबह और दोपहर बाद दो बार ताड़मेटला जाने के लिए दोरनापाल तक गए, जहां उनका भीड़ द्वारा विरोध किया। भीड़ उग्र हो गई थी। इस संबंध में अपराधी प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। जिसकी अग्रिम विवेचना सीबीआई द्वारा की जा रही है, पर उनका विरोध किसी के द्वारा पूर्व प्रायोजित नहीं था।