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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज़ युवराज सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा है कि 2007 में वे कप्तान बनने वाले थे, लेकिन बीसीसीआई के कुछ अधिकारी उन्हें कप्तान बनने देना नहीं चाहते थे. उन्होंने आगे कहा कि शायद इसी वजह से वे टीम के कप्तान नहीं बन पाए.
न्यूज़18 समूह की नई लॉन्च हुई स्पोर्ट्स वेबसाइट 'स्पोर्ट्स18' के लिए पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मांजरेकर से हुई बातचीत में उन्होंने यह बात कही.
इस इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया, 'जब मुझे कप्तान बनना था तभी ग्रेग चैपल वाली घटना घटी. उस समय पूरा माहौल चैपल या सचिन में बंट गया था. मैं शायद अकेला खिलाड़ी था, जिसने सचिन का समर्थन किया था. बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों को शायद ये पसंद नहीं आया होगा.''
उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन मुझे नहीं पता कि ये कितना सच है. सहवाग सीनियर थे लेकिन इंग्लैंड दौरे पर वे टीम में नहीं थे. मैं वनडे टीम का उप कप्तान था जबकि राहुल द्रविड़ कप्तान. द्रविड़ के हटने के बाद कप्तान मुझे बनना था, लेकिन माही को कप्तान बना दिया गया.'
और क्या कहा युवी ने
युवराज सिंह ने आगे कहा, 'कुछ समय बाद मैंने सोचा कि माही कप्तानी में वाक़ई बहुत बढ़िया हैं. वो शायद वनडे में टीम का नेतृत्व करने वाले सबसे सही इंसान थे. उसके बाद मैं बहुत चोटिल रहने लगा. यदि मैं कप्तान बन भी जाता तो टीम से बाहर जाना पड़ता. चोटों का मेरे शरीर पर असर रहने लगा.'
उनके अनुसार, 'जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है. उन्हें कप्तान न बनने का कोई अफ़सोस नहीं है. यह बहुत बड़ा सम्मान होता है. लेकिन मैं हमेशा अपने टीम मेट का साथ दूंगा. यदि उनके चरित्र के बारे में कुछ बुरा कहा जाए तो मैं अपने टीम मेट के लिए खड़ा हो जाउंगा.'
मालूम हो कि 2007 के वनडे विश्वकप में टीम की क़रारी हार के बाद तब के कप्तान राहुल द्रविड़ ने अपना पद छोड़ दिया था. उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी ने टीम की कमान संभाली थी. समय के साथ धोनी रिकॉर्ड के लिहाज़ से भारतीय क्रिकेट के सफल कप्तानों में शामिल हुए.
ग्रेग चैपल 2005 से 2007 के बीच टीम इंडिया के कोच थे. उसी दौरान चैपल का सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर सहित कई सीनियर खिलाड़ियों के साथ विवाद हुआ. बाद में सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि चैपल जिस तरह से टीम को संभाल रहे थे, उससे टीम के सीनियर खिलाड़ी असहमत थे. (bbc.com)