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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : धर्म के पास देने को कुछ नहीं, अब रोजगार भी खत्म करने पर आमादा
01-Apr-2022 6:37 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : धर्म के पास देने को कुछ नहीं, अब रोजगार भी खत्म करने पर आमादा

फ़ोटो साभार : फ़ेसबुक/मानसिया

केरल की एक खबर है कि वहां त्रिशूर जिले के एक प्रमुख मंदिर में एक समारोह में एक भरत नाट्यम नर्तकी को इसलिए कार्यक्रम में प्रदर्शन से रोक दिया गया क्योंकि वह हिन्दू नहीं थी। यह मंदिर राज्य शासन के नियंत्रण वाला मंदिर ट्रस्ट चलाता है। मनसिया नाम की इस नर्तकी ने भरत नाट्यम में पीएचडी भी किया हुआ है, और एक मुस्लिम परिवार से आने की वजह से उसे अपने नृत्य के लिए मुस्लिम मुल्लाओं की आलोचना भी झेलना पड़ी है। अपने फेसबुक पेज पर मनसिया ने अभी लिखा कि 21 अप्रैल को मंदिर में उसका कार्यक्रम तय था, और वहां के एक पदाधिकारी ने उसे बाद में फोन करके यह कहा कि चूंकि वह हिन्दू नहीं है इसलिए उसे वहां के कार्यक्रम में नृत्य करने की इजाजत नहीं दी जा रही। अब इस बखेड़े के खड़े होने पर लोग उससे यह भी पूछ रहे हैं कि क्या वह संगीतकार श्याम कल्याण से शादी के बाद हिन्दू हो चुकी है? मनसिया का कहना है कि उसका कोई धर्म नहीं है, और वह अब कहां जाए? कुछ बरस पहले भी केरल के एक और बड़े प्रमुख मंदिर ने उसे निर्धारित कार्यक्रम से मना कर दिया था, और उस वक्त भी उसके गैरहिन्दू होने की वजह बताई गई थी। उसका कहना है कि जब कोई एक कला किसी एक धर्म में प्रतिबंधित हो, और वह अनिवार्य रूप से किसी दूसरे धर्म से जुड़ी हुई हो, तो फिर उसके जैसी कलाकार कहां जा सकती है? अभी त्रिशूर के इस मंदिर के बारह एकड़ के आहाते में दस दिनों तक यह समारोह चलना है, और इसमें करीब आठ सौ कलाकार मंच पर प्रस्तुति देंगे, लेकिन चूंकि ट्रस्ट के पूछने पर मनसिया ने लिखकर दिया था कि उसका कोई धर्म नहीं है, इसलिए उसे ट्रस्ट ने इजाजत नहीं दी। यह हाल केरल का है जहां पर अब तक वामपंथी और कांग्रेस ही राज करते आए हैं। लोगों को याद होगा कि यहां के एक प्रमुख मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लंबा बवाल चले आ रहा है।

यह खबर इस दौर में आई है जब कर्नाटक की भाजपा सरकार ने मुस्लिम लड़कियों का हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज जाना रोक दिया है, और हाईकोर्ट से भी इन लड़कियों को कोई राहत नहीं मिली है। इसके बाद मानो सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा की हसरत पूरी न हुई हो, प्रदेश भाजपा के बड़े पदाधिकारियों ने प्रदेश के हिन्दुओं से हलाल मीट का बहिष्कार करने के लिए कहा है ताकि मुस्लिम कसाई भूखे मरें। इसी कर्नाटक से समझदारी की एक आवाज उठी है और वहां की एक कामयाब बेटी, देश की एक प्रमुख उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने अभी एक ट्वीट में कर्नाटक के मुख्यमंत्री को नसीहत दी है कि राज्य में बढ़ते धार्मिक विभाजन का जल्द हल निकालें, नहीं तो इस साम्प्रदायिकता में देश तबाह हो जाएगा। कर्नाटक में अभी सत्ता और भाजपा के दबाव में मंदिरों के त्यौहारों पर उनके आसपास भी किसी गैर हिन्दू के व्यापार करने से रोका जा रहा है, और इसी पर किरण मजूमदार शॉ ने यह ट्वीट किया है- कर्नाटक ने हमेशा समावेशी आर्थिक विकास किया है, और हमें इस तरह केसाम्प्रदायिक बहिष्कार की अनुमति नहीं देनी चाहिए, अगर सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी साम्प्रदायिक हो गई तो यह हमारे वैश्विक नेतृत्व को नष्ट कर देगी। उन्होंने सीएम से खुली अपील की कि इस धार्मिक विभाजन को हल करें। इस पर भाजपा के नेता उन पर टूट पड़े हैं, और इसे राजनीतिक पूर्वाग्रह का बयान बताया है।

भाजपा के राज वाले कर्नाटक में, और वामपंथी राज वाले केरल में धर्म का हाल एक जैसा है। कहीं सत्ता और धर्म मिलकर कदमताल कर रहे हैं, और कहीं धर्मनिरपेक्ष सत्ता रहने पर भी मंदिर देश के लोगों में, कलाकारों में इतना भयानक भेदभाव कर रहे हैं। धर्म में लोगों के बीच खाई खोदने की इतनी अपार क्षमता है कि खुदाई करने वाली बड़ी से बड़ी मशीनें भी उनके मुकाबले कमजोर साबित हों। आज जब दुनिया के अधिकतर देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं, महंगाई, बेरोजगारी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, वैसे में हिन्दुस्तान को धर्म के ऐसे तमाम मुद्दों में उलझाया जा रहा है जिनसे देश के तबाह होने का खतरा बढ़ते चल रहा है। और यह बात किसी कम्युनिस्ट की कही हुई नहीं है जिस पर भाजपा के लोग लाठी लेकर टूट पड़ें, यह बात देश की एक प्रमुख उद्योगपति की कही हुई है जो कि समय-समय पर अपनी सामाजिक चेतना लिखने के लिए जानी जाती हैं, और अभी भी उन्होंने यही काम किया है। जब कोई सत्ता या संगठन देश-प्रदेश का भला चाहने वाले लोगों की भली नीयत की बातों के लिए इतनी हिकारत और नफरत पाल लें, तो उनके राज में तबाही का खतरा बढ़ते चलता है। जो धर्म किसी को दो रोटी नहीं दे सकता, जो धर्म लगातार दुनिया में सबसे बड़ी सामाजिक बेइंसाफी बना हुआ है, उस धर्म को मुसीबत से गुजर रहे इस देश में लोगों के कमाने और जिंदा रहने पर इतना हावी किया जा रहा है कि उससे लोगों को तमाम ईश्वर मिलकर भी नहीं बचा सकेंगे। आज जब देश के कारोबारी होठों को सिलकर बैठे हुए हैं, वैसे में किरण मजूमदार शॉ ने जो हौसला दिखाया है, वह काबिले तारीफ है और देश के भले का है। इसे खारिज कर देना ठीक नहीं है, और देश को बचाने के लिए और अधिक लोगों को सामने आना पड़ेगा, मुंह खोलना पड़ेगा।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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