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मुंबई, 19 मई (न्यूज24)। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार ने महिलाओं के सम्मान में एक अहम फैसला लेते हुए महाराष्ट्र में विधवा प्रथा बंद करने का फैसला लिया गया है। विधवा की चूड़ी तोडऩे, सिंदूर पोंछने और मंगलसूत्र निकालने की प्रथा को खत्म किया गया है।
राज्य में सबसे पहले विधवा प्रथा को बंद करने वाले कोल्हापुर के हेरवाड़ ग्राम पंचायत को आदर्श मानते हुए उसे राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में उसे लागू करने के लिए कहा गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने सर्कुलर जारी कर दिया है। राज्य के ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रिफ ने सभी ग्राम पंचायतों से अपील की है कि विधवा प्रथा खत्म करे।
कोल्हापुर जिले की हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने 4 मई को विधवाओं की यह अमानवीय प्रथा बन्द करने को लेकर एक प्रस्ताव रखा था, जिसको सर्वसम्मति से सभी ग्राम पंचायत सदस्यों ने पारित कर दिया। इस गांव के इस प्रस्ताव की हर राज्य में खूब चर्चा हुई।
इस प्रस्ताव के अनुसार, अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो उसके अंतिम संस्कार के बाद महिला की चूडिय़ां तोडऩे और माथे से सिंदूर पोंछने, मंगलसूत्र निकालने जैसे कृत्य नहीं किए जाएंगे और महिला को समाज में असम्मानित नहीं किया जाएगा।
कोल्हापुर जिले में पहले बाढ़ और बाद में आई कोरोना महामारी के कारण कई पुरुषों की मौत हुई थी, जिससे कई महिलाओं को विधवा प्रथा से गुजरना पड़ा था। जिसके बाद हेरवाड़ ग्राम पंचायत की अधिकारी पल्लवी कोलेकर और सरपंच सुरगोंडा पाटील ने समाज सुधार का यह कदम उठाया, जिसे आदर्श मानकर महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में लागू करने का फैसला किया। (hindi.news24online.com)