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रायपुर। सरगुजा के बहुचर्चित मीना खलको हत्याकांड मामले में आरोपी पुलिसवालों को रायपुर की अदालत ने दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट के मुताबिक अदालत में अभियोजन की लापरवाही के कारण साक्ष्य पेश नहीं हो सके, जिससे तीनों आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त किया है.
इसकी आदेश की कॉपी एक महीने बाद जारी की गई है। पुलिसकर्मी धर्मदत्त धनिया, जीवनलाल रत्नाकर और निकोदिम खेस इस हत्याकांड में आरोपी बनाए गए थे। न्यायिक जांच आयोग ने पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी माना, लेकिन किसी तरह के सबूत नहीं होने के कारण पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया गया है।
मामले में दोषमुक्त करार दिए गये हरियाणा के रहने वाले धर्मदत्त धानिया इन दिनों एनएसजी, गुड़गांव में तैनात हैं, जबकि दूसरे आरोपी जीवनलाल रत्नाकर, प्रधान आरक्षक रामानुजगंज में कार्यरत हैं. वहीं एक अन्य आरोपी निकोदिम खेस की पहले ही मौत हो चुकी है.
बता दें कि 6 जुलाई 2011 में चांदो थाना क्षेत्र के करचा गांव के पास मीना को मार गिराने का दावा किया गया था. CID ने अपनी जांच में माना था कि मीना खलखो की हत्या आरक्षक धर्मदत्त धनिया और आरक्षक जीवनलाल रत्नाकर ने की थी.
CID ने यह भी माना था कि हत्यारों को बचाने के लिए थाना प्रभारी ने झूठे साक्ष्य गढ़े थे, जिसका खुलासा होने के बाद कार्रवाई की गई थी. इस मामले में विशेषज्ञ जांच में भी मीना की मौत एसएलआर की गोलियों से होना पाया गया था.
घटना के बाद मीना खलको के परिजनों और अन्य ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मीना को मार गिराया है. वहीं उन्होंने मीना खलको के नक्सली या उससे संबंध होने से भी इनकार कर दिया था.
आयोग ने यह भी कहा था कि मीना की मौत पुलिस की गोली से हुई है. इसके बाद में सीआईडी ने मीना की हत्या का मामला दर्ज किया और इस मामले की जांच शुरू की गई. सीआईडी ने मीना खलको हत्या मामले में खेस समेत 25 पुलिस कर्मियों पर इस घटना में शामिल होने की बात कही. तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया.