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श्रीलंका पर उदय कोटक और रामचंद्र गुहा की टिप्पणी चर्चा में
11-May-2022 1:20 PM
श्रीलंका पर उदय कोटक और रामचंद्र गुहा की टिप्पणी चर्चा में

 

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में छिड़े संघर्ष और उसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफ़े को लेकर देश-दुनिया के जाने-माने बैंकर उदय कोटक ने टिप्पणी की है.

उन्होंने कहा है कि "जलता श्रीलंका" हम सबको बताता है कि क्या नहीं करना चाहिए.

कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ उदय कोटक ने ट्वीट किया, "रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है और ये मुश्किल ही होता जा रहा है. देशों की असल परीक्षा अब है. न्यायपालिका, नियामक, पुलिस, सरकार, संसद जैसी संस्थाओं की ताक़त मायने रखेगी. वो करना जो सही है, लोकलुभावन नहीं, महत्वपूर्ण है. एक 'जलता लंका' हम सबको बताता है कि क्या नहीं करना चाहिए."

हालांकि, इसके स्पष्ट संकेत नहीं हैं लेकिन उदय कोटक की टिप्पणी को मोदी सरकार के लिए सलाह के तौर पर देखा जा रहा है. उदय कोटक मोदी सरकार के समर्थकों में से एक रहे हैं.

मोदी सरकार भी कई मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रही है. भारत में महंगाई दर 7.5 फ़ीसदी को पार कर सकती है, जो कि 18 महीनों में सबसे अधिक है. भोजन, पेट्रोल-डीज़ल और रोज़ाना के इस्तेमाल में आने वाले उत्पादों की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति में कमी और बिजली की कमी जैसी कई समस्याएं हैं, जो भारत में भी मौजूद हैं.

एक सप्ताह पहले ही उदय कोटक ने महंगाई को लेकर ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने कहा था, "महंगाई की दुश्वारी मज़बूती से आ गई है. भविष्य यहाँ है. भविष्य अब है."

भारतीय रुपए की क़ीमत डॉलर की तुलना में लगातार गिर रही है. सोमवार को ये एक डॉलर के बदले 77.53 रुपए तक गिर गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर था. हालांकि, मंगलवार को रुपये की क़ीमत में सुधार हुआ लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल जून माह के आखिर तक रुपया गिरकर 79 रुपये तक जा सकता है.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी श्रीलंका की स्थिति को भारत के लिए चेतावनी के तौर पर पेश किया है.

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गुहा ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कहा, "श्रीलंका एशिया का सबसे समृद्ध देश हो सकता है. उनके यहाँ साक्षरता, स्वास्थ्य सेवाएं, लिंगानुपात की दरें ऊंची थीं. लेकिन सिंहला और बौद्ध बहुसंख्यकों की वजह ये देश बर्बाद हो गया."

उन्होंने ये भी कहा कि अगर एक धर्म और एक भाषा को महत्व दिया गया तो भारत का हाल भी श्रीलंका जैसा होगा.

उन्होंने ट्वीट किया, "लंबे समय तक श्रीलंका का छात्र रहने के कारण मैं कह सकता हूं कि इस सुंदर देश के संकट की जड़े छोटे समय से मौजूद आर्थिक वजहों से ज़्यादा बीते एक दशक से मौजूद भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक बहुसंख्यवाद से जुड़ी हैं. इसमें भारत के लिए भी सबक हैं."

वरिष्ठ वकील और ऐक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने भी श्रीलंका के कुछ अख़बारों की क्लिपिंग की तुलना भारतीय ख़बरों से की है.

ये ख़बरें श्रीलंका में हलाल मांस का बहिष्कार करने, बुर्का पर रोक, ईसाइयों और मुसलमानों पर हमले और राष्ट्रपति चुनाव से धार्मिक मतभेद बढ़ने से जुड़ी हैं.

उन्होंने इसके साथ लिखा है, "श्रीलंका के सत्ताधारियों ने बीते कुछ सालों में जो किया और भारत के सत्ताधारी जो आज कर रहे हैं, उनमें आपको कुछ समानता दिख रही है? क्या भारत में इसके परिणाम भी वैसे ही होंगे जैसे आज श्रीलंका के हालात हैं?"

बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 50 अरब डॉलर तक आ गया है. वहीं, श्रीलंका का दूसरे देशों से लिया कर्ज़ भी बढ़कर 51 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है. द टेलिग्राफ़ अख़बार की ख़बर के अनुसार भारत के पास फिलहाल 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. (bbc.com)

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