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भारत और उसके खिलाड़ियों के लिए क्या मायने रखता है एशियाई खेलों का स्थगित होना
06-May-2022 8:43 PM
 भारत और उसके खिलाड़ियों के लिए क्या मायने रखता है एशियाई खेलों का स्थगित होना

(अमनप्रीत सिंह)

नयी दिल्ली, 6 मई। हांगजो एशियाई खेलों के स्थगित होने से बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल जैसे खिलाड़ियों को फिर मौका मिलेगा लेकिन टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और तीरंदाज तरूणदीप राय के हाथों से संभवत: बहु खेलों वाली प्रतियोगिता में भारत का आखिरी बार प्रतिनिधित्व करने का मौका निकल गया है।

खेलों के स्थगित होने का व्यक्तिगत खिलाड़ियों और टीम पर अलग अलग असर पड़ेगा।

व्यक्तिगत खिलाड़ियों की बात करें तो दुनिया की शीर्ष 15 खिलाड़ियों की सूची से बाहर साइना ने राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के राष्ट्रीय चयन ट्रायल में हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बीच अपने शरीर पर और अधिक मुकाबलों का बोझ नहीं डालना चाहती थी।

राष्ट्रमंडल खेलों और नई तारीखों पर होने वाले एशियाई खेलों के बीच अंतर बढ़ने से साइना को अब भारतीय टीम में जगह बनाने और एशियाई खेलों में पदक जीतने का एक और मौका मिल सकता है बशर्ते राष्ट्रीय महासंघ खेलों के समीप आने पर उनकी फॉर्म पर विचार करे।

पैंतीस साल की सानिया पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि 2022 उनका अंतिम सत्र होगा। भारत की सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी सानिया को अब आकलन करना होगा कि क्या वह अपने करियर को कुछ महीने और खींचना चाहती हैं या नहीं।

इसी तरह तीन बार के ओलंपियन और 2010 ग्वांझू एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता राय ने एशियाई खेलों के बाद सितंबर में संन्यास की योजना बनाई थी लेकिन वह भी अब भ्रम की स्थिति में हैं।

राय ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह मेरे लिए बड़ा झटका है। मैं 38 बरस का हो चुका हूं और इस साल एशियाई खेलों के बाद संन्यास लेने की योजना बना रहा था। यह मेरी तैयारियों को बड़ा झटका है। मुझे लग रहा था कि पिछले साल ओलंपिक की निराशा के बाद मैं दोबारा अपने करियर में शीर्ष पर पहुंच रहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हाल में अंताल्या में पहली बार विश्व कप में मिश्रित स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता (रिद्धि फोर के साथ मिलकर)। सब कुछ योजना के अनुसार हो रहा था और अब मुझे फिर योजना पर विचार करना होगा। मुझे अपने कोच और परिवार के साथ सलाह मशविरा करके फैसला करना होगा।’’

ट्रैक एवं फील्ड में सीमा पूनिया (चक्का फेंक में कांस्य पदक), मनजीत सिंह (800 मीटर में स्वर्ण पदक), जिनसन जॉनसन (1500 मीटर में स्वर्ण पदक) और एमआर पूवम्मा (चार गुणा 400 मीटर रिले में स्वर्ण पदक) ने 2018 जकार्ता खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया।

इनमें से सीमा 38 जबकि मनजीत 32 साल के हैं। जॉनसन और पूवम्मा 31 साल के हैं। जॉनसन अगर फिट होते हैं तो हांगजो खेलों में खेल सकते हैं लेकिन अगर खेलों का आयोजन 2023 में होता है तो बढ़ती उम्र के कारण सीमा और पूवम्मा के लिए मुश्किल होगी।

एथलेटिक्स ने एशियाई खेलों में हमेशा भारत को काफी पदक दिलाए हैं। भारत ने अपने कुल 672 पदक में से 254 एथलेटिक्स में जीते हैं।

जकार्ता एशियाई खेलों में भारत के 70 पदक में से 20 पदक (आठ स्वर्ण, नौ रजत और तीन कांस्य) एथलेटिक्स में आए थे।

कुल मिलाकर व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाओं की तैयारी प्रभावित होंगी क्योंकि सभी ने बड़ी प्रतियोगिताओं के समीप अपना शीर्ष स्तर हासिल करने के अनुसार ट्रेनिंग और टूर्नामेंट का कार्यक्रम तय किया है।

एशियाई खेलों के स्थगित होने से हालांकि कुछ राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) की दुविधा खत्म होगी क्योंकि वे एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के बीच कम समय होने के कारण दोनों में अलग टीम भेजने की योजना बना रहे थे।

हॉकी इंडिया अब दोनों प्रतियोगिताओं में अपनी शीर्ष टीम उतार सकता है जिससे पदक की संभावना बढ़ेगी। हॉकी इंडिया ने इससे पहले बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी दूसरे दर्जे की टीम जबकि हांगजो में शीर्ष टीम भेजने का फैसला किया था क्योंकि यह 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों की क्वालीफाइंग प्रतियोगिता भी है। हॉकी टीम के अलावा एकल टेनिस खिलाड़ी भी हांगजो में स्वर्ण पदक के साथ ओलंपिक में जगह बना सकते हैं।

हॉकी टीम को एशियाई खेलों के स्थगित होने से तैयारी का अधिक मौका होगा। भारत की पुरुष हॉकी टीम ने एशियाई खेलों में पिछली बार स्वर्ण पदक 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में जीता था जबकि महिला टीम ने 1982 में पिछली बार यह उपलब्धि हासिल की थी।

ट्रैक एवं फील्ड के खिलाड़ियों के लिए भी एशियाई खेलों का स्थगित होना राहत की खबर है क्योंकि उन्हें व्यस्त कार्यक्रम के बीच एक टूर्नामेंट कम खेलना होगा।

खिलाड़ियों का ध्यान अब अमेरिका के युगेन में होने वाली विश्व चैंपियनशिप (15 से 24 जुलाई) और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों (28 जुलाई से आठ अगस्त) पर रहेगा।

इसी तरह डेविस कप खिलाड़ी भी राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि अब एशियाई खेलों की तारीख नॉर्वे के खिलाफ उसकी सरजमीं पर होने वाले टेनिस मुकाबले (16-17 सितंबर या 17-18 सितंबर) के साथ नहीं टकराएगी और अखिल भारतीय टेनिस संघ दोनों प्रतियोगिताओं में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम उतार सकता है।

एशियाई खेलों के स्थगित होने का हालांकि वित्तीय असर होगा क्योंकि भारत सरकार ने खिलाड़ियों की तैयारी पर अपनी योजनाओं के जरिए काफी खर्चा किया है। अब सरकारी अधिकारियों को एनएसएफ अधिकारियों के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि राष्ट्रीय शिविर में विस्तार करने की जरूरत है या नहीं और क्या खिलाड़ियों के लिए विदेशी ट्रेनिंग सह प्रतियोगिता दौरों की जरूरत है।

सरकार के इस तरह के आग्रह से इनकार करने की संभावना नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर इससे अधिक बोझ पड़ेगा। (भाषा)

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