विचार / लेख
-मुकेश नेमा
अरुण लाल को बधाई! छाछठ साल के ये जवान जब तक क्रिकेट मैदान में रहे बूढ़े बने रहे, ऐसा कोई तीर नहीं मार पाये जिससे लोगों का ध्यान जाता उनकी तरफ! बहरहाल अब वो फार्म में आ चुके और इस बार उन्होंने जो बल्ला घुमाया है, गेंद जिस तूफानी रफ्तार से मैदान के बाहर जाकर बहुतों के दिल की खिड़कियों के काँच तोड़ चुकी वो रश्क करने लायक है! छाछठ साल के अरुण लाल अड़तीस की खूबसूरत, मृदुभाषी बुलबुल के दूल्हा बने हैं, जाहिर है इस खबर से उन लाखों करोड़ों कुँवारों की छाती पर साँप लोट रहे है जो बिना घोड़ी का मुँह देखे एक्सपाईरी डेट बरसों पहले पार कर चुके! और जिनके जीवन में बस बाराती होने के अवसर ही आये हैं!
बहरहाल ऐसे सभी कुंवारे, शादीशुदा, के अलावा ऐसे जीव जो केवल पुरुष होकर पैदा हुए है, ऐसे नकारात्मक लोग, जिन्हें यह खबर जहर जैसी लग रही है मेरी राय को कान देकर सुने! पहली बात तो ये कि सुंदर, सुलक्षणा कन्या मात्र योग्य वर का ही वरण करती है! हम वीर भोग्या वसुंधरा वाले देश है! गधो को सेवन कोर्स लंच डिनर नहीं मिलता कभी! ऐसे में हमारे निडर ट्रकों के पीछे लिखी उस अमर सूक्ति का स्मरण रखें जो हमें स्वस्थ प्रतियोगिता के लिये प्रेरित करती है! हम सभी ने पढ़ा है उसे, जलों नहीं बराबरी करो! ऐसे में आप ये जो स्वस्थ, प्रसन्न, अमीर अरूण लाल का मजाक बना रहे हैं, वो बस ये बताती है कि आप अंदर ही अंदर कलप रहे है, मरे जा रहे हैं अरूणलाल होने के लिये, पर हो नहीं पा रहे!
सच तो यह है बुढ़ापे में शादी करने का मतलब बूढ़ा होने से इनकार कर देने जैसा है! नई दुल्हन लेकर आये किसी बुजुर्ग के चेहरे की चमक देखे! बंदा फेरे लेते ही बीस बरस कम हो जाता है! बुज़ुर्गवार दूल्हे खाँसने खखारने में, विश्वास नहीं रखते! बुढ़ापे में ब्याह च्यवनप्राश सा प्रभावी है, वे चुस्त दुरुस्त हो लेते हैं फौरन! दौड़ते भागते हैं और फिट बने रहना चाहते हैं! स्वस्थ इंडिया बनाने में सबसे ज़्यादा योगदान बूढ़े दूल्हे का होता है! उनकी खूबसूरत दुल्हन को देखकर पूरी कॉलोनी, पूरा गाँव, पूरा शहर फिट होने के प्रति आग्रही हो जाता है, तोंदों की शामत आ जाती है! स्पोर्ट्स शू की बिक्री बढ़ जाती है एकाएक! सारे नागरिक सुबह सुबह दौडऩा शुरू कर देते है, पूरी कोशिश करते हैं कि उनके रास्ते में इस नवविवाहित बुजुर्ग दूल्हे का घर जरूर पड़े! अमिताभ बच्चन ने भी बताया ही है कि देश की इकोनॉमी तभी स्वस्थ रह सकेगी जब देश में हर आदमी स्वस्थ हो! ऐसे में स्वस्थ, पुनर्विवाहित बूढ़े देश की इकोनॉमी में उत्प्रेरक का काम करते हैं!
और फिर आसपास के दस बीस किलोमीटर के इलाके में कानून और व्यवस्था सुधर जाती है! लोग नववधू के समक्ष, अनुशासित, सभ्य और शांतिप्रिय दिखने के लिये मरे जाते है! शादीशुदा जोड़े से नमस्ते करने के चक्कर में पूरे गाँव के कुत्ते बिल्ली तक को प्रणाम करने लगते हैं लडक़े! जाहिर है अमन चैन और भ्रातृत्व का वातावरण बनता है इससे! पुलिस और कोर्ट के पास ज़्यादा काम नहीं रह जाता! बतौर नागरिक, राज्य आपसे और क्या अपेक्षा कर सकता है!
आसपास रहते सारे अधेड़, बाल रंगवाने के लिये लाइन लगा लेते हैं हेयर कटिंग सेलून पर! बाल काटने वाला होशियार बंदा इन्हे फेशियल, मेनीक्यौर, पैडीक्यौर के बिना जाने जाने नहीं देता! नये चलन के कपड़े खरीदने बिना कैसे रह सकता है मोहल्ला ऐसे में शहर के खडख़ड़ाते बुजुर्गों के अलावा कपड़ों की दुकान में जान आ जाती है! देश की अर्थव्यवस्था को चार चाँद लगने की स्थितियाँ निर्मित होने लगती है! किसी भी बुजुर्ग के शादी करने के ये सकारात्मक प्रभाव है!
और फिर सबसे बड़ा लाभ! निकटवर्ती सारे लोग आशावादी और खुशमिजाज हो उठते हैं! ऐसा लगता है कि अब आनंद मंत्रालय की कोई जरूरत ही नहीं रही हमें! सारे रिश्तेदार, अड़ोसी पड़ोसी, मिलनसार होकर ऐसे प्रेम से भर जाते हैं कि उन पर भरोसा करने का मन होने लगता है! जि़ंदा रहने के लिये आप और क्या चाह सकते है!
ऐसे में मन बड़ा कीजिये ! बधाई दीजिये अरूणलाल को! प्रार्थना कीजिये भगवान से कि सुअवसर उपस्थित होने पर, कोई कमनीय बुलबुल चहके आपके आँगन में भी! वैसा ही सुंदर अरुणोदय हो आपके जीवन में, जैसा उनके साथ हुआ है!