संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : सबको मालूम है दोजख की हकीकत लेकिन दिल के बहलाने को भागवत का खयाल अच्छा है...
15-Apr-2022 5:21 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : सबको मालूम है दोजख की हकीकत लेकिन दिल के बहलाने को भागवत का खयाल अच्छा है...

मध्यप्रदेश के खरगोन में पहले कई बार साम्प्रदायिक हिंसा हो चुकी है। अब वहां संजय नगर नाम के एक इलाके में कई हिन्दू परिवारों ने अपने घरों के बाहर यह मकान बिकाऊ है लिख दिया है। बड़े अफसरों का कहना है कि यह बाहरी लोगों की करतूत है जो इस इलाके में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाडऩा चाहते हैं लेकिन उनके सामने ही ऐसे मकान मालिक बतलाते हैं कि उन्होंने खुद ने यह लिखा है। लिखने वाले हिन्दू परिवारों के लोग हैं जो बतलाते हैं कि हर कुछ बरस में यहां साम्प्रदायिक तनाव होता है, और कभी दंगाई आग लगा देते हैं, तो कभी घर का सामान लूटकर ले जाते हैं इसलिए इसे बेचने के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं है। अभी रामनवमी के समय हुए साम्प्रदायिक तनाव में लोगों के घरों को जला दिया गया, और सामान लूट लिया गया। यह इलाका एक मुस्लिम बहुल इलाका है जिसमें 20-25 गरीब हिन्दू परिवार रहते हैं। हर कुछ बरस में होने वाले साम्प्रदायिक तनाव ने इन गरीबों की जिंदगी तबाह कर दी है। मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए साम्प्रदायिक तनाव को लेकर सरकार सडक़ों पर इंसाफ करते हुए वीडियो देख-देखकर हमलावर दिखते लोगों के घर-दुकान पर बुलडोजर चलवा रही है, और यह नौबत 15 बरस के भाजपा शासन के बाद आई है।

आज देश में जगह-जगह साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा हुआ दिख रहा है। कर्नाटक और उत्तरप्रदेश के बारे में हम पिछले दिनों यहां पर एक से अधिक बार लिख भी चुके हैं, और अभी मुम्बई में राज ठाकरे मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाने के लिए एक मुहिम छेड़े हुए हैं, और उत्तरप्रदेश में हिन्दू संगठन पांच वक्त की नमाज के वक्त मस्जिदों के लाउडस्पीकरों के मुकाबले लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा पढऩा शुरू कर चुके हैं। दो दिन पहले ही आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने बिना किसी प्रसंग के यह कहा है कि अगले 15 बरस में भारत अखंड भारत बन चुका रहेगा। अखंड भारत की संघ की धारणा में 1947 के पहले का भारत तो है ही, उसमें अफगानिस्तान तक शामिल है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह लिखा भी है कि आज के 22 करोड़ हिन्दुस्तानी मुस्लिमों के मुकाबले भागवत के ऐसे अखंड भारत में 60 करोड़ मुस्लिम होंगे, और तालिबान भी उसमें शामिल रहेंगे। आरएसएस केन्द्र की मोदी सरकार का करीबी संगठन है, और भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक भी माना जाता है, लेकिन भागवत की हर कुछ महीनों में कही जाने वाली अखंड भारत की इस बात पर सात बरस की मोदी सरकार की तरफ से कभी कुछ नहीं कहा गया है, इसलिए लोगों का यह मानना है कि यह हिन्दुस्तान के हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ का एक तरीका है, और इसका भारत की विदेश नीति से कभी कोई रिश्ता नहीं हो सकता।

लेकिन आज देश में चारों तरफ बढ़ते हुए धार्मिक और साम्प्रदायिक तनाव की खबरों के साथ हम भागवत के बयान को जोडक़र इसलिए देख रहे हैं कि अगले 15 बरस में यह अखंड भारत तो नहीं बनते दिख रहा, लेकिन उसके बहुत पहले ही यह खंड-खंड भारत बनते जरूर दिख रहा है। किसी देश के खंड-खंड होने के लिए उसकी सरहदों का बदलना जरूरी नहीं होता, जब किसी देश के लोगों के बीच एक गहरी खाई खुद जाती है, और अलग-अलग धर्मों के, जातियों के, प्रदेशों के लोग जब अपने आपको अपने ही देश के दूसरे लोगों से अलग गिनने लगते हैं, मानो टापुओं पर रहने लगते हैं, तो वह देश खंड-खंड हो जाता है। इसके लिए देश के टुकड़े होना जरूरी नहीं है, इसके लिए समाज के टुकड़े होना काफी होता है, और वह आज बड़ी मेहनत से किया जा रहा है, और होते चल रहा है।

कर्नाटक हमलावर हिन्दुत्व की एक तेज रफ्तार प्रयोगशाला बना हुआ है, और भाजपा के शासन में, साम्प्रदायिक संगठनों और भाजपा की मिलीजुली कोशिशों से यहां पर मुस्लिमों के सामाजिक बहिष्कार की, उनकी आर्थिक नाकेबंदी की, उनको बेकाम करने की बड़ी और भारी कोशिशें चल रही हैं। मुस्लिमों से कोई मांस न खरीदे, मुस्लिमों की चलाई टैक्सी में सफर न करे, मुस्लिमों को फल-सब्जी की मंडियों से निकाला जाए जैसे साम्प्रदायिक फतवे और अभियान वहां पर सरकार की मेहरबानी से उसके साम्प्रदायिक मुखौटे चला रहे हैं, और एक अखंड कर्नाटक आज खंड-खंड किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश का हो रहा है जहां पर पोशाक देखकर लोगों की शिनाख्त हो रही है, और कोड़े लगाने या फांसी चढ़ाने वाले जल्लाद की तरह बुलडोजर तैनात करके पुलिस ही जज बन बैठी है, सजा सुना रही है, सजा पर अमल कर रही है।

इन दो बातों में बड़ी गहरी विसंगति है। मोहन भागवत की बात का कोई भी वजन किसी सरकार की नजर में चाहे न हो, उनको मानने वाले लोग उन्हें गंभीरता से सुनते हैं, और गंभीरता से उन्हें सच मान लेते हैं। उन्हीं के साथ के कुछ दूसरे भगवाधारी हिन्दुओं को अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने की नसीहत दे रहे हैं, और 15 बरस बाद के अखंड भारत में हिन्दुओं का अनुपात अगर ठीक रखना है तो बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के मुस्लिमों के अखंड भारत में आ जाने की हालत में हिन्दू आबादी को बढ़ाना तो जरूरी हो ही जाएगा।

यह भी समझने की जरूरत है कि आज जब भारत खंड-खंड हो रहा है, बस्तियों में हिन्दू और मुस्लिम आसपास रहने में खतरा महसूस कर रहे हैं, उस हालत में महंगाई और दूसरे जरूरी जलते-सुलगते मुद्दों की तरफ से ध्यान हटाने के लिए हर कुछ दिनों में अखबारी सुर्खियों को लूट लिया जाता है। कोई ऐसा शिगूफा छोड़ा जाता है कि सोशल मीडिया दो-चार दिन उसी में व्यस्त रहता है। देश के समझदार तबके को ध्यान बंटाने वाले ऐसे जाल को देखना और पहचानना सीखना चाहिए। जब कभी कोई इस किस्म की बातें करें, तो उनसे पूछना चाहिए कि महंगाई, बेरोजगारी, मंदी, और बढ़ती आर्थिक असमानता के बारे में उनका क्या कहना है। जब जमीन पर दिक्कतें ही दिक्कतें बिखरी रहती हैं, तो कुछ लोग इन्द्रधनुष दिखाने लगते हैं तो कुछ लोग अखंड रामधुन सुनाने लगते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि जिन लोगों की भावनाएं अखंड भारत, इन दो शब्दों से उत्तेजना से भर जाती हैं, उनकी उत्तेजना को शांत करने के लिए यह बताना जरूरी है कि ऐसे अखंड भारत में किस धर्म के कितने लोग रहेंगे, कितने आतंकी संगठन रहेंगे, और आज के हिन्दुस्तान की प्रति व्यक्ति आय घटकर कितनी रह जाएगी। आज अगर हिन्दुस्तान से कोई अश्वमेध यज्ञ करके उसके घोड़े को छोड़े, और वह पाकिस्तान-अफगानिस्तान जाकर अपना झंडा फहराकर आ भी जाए तो वह आज के हिन्दुस्तान के लिए सिवाय खतरे और दिक्कतों के कुछ लेकर नहीं लौटेगा। इसलिए जो लोग आज अखंड भारत का सपना दिखाते हैं, उन्हें तथ्यों को बताकर उन पर जवाब मांगना चाहिए।

आज हिन्दुस्तान बढ़ाए हुए साम्प्रदायिक तनाव की वजह से, धार्मिक भेदभाव की वजह से, और कट्टरता की वजह से जाति और धर्म के कई टापुओं में बंट चुका है। इस खंड-खंड भारत को एक बनाए रखने में ही अभी 15 बरस कम पडऩे वाले हैं, इसलिए मोहन भागवत का अखंड भारत हिन्दुस्तानियों के लिए एक बुरे सपने के अलावा कुछ नहीं हो सकता, फिर भी अगर कुछ लोगों के आक्रामक राष्ट्रीयता के उन्मादी अहंकार का पेट अगर अखंड भारत शब्द सुनकर भरता है, तो उन्हें तालिबानियों के पड़ोस के घर में रहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
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